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कंप्यूटर नेटवर्क क्या है इसके उपयोग

कंप्यूटर नेटवर्क क्या है इसके उपयोग

What is Network in Hindi : दो या दो से अधिक कंप्यूटर को किसी माध्यम द्वारा एक दूसरे के साथ में जोड़ने की व्यवस्था को कंप्यूटर नेटवर्क कहा जाता है. कंप्यूटर नेटवर्क की मदद से एक कंप्यूटर से डाटा दूसरे कंप्यूटर के साथ में शेयर किया जा सकता है. कंप्यूटर उस को आपस में जोड़ने के लिए तार या केवल का इस्तेमाल किया जा सकता है और इसके अलावा वायरलेस तरीके से भी कंप्यूटर को आपस में जोड़ा जा सकता है.

कंप्यूटर नेटवर्क की आवश्यकता

नेटवर्क की आवश्यकता बड़ी-बड़ी कंपनियों या जहां पर दो से अधिक कंप्यूटर को इस्तेमाल किया जाता है और उनकी जानकारी को आपस में शेयर करना जरूरी होता है वहां पर इसकी आवश्यकता होती है. जैसे कि मान लीजिए किसी कंपनी में 10 कंप्यूटर हैं और एक लेजर प्रिंटर है जिस पर प्रिंटआउट निकाले जाते हैं. तो सभी कंप्यूटर के साथ में वह एक लेजर प्रिंटर कनेक्ट करने के लिए नेटवर्क की आवश्यकता होगी अगर उनके बीच में नेटवर्क कनेक्शन नहीं होगा तो जिस भी कंप्यूटर पर प्रिंट आउट निकालना होगा वह लेजर प्रिंटर उसी कंप्यूटर के साथ में जोड़ना होगा जिसमें समय की बहुत ज्यादा बर्बादी होगी क्योंकि प्रिंटर को उठाकर उस कंप्यूटर के पास लेकर जाना होगा तभी वहां से प्रिंट आउट निकाल सकते हैं इसकी बजाय अगर सभी कंप्यूटर को आपस में जोड़ दिया जाए तो किसी भी एक कंप्यूटर से आप प्रिंटआउट की कमांड दे सकते हैं जिससे कि सिर्फ एक जगह पर ही सभी कंप्यूटर के प्रिंटआउट निकाले जा सकते हैं.

नेटवर्किंग के लाभ क्या है

जैसा कि आपको ऊपर बताया गया है वह नेटवर्किंग का सबसे बड़ा फायदा है लेकिन इसके अलावा नेटवर्किंग के बहुत सारे फायदे हैं जो कि अलग-अलग क्षेत्र में इस्तेमाल किए जाते हैं इनके बारे में आपको नीचे विस्तार पूर्वक बताया गया है.

स्त्रोतों का साझा उपयोग (Resource Sharing)

जब एक कम्प्यूटर नेटवर्क से जुड़ा है तब उसमें जुड़े कम्प्यूटर्स के डेटास, प्रोग्राम और दूसरे यन्त्रों का इस्तेमाल हर यूजर कर सकता है। इससे कोई अन्तर नहीं पड़ता कि कम्प्यूटर की आपस में दूरी कितनी है।

विश्वस्तता में बढ़ोतरी (Improved Reliability)

कम्प्यूटर सिस्टम की तुलना में नेटवर्क सिस्टम अधिक विश्वास योग्य है। कारण यह है कि नेटवर्क सिस्टम में आपके पास विकल्प उपलब्ध होते हैं। उदाहरण के लिये आपके कम्प्यूटर पर लगा प्वाइंटर खराब है इस अवस्था में अगर आपका कम्प्यूटर नेटवर्क से जोड़ा है तब आप दूसरे कम्प्यूटर के साथ लगे प्रिन्टर से काम कर सकते हैं।

आर्थिक लाभ (Financial Benefits)

