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संचार माध्यम किसे कहते हैं

संचार माध्यम किसे कहते हैं

किसी भी कंप्यूटर से टर्मिनल या किसी भी टर्मिनल से कंप्यूटर तक डाटा को भेजने के लिए हमें किसी न किसी माध्यम की आवश्यकता होती है इसी माध्यम को कम्युनिकेशन लाइन या डाटा लिंक या संचार का माध्यम कहते हैं. कम्युनिकेशन लाइन पर ही यह निर्भर करता है कि डाटा भेजने की स्पीड कितनी अच्छी होगी कम्युनिकेशन लाइन जितनी अच्छी होगी तो संचार उतना ही जल्दी एक कंप्यूटर से दूसरी जगह भेजा जा सकेगा.

आज के समय में कई प्रकार के संचार माध्यम का इस्तेमाल किया जाता है जिसके बारे में आपको नीचे पूरी जानकारी दी गई है. संचार माध्यम दो प्रकार के होते हैं.

1.Wired Technologies

इस टेक्नोलॉजी में डाटा सिग्नल तारों की मदद से एक जगह से दूसरी जगह भेजा जाता है. इन तारों के द्वारा डाटा संसार किसी विशेष पथ से होता है और ये तार, कॉपर, टिन या सिल्वर के बने होते हैं.Wired Technologies भी तीन प्रकार की होती है.

Twisted Pair Cable

इसमें एक या दो जोड़े तारों को गूंथे हुए होते हैं इसको लीकॉम्यूनीकेशन केबल भी होते हैं। जब दो कॉपर के तार पास-पास होते हैं और जब उनमें करन्ट बहता है तब यह तार एक-दूसरे पर इन्टर्फियरैन्स पैदा करते हैं। जिसको क्रॉसटॉक (Cross Talk) कहते हैं। क्रॉसटॉक दोष को कम करने के लिये ही तारों को गूंथा जाता है। इन तारों को टूइस्ट करने से एक सिगनल से निकलने वाले तार दूसरे से निकलने वाले सिग्नल को कैन्सल कर देते हैं। यह केबल भी दो प्रकार के होते हैं शिल्डीड (Shielded) और अनशिल्डीड (Unshielded)।

Coaxial Cable

इस केबल को Coax भी कहते हैं। इसमें दो कन्डक्टर होते हैं जो एक ही Axil पर होते हैं। एक ठोस कॉपर वायर या Standard कॉपर की तार इस केबल के मध्य में होती है और इसको प्लास्टिक फॉर्म इन्शूलेशन से कवर किया जाता है। फॉर्म को दूसरे कन्डक्टर से कवर किया जाता है या तार की जाली से भी कवर कर सकते हैं। यह जाली बाहर के प्रभाव को कम करती है तथा इसको शिल्ड (Shield) कहते हैं। इन सबके ऊपर एक बहुत मजबूत जैकेट होते हैं.

निम्न प्रकार के केबल अधिकतर इस्तेमाल में लिये जाते हैं

1. 50 Ohm, RG-8 और RG-11 thick ईथरनेट (Ethernet) के लिये।
2. 50 Ohm, RG-88 thin ईथरनेट (Ethernet) के लिये।
3. 75 Ohm, RG-59 केबल (TV) के लिये।
4. 93 Ohm, ARC नेट के लिये।

फाइबर ऑप्टीक केबल

Fibre -Optic Cable in Hindi : फाइबर ऑप्टीक केबल इलैक्ट्रिक के बजाय लाइट सिगनल प्रसारित करते हैं। यह दूसरे सब प्रसारित करने वाले मीडिया से उत्तम है। यह अभी कम प्रयोग में ली जाती है क्योंकि यह अभी बहुत महँगी है। जब इसकी लागत कम हो जायेगी तब यह हर नेटवर्किंग केबल के रूप में इस्तेमाल की जायेगी। हर फाइबर का आन्तरिक कोर ग्लास या प्लास्टिक का होता है। अन्दर की कोर पर एक ग्लास सतह पहनाते हैं जो लाइट के कोर के तरफ रिफलैक्ट कर देती है। हर फाइबर को प्लास्टिक शीथ (Sheath) से कवर किया जाता है। यह शीथ लूज या टाइट हो सकती है।

2. Wireless Technologies

वायरलेस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल cable के महंगा होने और इनके रखरखाव में अधिक खर्चा आने के कारण किया जाता है. क्योंकि Cable खराब होने पर समय-समय पर उनका रखरखाव करना पड़ता है और अगर Cable बिल्कुल खराब हो जाती है तो उसे नया लगाना पड़ता है जिसमें की काफी खर्चा और समय लगता है. इसीलिए अब वायरलेस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाने लग गया है. नीचे आपको वायरलेस टेक्नोलॉजी के कुछ उदाहरण दिए गए हैं.

