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कंप्यूटर क्या है कम्प्यूटर के प्रकार

कंप्यूटर क्या है कम्प्यूटर के प्रकार

वर्तमान समय में प्रयोग किया जाने वाला कम्प्यूटर एक डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण है। जब आप इसमें स्टेप-बाइ-स्टेप ढंग से निर्देशों को एंटर करते हैं तो यह इन निर्देशों का पालन करते हुए अपने में स्टोर डेटा को प्रोसेस करता है और उन परिणामों को प्रदान करता है जिनकी हमें जरूरत होती है। इसमें डेटा इनपुट करने का कार्य भी निर्देशों का पालन करके ही किया जाता है। यह एक समय में एक से ज्यादा कार्य करने में सक्षम मशीन है। इसके प्रयोग से मनुष्य की कार्य क्षमता में अकल्पनीय बढ़ोत्तरी हुई है।

कम्प्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होती है जो दिये गये निर्देशों का पालन करते डेटा को प्रोसेस करती है और उसे अर्थपूर्ण डेटा में बदलती है। यह एक जनरल परपज अर्थात आम उद्देशीय मशीन है तो जो एक समय में एक से ज्यादा काम करने में सक्षम होती है।यदि आप कम्प्यूटर (Computer) शब्द पर ध्यान से दें तो पायेंगे कि इस शब्द के आधार में कम्प्यूट (Compute)नामक शब्द है। कम्प्यूटर का अर्थ होता है गणना, तो कम्प्यूटर का अर्थ हुआ गणना करने वाला। यही कारण है कि ज्यादातर लोग कम्प्यूटर को एक गणना करने वाली मशीन ही समझते हैं। इसमें मनुष्य की तरह से मेमोरी होती है और इस मेमोरी में डेटा स्टोर किया जाता है और प्रोसेस डेटा के परिणामों को भी। बदलती तकनीक ने कम्प्यूटर की कार्यशैली को प्रभावित किया है और इससे आज की तारीख में संचार का कार्य भी किया जाता है और ऑडियो तथा वीडियो डेटा प्रोसेसिंग भी।

कम्प्यूटर का इतिहास

यदि वर्तमान समय में प्रयोग किये जा रहे कम्प्यूटर के इतिहास की बात करें तो इसकी शुरूआत चार्ल्स बैबेज़ से हुई थी। जब द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ तो इसके विकास में तेजी आयी और इसके नये-नये रूप सामने आने लगे। कम्प्यूटर के इतिहास को कई पीढ़ियों में बांटा गया है ये पीढ़िया निम्न हैं.

 प्रथम पीढ़ी (1940-1956)

कम्प्यूटर की प्रथम पीढ़ी की शुरूआत 1940 से मानी जाती है। इस जनरेशन Vacuum __ Tube Technology में का प्रयोग किया गया था। इसमें मशीन भाषा का प्रयोग किया गया था। इसमें मेमोरी की तौर पर चुम्बकीय टेप एवं पचकार्ड का प्रयोग किया जाता था। इस पीढ़ी के कुछ कम्प्यूटरों के नाम इस प्रकार है- एनियक (ENIAC), एडसैक (EDSAC), एडवैक (EDVAC), यूनीवैक – 2 (UNIVAC-2), आईबीएम -701, आईबीएम-650, मार्क-2, मार्क-3, बरोज – 2202 (ENIAC)

द्वितीय पीढ़ी (1956-1963)

द्वितीय पीढ़ी की शुरूआत 1956 से 1963 तक मानी जाती है। इस पीढ़ी में Transistor का प्रयोग किया गया है। जिसका विकास Willon Shockly ने 1947 में किया था। इसमें असेम्बली भाषा का प्रयोग किया गया था। इसमें मेमोरी के तौर पर चुम्बकीय टेप का प्रयोग किया जाने लगा था। इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों में आईबीएम1401 प्रमुख हैं, जो बहत ही लोकप्रिय एंव बड़े पैमाने पर उत्पादित किया गया था। इस पीढ़ी के अन्य कम्प्यूटर थे – IBM-1602, IBM-7094, CDS-3600, __RCA-501, यूनिवेक – 1107 आदि

तीसरी पीढ़ी (1964-1971)