Mainframe कम्प्यूटर PC से 10 गुणा तेज होता है, परन्तु इसकी कीमत हजारों गुणा ज्यादा होती है। इसलिये इतने महँगे कम्प्यूटर लगाने के स्थान पर नेटवर्क को वरीयता देते हैं।

अच्छा संचार का साधन (Better Communication Medium)

अगर एक संगठन की शाखायें अलग-अलग स्थान पर है तब नेटवर्क संचार का रास्ता और आसान जरीया है। केवल टेलीफोन को छोड़कर और कोई भी चैनल इतना तेज नहीं है जितना नेटवर्क । परन्तु टेलीफोन से सीमित संचार ही सम्भव है। नेटवर्क पर जब भी कोई यूजर फाइल अपडेट करेगा तब यह दूसरे यूजर जो नेटवर्क पर लॉग इन है दिखाई देगी। यही कारण है कि नेटवर्क दूर-दराज पर फैली शाखाओं के लिये उत्तम संचार माध्यम है।।

रिमोट डाटाबेस तक पहुँच (Access to Remote Database)

डाटाबेस में पहुँच से रेलवे रिजर्वेशन, हवाईयात्रा और होटल आदि में रिजर्वेशन के लिये खपत होने वाले कीमती समय की बचत होती है। संसार के किसी भी स्थान से यह सब नेटवर्क के माध्यम से करा सकते हैं।

नेटवर्क के कम्पोनेन्ट्स

कंप्यूटर नेटवर्क के लिए कई सारे कॉम्पोनेंट इस्तेमाल किया जाता है जो कि उस नेटवर्क को बनाए रखने में मदद करते हैं और उसकी स्पीड और उसे बेहतर बनाने के लिए बहुत जरूरी होते हैं. तो कंप्यूटर नेटवर्क के लिए जो जो कॉम्पोनेंट इस्तेमाल होते हैं उनकी सूची नीचे दी गई है.

सर्वर (Server)

यह नेटवर्क का सबसे प्रमुख अथवा केन्द्रीय कम्प्यूटर होता है। नेटवर्क के अन्य सभी कम्प्यूटर सर्वर से जुड़े होते हैं। सर्वर क्षमता और गति की दृष्टि से अन्य सभी कम्प्यूटरों से श्रेष्ठ होता है और प्रायः नेटवर्क का अधिकांश अथवा समस्त डेटा सर्वर पर ही रखा जाता है।

नोड (Node)

सर्वर के अलावा नेटवर्क के अन्य सभी कम्प्यूटरों को नोड कहा जाता है। ये वे कम्प्यूटर होते हैं, जिन पर उपयोगकर्ता कार्य करते हैं। प्रत्येक नोड का एक निश्चित नाम और पहचान होती है। कई नोड अधिक शक्तिशाली होते हैं। ऐसे नोडों को प्रायः वर्कस्टेशन (Workstation) कहा जाता है। नोडों को प्रायः क्लाइण्ट (Client) भी कहा जाता है।

नेटवर्क केबल (Network Cable)

जिन केबलों के द्वारा नेटवर्क के कम्प्यूटर आपस में जुड़े होते हैं, उन्हें नेटवर्क केबल कहा जाता है। सूचनाएँ एक कम्प्यूटर से नेटवर्क के दूसरे कम्प्यूटर तक केबलों से होकर ही जाती हैं। इनको प्रायः बस (Bus) भी कहा जाता है।

नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम (Network Operating System)

यह ऐसा सॉफ्टवेयर है जो नेटवर्क में एक साथ जूडे कम्प्यूटरों के बीच सम्बन्ध तय करता है और उनके बीच सूचना के आवागमन को नियन्त्रित करता है। यह सॉफ्टवेयर सर्वर में लोड किया जाता है।

नेटवर्क कार्ड (Network Card)

