Samanya Gyan

हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की क्यों ज़रूरत है

हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की क्यों ज़रूरत है

(i) अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भरता को कम करने के लिए क्योंकि इनमे में उच्च ब्याज दर होती है और कर्ज़दार को ज्यादा लाभ नहीं मिलता है।(ii) सस्ता और सामर्थ्य के अनुकूल कर्ज़ देश के विकास के लिए अति आवश्यक है।
(iii) अनौपचारिक ऋणदाताओं से लिए गए उधार पर आमतौर से ब्याज की दरें बहुत अधिक होती हैं और यह उधार कर्ज़दाताओं की आय बढ़ाने का काम कम ही कर पाता है। इसलिए, बैंकों और सहकारी समितियों को अपनी गतिविधियाँ विशेषकर ग्रामीण इलाकों में बढ़ाने की ज़रूरत है, ताकि कर्ज़दारों की अनौपचारिक स्त्रोत पर से निर्भता घटे।

मुद्रा और साख के प्रश्न उत्तर

प्रश्न . आत्मनिर्भर समूह में बचत और ऋण संबंधित अधिकतर निर्णय कौन लेते हैं?

उत्तर- आत्मनिर्भर समूह में बचत और ऋण संबंधित निर्णय सदस्य लेते हैं।

प्रश्न . ऋणदाता ऋण का कौन-सा रूप है?

उत्तर- अनौपचारिक।

प्रश्न . बैंक, साख का कौन-सा रूप है?

उत्तर- औपचारिक।

प्रश्न .आवश्यकताओं के दोहरे संयोग में छुपी समस्या को उजागर कीजिए।

उत्तर- एक व्यक्ति जो वस्तु बेचने की इच्छा रखता है उसकी वस्तु खरीदने वाले की वस्तु से मेल नहीं खाती है।

प्रश्न . मुद्रा के प्रयोग ने वस्तु विनिमय को किस प्रकार आसान बना दिया है? एक उदाहरण दीजिए।

उत्तर- मुद्रा के प्रयोग से जूता निर्माता के लिए जरूरी नहीं रह जाता कि वो ऐसे किसान को ढूँढें जो न केवल उसके जूते खरीदे बल्कि साथ-साथ उसको गेहूँ भी बेचें। अब उसे केवल अपने जूते के लिए खरीददार ढूँढ़ना है।

प्रश्न. बैंक क्या होता है?

उत्तर- बैंक वह संस्था है जो लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से जमा स्वीकार करती है जिनका चैक द्वारा भुगतान कर दिया जाता है तथा जो लोगों को ऋण देती है।

प्रश्न . माँग जमा किसे कहते हैं?

उत्तर- ऐसी जमा जिसे जब चाहे चैक द्वारा निकलवाया जा सके, माँग जमा कहलाती है।

प्रश्न. मुद्रा क्या होती है?

उत्तर- कोई भी वस्तु जिसे विनिमय के माध्यम, धन के संचय, मूल्य के माप तथा ऋणों के भुगतान के रूप में सामान्य रूप से स्वीकार किया जाता है।

प्रश्न . मुद्रा ने कौन-सी कठिनाइयों को दूर किया है?

उत्तर- मुद्रा ने वस्तु विनिमय की कठिनाइयों को दूर किया है।

प्रश्न . वस्तु विनिमय प्रणाली का अर्थ बताओ।

उत्तर- वस्तुओं का वस्तुओं अथवा सेवाओं का सेवाओं से सीधे रूप में अदल-बदल को वस्तु विनिमय प्रणाली कहते हैं।

प्रश्न . मांगों का दोहरा संयोग से क्या अभिप्राय है?

उत्तर- वस्तु विनिमय प्रणाली, जहाँ मुद्रा का उपयोग किये बिना वस्तुएँ सीधे आदान-प्रदान की जाती हैं, वहाँ एक व्यक्ति जो बेचने की इच्छा रखता है, वो दूसरे व्यक्ति की खरीदने की इच्छा से बिल्कुल मेल खाना चाहिए। इसे ही माँगों का दोहरा संयोग कहते हैं।

प्रश्न . ज़्यादातर खरीददारी मुद्रा के ज़रिये क्यों होती है?

उत्तर- क्योंकि जिस व्यक्ति के पास मुद्रा है वह इसका विनिमय किसी भी वस्तु या सेवा खरीदने के लिए आसानी से कर सकता है। इसलिए हर कोई भुगतान मुद्रा के रूप में लेना पसंद करता है।

प्रश्न . बैंकों की आय का प्रमुख स्रोत क्या है?

उत्तर- बैंकों की आय का प्रमुख स्रोत जमा स्वीकार करना तथा लोगों को ऋण देना है।

प्रश्न 9. बैंक अपने पास कुल जमा का एक छोटा हिस्सा नकद रूप में क्यों रखते हैं?

उत्तर- क्योंकि किसी एक समय पर जमाकर्ताओं द्वारा धन निकालने की संभावना को देखते हुए कुछ हिस्सा नकद रूप में रखा जाता है।

प्रश्न . ग्रामीण परिवारों के लिए औपचारिक ऋण के दो प्रमुख स्रोत कौन-से हैं?

उत्तर- (क) क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (ख) सहकारी समितियाँ।

प्रश्न . सोनपुर कृषक सहकारी समिति के कितने सदस्य हैं?

उत्तर- 2300 सदस्य।

प्रश्न . ब्याज दर, समर्थक ऋणाधार, आवश्यक कागज़ात और भुगतान के तरीकों को सम्मिलित रूप से क्या कहते हैं?

उत्तर- ऋण की शर्ते।

प्रश्न . मुद्रा के आधुनिक रूप में क्या शामिल हैं ?

उत्तर- करेंसी, कागजी नोट तथा सिक्के।

प्रश्न . भारत का सर्वोच्च बैंक कौन-सा है?

उत्तर- भारतीय रिज़र्व बैंक।

इस पोस्ट में आपको हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की क्यों ज़रूरत है? हमें ऋणा से औपचारिक स्रोतों को विस्तार करने की जरूरत क्यों है ?ऋण के औपचारिक स्रोतों में शामिल नहीं है औपचारिक और अनौपचारिक में अंतर Hamein Bharat Mein Rin Ke Aupcharik Sroton Ko Badhane Ki Kyon Zaroorat Hain मुद्रा और साख के प्रश्न उत्तर PDF मुद्रा और साख नोट्स इन हिंदी मुद्रा और साख NCERT solution से संबंधित काफी महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर दिए गए है यह प्रश्न उत्तर फायदेमंद लगे तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और इसके बारे में आप कुछ जानना यह पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट करके अवश्य पूछे.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button