कम्प्यूटर की तीसरी पीढ़ी की शुरूआत 1964 से मानी जाती है। इस जनरेशन में आई सी का प्रयोग किया जाने लगा था। IC का पूरा नाम Intergrated Circuit है। IC का विकास 1958 में Jack Kibly ने किया था। इसमें IC Technology (SSI) का प्रयोग किया गया था। SSI पूरा नाम Small Scale Integration है। इसमें हाई लेविल भाषा का प्रयोग प्रोग्रामिंग के लिए किया जाता है। इसमें मेमोरी के तौर पर चुम्बकीय डिस्क का प्रयोग किया जाने लगा था। इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों की मदद से मल्टीप्रोग्रामिंग (Multi Programme), एवं मल्टी प्रोससिंग (Multi Pro_cessing) सम्भव हो गया । इस पीढ़ी के मुख्य कम्प्यूटर थे ;-

  • IBM-360,
  • IBM-370 (Series)
  • ICL-1900 एवं (Series)
  • बरोज – 5700
  • 6700 तथा 7700 (Series)
  • (CDC-3000-6000) तथा (Series) यूनिवेक – 9000 श्रृंखला
  • हनीवेल – 6000 तथा 200 PDP-11/45 आदि।

चौथी पीढ़ी (1971-1989)

कम्प्यूटर की चौथी पीढ़ी की शुरूआत 1971 से 1989 तक मानी जाती है। इस जनरेशन IC की यह तकनीकी VLSI थी इसका पूरा नाम Very Large-Scale _Intergration हैं। इसमें हाई लेवल भाषा का प्रयोग प्रोग्रामिंग के लिए किया जाता है। इसमें केवल एक सिलिकॉन चिप पर कम्प्यूटर के सभी एकीकृत परिपथों को लगाया जाता है, जिस माइक्रोप्रोसेसर कहा जाता है। इस चिपों का प्रयोग करने वाले कम्प्यूटरों को माइक्रो कम्प्यूटर (Micro Computer) कहा जाता है।

पाँचवीं पीढ़ी

कम्प्यूटर की पाँचवी पीढ़ी की शुरूआत 1989 से मानी जाती है। इस जनरेशन में आईसी की आधुनिक तकनीकी का प्रयोग किया जाने लगया था। IC की यह तकनीकी ULSI थी इसका पूरा नाम Ultra Large Scale Integration है। इसमें हाई लेवल भाषा का प्रयोग प्रोग्रामिंग के लिए किया जाता है। जो अधिक सरल है। इस भाषाओं में GUI Interface का प्रयोग किया जाता है।

कम्प्यूटर के प्रकार

Types of Computer in Hindi :  यदि तकनीक के आधार पर कम्प्यूटर के प्रकारों अर्थात टाइप की बात करें तो इस समय मुख्य रूप से तीन प्रकार के कम्प्यूटरों का प्रयोग किया जाता है। ये तीनों प्रकार निम्न हैं.

एनालॉग कम्प्यूटर (Analog Computer)

जो कम्प्यूटर इस तकनीक के अंतर्गत आते हैं वे भौतिक प्रकृति अर्थात Physical phenomena पर आधारित होकर काम करते हैं। यह भौतिक प्रकृति इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, हाइड्रोलिक, टेम्प्रेचर और प्रेशर (दबाब) में से कुछ भी हो सकता है। ये इन्हीं तथ्यों के आधार पर मान या वैल्यू को मापते हैं। इनका प्रयोग वैज्ञानिक गणनाओं में किया जाता है। इसके अलावा बड़े-बड़े औद्योगिक एप्लीकेशनों में भी इनका प्रयोग करते हैं। इनकी कार्य-प्रणाली अन्य कम्प्यूटरों की तुलना में ज्यादा जटिल होती है।

डिजिटल कम्प्यूटर (Digital Computer)

जो कम्प्यूटर इस तकनीक के अंतर्गत आते हैं वे बाइनरी नंबर सिस्टम पर आधारित होते हैं। बाइनरी नंबर सिस्टम 0 और 1 अंक पर आधारित होता है। यह वास्तव में किसी स्विच की दो अवस्थायें होती हैं। इसमें शून्य (0) का अर्थ होता है स्विच का ऑफ या बंद होना और एक (1) का अर्थ होता है स्विच का ऑन होना। वर्तमान समय में प्रयोग होने वाले मेनफ्रेम कम्प्यूटर्स, मिनी कम्प्यूटर्स, माइक्रो कम्प्यूटर्स और सुपर कम्प्यूटर्स डिजिटल तकनीक पर ही कार्य करते हैं।