यह एक ऐसा सर्किट होता है जो नेटवर्क केबलों को कम्प्यूटरों से जोड़ता है। इन कार्डों की सहायता से डेटा का आवागमन तीव्रता से होता है। ये कार्ड नेटवर्क से जुड़े प्रत्येक कम्प्यूटर के मदरबोर्ड में लगाए जाते हैं। इनको ईथरनेट कार्ड (Ethernet Card) भी कहा जाता है।

प्रोटोकॉल (Protocol)

वह प्रणाली, जो सम्पूर्ण संचार-प्रक्रिया में विविध डिवाइसों के मध्य सामंजस्य स्थापित करती है, प्रोटोकॉल कहलाती है। प्रोटोकॉल की उपस्थिति में ही डेटा तथा सूचनाओं को प्रेक्षक से लेकर प्राप्तकर्ता तक पहुँचाया जाता है। कम्प्यूटर नेटवर्क का आधार भी प्रोटोकॉल ही है।

रिपीटर (Repeater)

रिपीटर ऐसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण होते हैं जो निम्न स्तर (Low level) के सिग्नल्स को प्राप्त (Receive) करके उन्हें उच्च स्तर का बनाकर वापस भेजते हैं। इस प्रकार सिग्नल्स लम्बी दूरियों को बिना बाधा के तय कर सकते हैं। रिपीटर्स (Repeaters) का प्रयोग नेटवर्क में कम्प्यूटरों को एक-दूसरे से जोड़ने वाले केबल की लम्बाई बढ़ाने में किया जाता है।

हब (Hub)

हब का प्रयोग ऐसे स्थान पर किया जाता है जहाँ नेटवर्क की सारी केबल मिलती हैं। ये एक प्रकार का रिपीटर होता है जिसमें नेटवर्क चैनलों को जोड़ने के लिए पोर्ट्स लगे होते हैं। आमतौर पर एक हब में 4, 8, 16 अथवा 24 पोर्ट लगे होते हैं। एक बड़े हब में करीबन 24 कम्प्यूटरों को जोड़ा जा सकता है। इससे अधिक कम्प्यूटरों को जोड़ने के लिए एक अतिरिक्त हब का प्रयोग किया जा सकता है। इस प्रक्रिया (दो या अधिक हबों को आपस में जोड़ना) को डेजी चेनिंग कहते हैं।

गेटवे (Gateway)

गेटवे एक ऐसी युक्ति है, जिसका प्रयोग दो विभिन्न नेटवर्क प्रोटोकॉल को जोड़ने में किया जाता है। इन्हें प्रोटोकॉल परिवर्तक (Protocol converters) भी कहते हैं।

स्विच (Switch)

स्विच वे हार्डवेयर होते हैं जो विभिन्न कम्प्यूटरों को एक लैन (LAN) में जोड़ते हैं। स्विच को हब के स्थान पर उपयोग किया जाता है। हब तथा स्विच के मध्य एक महत्त्वपूर्ण अन्तर यह है, कि हब स्वयं तक आने वाले डेटा को अपने प्रत्येक पोर्ट पर भेजता है, जबकि स्विच स्वयं तक आने वाले डेटा को केवल उसके गन्तव्य स्थान (Destination) तक भेजता है।

राउटर (Router)

राउटर का प्रयोग नेटवर्क में डेटा को कहीं भी भेजने में करते हैं, इस प्रक्रिया को राउटिंग कहते हैं। राउटर एक जंक्शन की तरह कार्य करते हैं। बड़े नेटवर्कों में एक से अधिक रूट होते हैं, जिनके जरिए सूचनाएँ अपने गन्तव्य स्थान तक पहुँच सकती हैं। ऐसे में राउटर्स ये तय करते हैं, कि किसी सूचना को किस रास्ते से उसके गन्तव्य तक पहुँचाना है।

राउटिंग स्विच (Routing Switch)

ऐसे स्विच, जिनमें राउटर जैसी विशेषताएँ होती हैं, राउटिंग स्विच कहलाते हैं। राउटिंग स्विच नेटवर्क के किसी कम्प्यूटर तक भेजी जाने वाली सूचनाओं को पहचान कर, उन्हे रास्ता दिखाते हैं।

