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ट्रांसफार्मर में होने वाली हानियाँ Transformer Losses In Hindi

ट्रांसफार्मर में होने वाली हानियाँ Transformer Losses In Hindi

ट्रांसफार्मर के मुख्य भाग कोर तथा वाइडिंग होती है। जिनके कारण ट्रांसफार्मर में हानियाँ होती है । इन हानियों के कारण ट्रांसफार्मर की निपुणता (Efficiency) कम हो जाती है। ट्रांसफार्मर में 3 प्रकार की हानि (Loss) होते है ।

1.आयरन हानि (Iron Loss)

आयरन हानियाँ ट्रासफार्मर की आयरन कोर में होती है यह हानियाँ प्रत्येक लोड़ पर एक समान रहती हैं। क्योंकि फलक्स का मान कोर में स्थिर रहता है इसलिए इन्हे स्थिर हानियाँ (Constant Losses) और कोर हानियाँ (Core Losses) भी कहा जाता है। आयरन हानियाँ दो प्रकार की होती है.

एडी करंट क्षति (Eddy Current Loss) :- एल.एफ, तथा एएफ. ट्रॉसफार्मर्स में क्वायल्स का इन्डक्टेंस मान बढ़ाने के लिए लोहे की कोर लगाई जाती है। यदि कोर न लगाई जाये तो वैद्युतिक ऊर्जा स्थानान्तरण की मात्रा बहुत कम होगी। लोहे की कोर प्राइमरी वाइन्डिंग के चुम्बकीय क्षेत्र में अवस्थित होती है और फैराडे के ‘विद्युत चुम्बकीय प्रेरण’ सिद्धान्त के अनुसार कोर में वि.वा.ब. पैदा हो जाता है। कोर में पैदा हुए वि.वा.ब. के कारण कोर में ही चक्कर काटने वाली करंट्स पैदा हो जाती हैं जिन्हें एडी करंट कहते हैं। एडी करंट्स के कारण चुम्बकीय फ्लक्स का जो अपव्यय होता है वह एडी करंट क्षति कहलाता है। इसके कारण कोर गर्म हो जाती हैं। यह क्षति पूर्ण रूप से तो दूर नहीं की जा सकती, हाँ इसे कम किया जा सकता है।

एडी करंट क्षति का निवारण – लोहे की कोर ठोस लोहे के स्थान पर नर्म लोहे की पत्तियों को संयुक्त करके बनाई जाती है। ये पत्तियाँ, एक या दोनों ओर से वार्निश से पेंट की हुई होती हैं, इन्हें लैमिनेशन्स (lamination’s) कहते हैं। इनके उपयोग से एड़ी करंट क्षति काफी कम हो जाती है क्योंकि, कोर में वि.वा.ब. तो पैदा होता है परन्तु कोर में वार्निश की पर्ते होने के कारण एडी करंट प्रवाहित नहीं हो पाती।

हिस्टरेसिस क्षति (Hysteresis Loss) :- हम जानते हैं कि किसी पदार्थ में पैदा होने वाला चुम्बकत्व, हिस्टरैसिस के कारण चुम्बकीय क्षेत्र को पैदा करने वाली करंट के मान के पीछे-पीछे चलता है। इस प्रकार ए.सी. का प्रत्येक आधा साईकिल पूरा होने पर करंट का मान तो शून्य हो जाता है परन्तु कोर में चुम्बकत्व बचा रहता है। अवशिष्ट चुम्बकत्व (residual magnetism) को समाप्त करने के लिए प्रत्येक साईकिल में वैद्युतिक शक्ति का जो अपव्यय होता है, वह हिस्टरैसिस क्षति कहलाता है। इस क्षति का मान कम करने के लिए नर्म लोहे की कोर प्रयोग की जाती हैं परन्तु इस क्षति को दूर नहीं किया जा सकता।

आयरन हानि (Iron Loss) का कैसे पता लगाये

आयरन हानियों को ज्ञात करने के लिए ओपन सर्किट टैस्ट किया जाता है जिसमें प्राइमरी वांइडिंग को ए. सी. सप्लाई से जोड़ते हैं तथा सैकेण्डरी वाइडिंग को खुला (open) रखते हैं। प्राइमरी साइड में वोल्टमीटर, एम्पीयर मीटर तथा वाट मीटर को जोड़ते। इस स्थिति में ट्रांसफार्मर बहुत कम करंट लेता है जिससे कॉपर हानियाँ (copper Losses) नहीं के बराबर होते है । करंट का मान एम्पीयर मीटर दर्शाता है। जो रीडिंग वॉट मीटर देता है वही आयरन हानि होती हैं .

2. कॉपर क्षति (Copper Loss)

ट्राँसफार्मर की वाइन्डिंग्स प्रायः ताँबे के तार की बनाई जाती हैं। ताँबे के तार के रेसिस्टेंस के कारण होने वाला वैद्युतिक शक्ति अपव्यय (PR), कॉपर क्षति कहलाता है। | इस क्षति को भी दूर नहीं किया जा सकता क्योंकि प्रत्येक पदार्थ में कम या अधिक, रेसिस्टेंस अवश्य होता है।

3. लीकेज क्षति (Leakage Loss)

ट्राँसफार्मर की प्राइमरी वाइन्डिंग द्वारा पैदा किये चुम्बकीय फ्लक्स का वह भाग, जो सेकेण्डरी में से नहीं गुजरता, वैद्युतिक शक्ति का अपव्यय करता है, जिसे लीकेज क्षति कहते हैं। लीकेज क्षति को कम करने के लिए ही एल.एफ. तथा ए.एफ. ट्राँसफार्मर्स में नर्म लोहे की कोर प्रयोग की जाती है, परन्तु ठोस कोर में एडी करंट क्षति अधिक हो जाती है इसलिए लैमिनेटिड कोर ही प्रयोग की जाती है.

इस पोस्ट में आपको ट्रांसफार्मर में होने वाली हानियाँ Transformer Losses in Hindi ट्रांसफार्मर में ऊर्जा की हानि Transformer Iron Loss in Hindi Transformer Copper Loss in Hindi copper loss in transformer in hindi से संबधित पूरी जानकारी दी गयी है .

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