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फ्लॉपी डिस्क क्या है

फ्लॉपी डिस्क क्या है

Floppy Disk in Hindi – फ्लॉपी डिस्क (Floppy Disk) फ्लॉपी डिस्क एक वृत्ताकार डिस्क [E2HD होती है, जिसके दोनों ओर एक चुम्बकीय पदार्थ का लेप चढ़ा होता है। यह एक प्लास्टिक के चौकोर फ्लॉपी डिस्क कवर में संरक्षित रहती है। यह तीन आकारों (Sizes) में उपलब्ध होती हैं 8 इंच, 5 इंच तथा 3, इंच। फ्लॉपी पर डेटा कुछ संकेन्द्रीय (Co-central), वृत्ताकार (Circular) पथों पर स्टोर किया जाता है, जिन्हें ट्रैक्स (tracks) कहते हैं। हर ट्रैक कई भागों में बँटा होता है, जिन्हें सेक्टर (Sector) कहते हैं। डिस्क को ट्रैकों और सेक्टरों में विभाजित करने की प्रक्रिया फार्मेटिंग कहलाती है। एक सेक्टर में 512 बाइटें होती हैं।

फ्लॉपी डिस्क (Floppy Disk)

यह एक पतली प्लास्टिक की डिस्क होती है, जिस पर पतली चुम्बकीय पदार्थ की परत चढ़ी रहती है, इस चुम्बकीय डिस्क पर सूचनाओं को संग्रहित किया जाता है। यह सुरक्षा के लिए प्लास्टिक के जैकेट से ढ़की रहती है। इसके मध्य में एक बड़ा छेद होता है। फ्लॉपी, फ्लॉपी ड्राइव में फिट हो जाती है एवं घूम सकती है, डिस्क के किनारे पर राइट प्रोटेक्टर नॉच (Write Protector Notch) होता है। 1.44 MB की फ्लॉपी में जब यह नॉच खुला रहता है तो हम फ्लॉपी में केवल सूचनाएं पढ़ सकते हैं, लिख नहीं सकते। इस नॉच के बन्द होने पर हम सूचनाओं को पढ़ व लिख सकते हैं। फ्लॉपी ट्रैक व सेक्टर में विभाजित होती है। सूचनाएं फ्लॉपी के सेक्टर में लिखी जाती हैं।
नई फ्लॉपी में कोई भी ट्रैक व सेक्टर नहीं होते हैं। डिस्क में ट्रैक व सेक्टर बनाने के लिए फ्लॉपी की फॉर्मेटिंग की जाती है,

फ्लॉपी दो प्रकार की होती है.

1. सॉफ्ट सेक्टर फ्लॉपी (Soft Sector Floppy) – वह फ्लॉपी जिसे बार-बार फॉर्मेट किया जा सके।
2. हार्ड सेक्टर फ्लॉपी (Hard Sector Floppy) – वह फ्लॉपी जिसके निर्माण के समय स्थाई रूप से ट्रैक व सेक्टर का निर्माण कर दिया जाता है, इन्हें पुनः फॉर्मेट नहीं कर सकते हैं।
फ्लॉपी कई आकारों में उपलब्ध रहती हैं, जैसे- 5.25 इंच, 3.5 इंच आदि। यह वर्गाकार होती है। अधिकांशतः 3.5 इंच फ्लॉपी का प्रयोग किया जाता था, लेकिन वैसे कम स्टोरेज क्षमता होने के कारण फ्लॉपी का उपयोग कम हो गया है।

फ्लॉपी डिस्क की परिभाषा

1. ट्रैक (Tracks)

डिस्क के क्षेत्र को कई गोलों में बांटा जाता है और इन्हें नंबर दिए जाते है. यह गोले ट्रैक कहलाते है. सबसे बाहरी गोले का नंबर 0 तथा यह अंदर की और बढ़ता जाता है. यह ट्रैक सिर्फ लॉजिकल क्षेत्र है, भौतिक नहीं.

2. TPI (Tracks Per Inch)

यह प्रति इंच पर ट्रैक की संख्या है जो डाटा का घनत्व दर्शाती है. जितना बड़ा TPI होगा उतना ही अधिक डाटा रख पायेगा.

3. सैक्टर (Sectors)

यह डिस्क पर सबसे छोटा स्टोरेज यूनिट है. एक ट्रैक के कई सेक्टर होते है. हर एक सेक्टर को नंबर दिया जाता है. पहले सेक्टर को पहचानने के लिए इंडेक्स छिद्र होता है. सेक्टर को दो तरह से नंबर दिए जाते है –

  • सॉफ्ट सेक्टरिंग : इसमें Software द्वारा सेक्टर बनाये जाते है. इन डिस्क को सॉफ्ट-सेक्टर डिस्क कहते है. यह अधिक विश्वसनीय होते है.
  • हार्ड सेक्टरिंग : इसमें अपनी पहचान के लिए एक छिद्र होता है. ऐसी डिस्क को हार्ड-सेक्टर डिस्क कहते है.

4. क्लस्टर (Clusters)

यह डिस्क का सबसे छोटा यूनिट है जिसे फाइल को दिया जा सकता है. इसमें एक या अधिक एक साथ वाले सेक्टर होते है. यह एक विशिष्ट फाइल हेतु सेक्टर्स का ग्रुप है तथा सेक्टर्स डिस्क के प्रकार पर निर्भर करते है.

5. FAT (File Allocation Table)

यह टेबल ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा प्रबंधित की जाती है जिसमे सभी उपलब्ध क्लस्टरों की जानकारी होती है. FAT में प्रत्येक क्लस्टर के स्थान और प्रयोग में है या नहीं, खराब है या नहीं, की जानकारी होती है. FAT के बिना डिस्क प्रयोग नहीं की जा सकती है. Computer भी इसे एक्सेस नहीं कर सकता है क्योंकि इसमें फाइल के एड्रेस होते है.

फ्लॉपी डिस्क का उपयोग

Data Storage

फ्लॉपी डिस्क का मुख्य इस्तेमाल डाटा स्टोरेज के लिए किया जाता है। यूज़र्स फ्लॉपी के जरिए data को स्टोर करने के साथ ही जरूरी information backup कर सकते हैं।

पहले के समय में floppy डिस्क डाटा को रिकॉर्ड करने तथा उस डाटा को स्टोर कर जानकारी को बनाए रखने का सबसे अच्छा तरीका था। उस समय इस माध्यम को सबसे अधिक कुशल इसलिए माना जाता था क्योंकि इसमें 1.45 MB की कैपेसिटी तथा cross प्लेटफॉर्म support था।

Software and Drivers

3.5 इंच के floppy डिस्क का सबसे महत्वपूर्ण एप्लीकेशन (अनुप्रयोग) programmes तथा सेवाओं का वितरण (distribute) करना था। उदाहरण के लिए developers द्वारा ग्राहक के लिए सॉफ्टवेयर और ड्राइवर अपडेट दिया जाना।

इसके साथ ही आपका जानना जरूरी है कि पहले सॉफ्टवेयर का साइज काफी अधिक होता था। मेमोरी, pendrive आदि साधन उपलब्ध नहीं थे। उस समय फ्लॉपी डिस्क के जरिए यह सॉफ्टवेयर computer डिवाइस में इंस्टॉल होते थे। हालांकि अभी भी कुछ मॉडर्न drivers के लिए हार्डवेयर components floppy डिस्क में फिट होते हैं।

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