ब्रिज (Bridge)

ब्रिज छोटे नेटवर्कों को आपस में जोड़ने के काम आते हैं, ताकि ये आपस में जुड़कर एक बड़े नेटवर्क की तरह काम कर सकें। ब्रिज एक बड़े या व्यस्त नेटवर्क को छोटे हिस्सों में बाँटने का भी कार्य करता हैं।

मॉडेम (Modem)

मॉडेम एनालॉग सिग्नल्स को डिजिटल सिग्नल्स में तथा डिजिटल सिग्नल्स को एनालॉग सिग्नल्स में बदलता है। एक मॉडेम को हमेशा एक टेलीफोन लाइन तथा कम्प्यूटर के मध्य लगाया जाता है। डिजिटल सिग्नल्स को एनालॉग सिग्नल्स में बदलने की प्रक्रिया को मॉड्यूलेशन (Modulation) तथा एनालॉग सिग्नल्स को डिजिटल सिग्नल्स में बदलने की प्रक्रिया को डिमॉड्यूलेशन (Demodulation) कहते हैं।

Computer नेटवर्क के प्रकार

कंप्यूटर को आपस में जोड़ने के लिए अलग-अलग धरा के नेटवर्क का इस्तेमाल किया जाता है. किस जगह पर किस प्रकार के नेटवर्क का इस्तेमाल किया जाएगा यह उस नेटवर्क पर निर्भर करता है नीचे आपको कंप्यूटर नेटवर्क के तीन मुख्य प्रकार के बारे में बताया गया है.

1. लोकल एरिया नेटवर्क

Local Area Network (LAN) in Hindi : अगर नेटवर्क एक ही स्थान पर सीमित है, जैसे एक इमारत या एक ही कॉम्लैक्स में तब यह लोकल एरिया नेटवर्क कहलाता है। नेटवर्क के एक सिरे से दूसरे सिरे तक की अधिकतम दूरी कितनी होगी यह सिगनल की ताकत पर निर्भर करता है। दूसरे, अगर माध्यम के द्वारा जैसे केबल से जोड़ा गया है तब केवल कहाँ तक जा सकते हैं। LAN का बेसिक उद्देश्य स्त्रोतों का सांझा उपयोग करना है। इनमें हार्डवेयर जैसे प्रिन्टर, प्लोटर, हार्ड डिस्क, मॉडेम आदि, या सॉफ्टवेयर जैसे डेटा, सूचना या प्रोग्राम सब शामिल होते हैं।

2. वाइड एरिया नेटवर्क
[Wide Area Network (WAN) in Hindi : इस सिस्टम के द्वारा बड़े व्यापार के लिए यन्त्र प्रदान किए जाते हैं। इसका क्षेत्र बड़ा होता है। इस कारण ही इसका नाम वाइड एरिया नेटवर्क है। जब नेटवर्क बहुत सारे शहरों में, प्रदेशों और दूसरे देशों में फैला हो तब ही इसका नाम दिया जाता है Wide Area Network (WAN)। इस सिस्टम में संचार टेलीफोन लाइनों, सैटेलाइट और माइक्रोवेव द्वारा किया जाता है।

3. मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क
[Metropoliton Area Network (MAN) in Hindi : वास्तव में इसका क्षेत्र LAN और WAN के मध्य में आता है।
MAN में पूरे शहर के लिए प्रसारण दिया जाता है। इसमें LAN की टेक्नोलॉजी का ही इस्तेमाल किया जाता है। टेलीविजन चैनल के सिगनल केबल टेलीविजन के द्वारा प्रसारित किए जाते हैं वह MAN का उदाहरण है.