सेटेलाइट संचार

Satellite Communication in Hindi : Satellite-सैटेलाइट माइक्रोवेव सिस्टम सिगनल को डायरेक्शनल एन्टीनाओं के मध्य में प्रसारित करता है। इसमें भी नीचले भाग की GHz फ्रीक्वैसी का प्रयोग किया जाता है। यह प्रसारण Line-of-Sight तरह का होना चाहिए। सैटेलाईट सिस्टम में एक मुख्य अन्तर यह है कि इसमें एक एन्टीना सेटेलाइट पर Geosynchronous ऑरबिट में जमीन से 50,000 km ऊपर स्थापित होता है जिसके कारण माइक्रोवेव सिस्टम दूर-दराज तक पहुँच सकता है। इसी के कारण मोबाइल संचार भी हो सकता है। लोकल एरिया नेटवर्क (LAN) से केबल मीडिया के द्वारा सैटेलाइट डिश को सिगनल भेजा जाता है जो सिगनल को सैटेलाइट की तरफ बीम करता है। ऑरबिट स्थित एन्टीना सिगनल को जमीन पर लगे दूसरे एन्टीना की ओर भेजता है। अगर गतांग दूसरी तरफ है तब एक और सैटेलाइट की जरूरत होगी।  क्योंकि इस सिस्टम में सिगनल 50,000 km तय करके सैटेलाइट तक पहुँचता है और फिर इतना ही रास्ता तय करके वापिस आता है। इसमें समय खपत होता ही है जो .5 से 5 सेकिन्ड तक का हो सकता है। इसको प्रोपेगेशन डिले (Propagation delay) कहते हैं।

रेडियोवेव ट्रांसमिशन

Radio-wave Transmission in Hindi : जब दो टर्मिनल रेडियो आवृत्तियों (Radio frequencies) के माध्यम से सूचना का आदान-प्रदान करते हैं तो इस प्रकार के संचार को रेडियोवेव ट्रांसमिशन कहा जाता है। ये रेडियो तरंगें सर्वदिशात्मक (Omnidirectional) होती हैं तथा लम्बी दूरी के संचार के लिए प्रयोग की जा सकती हैं। रेडियोवेव ट्रांसमिशन वायर्ड तकनीक से सस्ता होता है तथा मोबाइलिटी (Mobility) प्रदान करता है। परन्तु, इस पर वर्षा, धूल, आदि का बुरा प्रभाव पड़ता है।

माइक्रोवेव ट्रांसमिशन

Microwave Transmission in Hindi : इस सिस्टम में सिग्नल्स खुले तौर पर (बिना किसी माध्यम के) रेडियो सिग्नल्स की तरह संचारित होते हैं। इस सिस्टम में सूचना का आदान-प्रदान आवृत्तियों के माध्यम से किया जाता है। माइक्रोवेव इलेक्ट्रोमैगनेटिक (Electro magnetic) तरंगें होती हैं जिनकी आवृत्ति लगभग 0.3 GHz से 300 GHz के बीच में होती है। ये एकल दिशात्मक (Uni-directional) होती हैं। यह कोएक्सियल केबल की तुलना में तीव्र गति से संचार प्रदान करता है। इसमें अच्छी बैण्डविथ होती है, किन्तु इस पर वर्षा, धूल आदि (अर्थात् खराब मौसम) का बुरा प्रभाव पड़ता है। इसका प्रयोग सेल्यूलर नेटवर्क तथा टेलीविजन ब्रॉडकास्टिंग (broadcasting) में होता है.

इन्फ्रारेड वेव ट्रांसमिशन

Infrared wave Transmission in Hindi : इन्फ्रारेड वेव छोटी दूरी के संचार के लिए प्रयोग मे लाए जाने वाली उच्च आवृत्ति की तरंगें होती हैं। ये तरंगें ठोस ऑब्जेक्ट (solid objects) जैसे कि दीवार आदि के आर-पार नहीं जा सकती हैं। मुख्यतया, ये TV रिमोट, वायरलेस स्पीकर आदि में प्रयोग की जाती है.

इस पोस्ट में आपको संचार माध्यम के लाभ और हानि संचार माध्यम किसे कहते हैं हिन्दी के संचार माध्यम विभिन्न संचार माध्यम संचार माध्यम का समाज जीवन पर प्रभाव से संबंधित पूरी जानकारी दी गई है अगर इसके अलावा आपका कोई भी सवाल और सुझाव हो तो नीचे कमेंट करके पूछे.

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