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मीनामाता रोग किसके द्वारा पानी के प्रदूषण से फैलता है

मीनामाता रोग किसके द्वारा पानी के प्रदूषण से फैलता है

मीनामाता रोग एक विशेष प्रकार का न्यूरोलॉजिकल सिन्ड्रोम है जो पारे की अत्यधिक विषाक्तता के कारण उत्पन्न होता है। इस रोग की खोज सर्वप्रथम 1956 में जापान के कुमामोटो प्रीफेक्चर में स्थित मीनामाता शहर में की गई थी। चिसो कॉर्पोरेशन की रासायनिक फैक्टरी से निकलने वाले औद्योगिक अपशिष्ट जल (प्रदूषण का मुख्य स्रोत) में मिथाइल मरकरी की अत्यधिक मात्रा प्रवाहित कर देने के कारण यह बीमारी आरंभ हुई थी। यह फैक्टरी 1932 से 1968 तक कार्य करती रही।

पारा प्रदूषण से कौन सी बीमारी होती है?

पारा (mercury) मानव के लिये ज़हरीले पदार्थों में से एक है। इसके उपभोग के कारण कई प्रकार की दिमागी, त्वचा संबंधी तथा हृदय रोग हो सकते हैं जो घातक भी हो सकते हैं।

जापान में मिनीमाता रोग का कारण क्या था?

यह औद्योगिक उत्सर्जन और सोने के खनन जैसे माध्यमों से पर्यावरण में प्रवेश करता है। पर्यावरण में प्रवेश के बाद कुछ प्रजातियों द्वारा पारे को संचित किया जाता है। मनुष्यों द्वारा इन प्रजातियों का सेवन किये जाने से मनुष्यों में मिनामाता रोग हो जाता है।

जल प्रदूषण का मुख्य कारण क्या है?

जल प्रदूषण का मुख्य कारण मानव या जानवरों की जैविक या फिर औद्योगिक क्रियाओं के फलस्वरूप पैदा हुये प्रदूषकों को बिना किसी समुचित उपचार के सीधे जल धारायों में विसर्जित कर दिया जाना है। जल में विभिन्न प्रकार के हानिकारक पदार्थों के मिलने से जल प्रदूषण होता है।

मिनामाता रोग की खोज किसने की थी?

होसोकावा ने बिल्लियों के साथ अपने प्रयोगों की व्याख्या की, जिसमें कुख्यात “बिल्ली 400” भी शामिल है, जिसने कारखाने के अपशिष्ट जल को खिलाए जाने के बाद मिनमाटा रोग विकसित किया। उन्होंने 1958 में अपशिष्ट जल उत्पादन मार्ग को मिनामाता नदी में बदलने के अपने विरोध के बारे में भी बात की।

मिनामाता रोग कैसे फैलता है?

मिनामाता रोग न्यूरोलॉजिकल लक्षणों के साथ एक मिथाइलमेरकरी विषाक्तता है और बड़ी मात्रा में मछली और शंख की दैनिक खपत के कारण होता है जो रासायनिक कारखानों में उत्पन्न जहरीले रसायन से अत्यधिक दूषित होते हैं और फिर समुद्र में छोड़े जाते हैं।

पारा से शरीर का कौन सा अंग प्रभावित होता है?

इसका असर सीधे हमारे हृदय व परिसंचरण तंत्र पर पड़ता है।

मिनीमाता रोग ऐसी मछली खाने से होता है जिसमें अधिक मात्रा में क्या पाया जाता है?

यह रोग एसी मछली को खाने से होता है, जिसमें अधिक मात्रा में पारा पाया जाता है।

मिनामाता रोग से कितने प्रभावित हुए थे

पर्यावरण मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि मिनमाटा रोग के 3,000 प्रमाणित पीड़ितों में से सिर्फ 528 लोग जीवित हैं। कानूनी मुआवजे की उम्मीद में 20,000 से अधिक लोगों ने पीड़ितों को नामित करने की मांग की है।

सबसे पहले मिनामाता रोग का प्रकोप कहां हुआ था?

1956 में, कुमामोटो प्रान्त में यात्सुशिरो सागर तट पर स्थित मिनामाता शहर में , पहले मिनामाता रोग रोगी को अज्ञात कारण के न्यूरोलॉजिकल लक्षणों से पीड़ित रोगी के रूप में सूचित किया गया था।

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