नेटवर्क टोपोलॉजी (Network Topology)

कम्प्यूटर नेटवर्क में कम्प्यूटरों को आपस में जोड़ने के तरीके को टोपोलॉजी कहते हैं। किसी टोपोलॉजी के प्रत्येक कम्प्यूटर, नोड या लिंक स्टेशन कहलाते हैं। दूसरे शब्दों में, टोपोलॉजी नेटवर्क में कम्प्यूटरों को जोड़ने की भौगोलिक व्यवस्था होती है। इसके द्वारा विभिन्न कम्प्यूटर एक-दूसरे से परस्पर सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं। नेटवर्क टोपोलॉजी निम्नलिखित प्रकार की होती हैं

1. बस टोपोलॉजी (BUS Topology)

इस टोपोलॉजी में एक लम्बे केबल से युक्तियाँ जुड़ी होती हैं। यह नेटवर्क इन्स्टॉलेशन छोटे अथवा अल्पकालीन ब्रॉडकास्ट के लिए होता है। इस प्रकार के नेटवर्क टोपोलॉजी का प्रयोग ऐसे स्थानों पर किया जाता है, जहाँ अत्यन्त उच्च गति के कम्युनिकेशन चैनल का कनेक्टिंग प्रयोग सीमित क्षेत्र में किया जाता है। परन्तु यदि कम्युनिकेशन चैनल खराब हो जाए तो पूरा नेटवर्क खराब हो जाता है।

2.स्टार टोपोलॉजी (Star Topology)

इस टोपोलॉजी के अन्तर्गत एक होस्ट कम्प्यूटर होता है, जिससे विभिन्न लोकल कम्प्यूटरों (नोड) को सीधे जोड़ा जाता है। यह होस्ट कम्प्यूटर हब कहलाता है। इस हब के फेल होने से पूरा नेटवर्क फेल हो सकता है।

3.रिंग टोपोलॉजी (Ring Topology)

इस टोपोलॉजी में कोई हब या एक लम्बी केबल नहीं होती। सभी कम्प्यूटर एक गोलाकार आकृति के रूप में केबल द्वारा जुड़े होते हैं। प्रत्येक कम्प्यूटर अपने अधीनस्थ कम्प्यूटर से जुड़ा होता है। इसमें किसी भी एक कम्प्यूटर के खराब होने पर सम्पूर्ण रिंग बाधित होती है। यह गोलाकार रिंग टोपोलॉजी आकृति सर्कुलर नेटवर्क भी कहलाती है।

4. मैश टोपोलॉजी (Mesh Topology)

इस टोपोलॉजी का प्रत्येक कम्प्यूटर, नेटवर्क में जुड़े अन्य सभी कम्प्यूटरों से सीधे जुड़ा होता है। इसी कारण से इसे (Point-to-Point) नेटवर्क या (Completely Connected) नेटवर्क भी कहा जाता है। इसमें डेटा के आदान-प्रदान का प्रत्येक निर्णय कम्प्यूटर स्वयं ही लेता है।

5. ट्री टोपोलॉजी (Tree Topology)

इस टोपोलॉजी में एक नोड से दूसरी नोड तथा दूसरी नोड से तीसरी नोड, किसी पेड़ की शाखाओं की तरह जुडी होती हैं। यही ट्री (Tree) टोपोलॉजी कहलाती है। ट्री टोपोलॉजी, स्टार टोपोलॉजी का ही विस्तृत रूप है। इस टोपोलॉजी में रूट (Root) नोड सर्वर की तरह कार्य करता है।

इस पोस्ट में आपको कंप्यूटर नेटवर्क के कार्य कंप्यूटर नेटवर्क के उद्देश्य कंप्यूटर नेटवर्क की आवश्यकता नेटवर्किंग के लाभ क्या है कंप्यूटर नेटवर्क का मुख्य उद्देश्य क्या है नेटवर्क की परिभाषा नेटवर्क कंप्यूटर विकिपीडिया से संबंधित पूरी जानकारी दी गई है अगर इसके अलावा आपका कोई भी सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट करके जरूर पूछें.

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