हाइब्रिड कम्प्यूटर (Hybrid Computer)

जिन कम्प्यूटरों में डिजिटल और एनालॉग दोनों तरह की तकनीकों का प्रयोग किया जाता है उन्हें हाइब्रिड कम्प्यूटर कहते हैं। इस तरह के कम्प्यूटरों का प्रयोग भी बड़े-बड़े औद्योगिक और वैज्ञानिक एप्लीकेशनों में किया जाता है। इस तकनीक के एक प्रसिद्ध कम्प्यूटर का नाम है WAT 1001।

डिजिटल कम्प्यूटर के प्रकार

इन दिनों पर्सनल कम्प्यूटर के तौर पर सबसे ज्यादा डिजिटल कम्प्यूटरों को प्रयोग किया जा रहा है। इनका भौतिक रूप अलगअलग हो सकता है लेकिन इनमें प्रयुक्त तकनीक डिजिटल ही होती है। आइये समझें कि आजकल कितने प्रकार के डिजिटल कम्प्यूटर प्रयोग किये जा रहे हैं.

पर्सनल कम्प्यूटर

इसे आप डेस्कटॉप कम्प्यूटर के नाम से भी जानते हैं। ज्यादातर ऑफिसों में इस कम्प्यूटर को प्रयोग किया जाता है। इसमें की-बोर्ड, माउस, मॉनीटर और सीपीयू जैसे कम्पोनेंट होते हैं जो आपस में जुड़कर डेस्कटॉपर कम्प्यूटर या पर्सनल कम्प्यूटर का निर्माण करते हैं।

लैपटॉप कम्प्यूटर

यह भी एक तरह का पर्सनल कम्प्यूटर होता है लेकिन इसे आप अपनी गोद में रखकर प्रयोग कर सकते हैं। यह एक पोर्टेबल कम्प्यूटर होता है। इसमें की-बोर्ड, माउस और मॉनीटर जैसे सभी तत्व होते हैं लेकिन इसमें एक ऐसी बैटरी लगी होती है जो एक बार चार्ज होने के बाद कई घंटों तक चल जाती है। यह आकार में डेस्कटॉप से छोटा होता है लेकिन शक्ति में किसी भी तरह से कम नहीं होता है।   लैपटॉप कम्प्यूटरों को नोटबुक्स भी कहा जाता है। इसे लेकर आप यात्रा कर सकते हैं और इसे अपने सूटकेस या बैग में आसानी से ले जाया जा सकता है। यदि कीमत के हिसाब से लैपटॉप या नोटबुक की तुलना डेस्कटॉप से करें तो ये ज्यादा कीमती होते हैं।

पर्सनल डिजिटल असिटेंट

इसे संक्षेप में पीडीए कहा जाता है। यह एक हैंड हेल्ड उपकरण है। हैंड हेल्ड का अर्थ होता है कि इसे हाथ में पकड़कर प्रयोग किया जा सकता है। कुछ लोग इसे पॉम टॉप भी कहते हैं। वर्तमान समय में इसकी जगह स्मार्ट मोबाइल फोन्स ने ले ली है इसलिये इनका चलन समाप्ति की ओर है।

टेबलेट पीसी

यह मझोले आकार का एक ऐसा कम्प्यूटर होता है जिसे हाथ में पकड़कर कहीं भी लेकर जाया जा सकता है और प्रयोग किया जा सकता है। यह टच स्क्रीन सुविधा से लैस होता है इसमें भैतिक की-बोर्ड के स्थान पर एक वर्चुअल की-बोर्ड होता है जिससे आप डेटा इनपुट कर सकते हैं। लेकिन जरूरत होने पर इसकी यूएसबी पोर्ट में भौतिक की-बोर्ड भी जोड़ा जा सकता है। इसमें कम्युनीकेशन की समस्त पोर्ट होती हैं। वर्तमान समय में इनका खूब प्रयोग किया जा रहा है। आई-पैड इसी तरह के – कम्प्यूटर का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण है।

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