उत्तराखंड सामान्य ज्ञान प्रश्न उत्तर pdf
उत्तराखंड सामान्य ज्ञान प्रश्न उत्तर pdf
उत्तराखंड का सामान्य ज्ञान Pdf-8 – अगर आप किसी भी परीक्षा की तैयारी करते हैं तो उसके लिए आपको पढ़ने के लिए अच्छा स्टडी मैटेरियल होना बहुत ही जरूरी है. अगर आप के पास पढ़ने के लिए अच्छी सामग्री नहीं है तो आप किसी भी परीक्षा की तैयारी ज्यादा अच्छे से नहीं कर पाएंगे. तो इसीलिए जो उम्मीदवार उत्तराखंड जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है उसके लिए इस पोस्ट में हमने सामान्य ज्ञान से संबंधित काफी महत्वपूर्ण प्रशन और उत्तर दिए है जो कि पहले उत्तराखंड की परीक्षाओं में पूछे जा चुके है. तो अपनी तैयारी को बेहतर बनाने के लिए इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़ें
उत्तराखंड के प्रमुख मेले (Major Fairs of Uttarakhand)
भारत में मनाये जाने वाले सभी प्रमुख त्यौहार उत्तराखंड में भी बनायें जाते हैं जैसे दीपावली, होली, दशर आदि। इनके अलावा हरेला, भिटुली, बसंत पंचमी, फूलदेई, वटसावित्री, घुघुतिया, गुइयाँ एकादशी आदि उत्तराखंड के प्रमुख त्यौहार हैं।
साथ ही उत्तराखंड में मनाये जाने वाले मेले व पर्व उनकी विविधता के कारण काफी प्रसिद्ध हैं। जैसे नंदादेवी राज यात्रा के दिन होने वाला नंदादेवी मेला, देवीधुरा में मनाया जाने वाला बग्वाल मेला जिसमे लोगों के द्वारा एक दूसरे पर पत्थरों की बारिश की जाती है।
जौलजीवी मेला
जौलजीवी मेला उत्तराखंड के पिथोरागढ़ जनपद के काली एवं गौरी नदियों के संगम पर स्थित जौलजीवी नामक स्थान पर प्रतिवर्ष 14 से 19 नवम्बर तक लगता है , इस मेले की शुरुआत 1914 में हुई थी|
चैती मेला (बाला सुन्दरी मेला)
चैती मेला उधम सिंह नगर जिले के काशीपुर के कुण्ड़ेश्वरी देवी मंदिर में लगता है , कुण्ड़ेश्वरी कुमाऊं में चन्द राजाओ की कुलदेवी मानी जाती है|
माघ मेला
माघ मेला उत्तरकाशी में प्रतिवर्ष 14 जनवरी से शुरू होता है इसे बाड़ाहाट का थौल भी कहा जाता है|
बिस्सू मेला
यह मेला उत्तरकाशी जनपद के कई स्थानों पर बैसाखी के दिन लगता है
नंदादेवी मेला
नंदादेवी मेली उत्तराखंड में भाद्र शुक्ल पक्ष की पंचमी से अल्मोड़ा, नैनीताल, बागेश्वर, मिलम आदि कई स्थानों पर लगता है
श्रावणी मेला
श्रावणी मेला अल्मोड़ा के जागेश्वर में श्रावण मॉस में एक महीने तक लगता है|
सोमनाथ मेला
सोमनाथ मेला अल्मोड़ा जिले के मासी नामक स्थान पर लगता है यह मेला पशुओ के क्रय विक्रय के लिए प्रसिद्ध है|
स्याल्दे बिखौती मेला
स्याल्दे बिखौती मेला अल्मोड़ा जनपद के द्वाराहाट में प्रतिवर्ष बैसाख माह के पहले व दूसरे दिन लगता है|
बैकुण्ठ चतुर्दशी मेला
बैकुंठ चतुर्दशी मेला पौड़ी जिले के श्रीनगर के कमलेश्वर मंदिर में बैकुंठ चतुर्दशी के अवसर पर लगता है|
गोचर मेला
गोचर मेला चमोली जिले के गोचर नामक स्थान पर लगता है इस मेले की शुरुआत 1943 में गढ़वाल के तत्कालीनडिप्टी कमिश्नर बर्नेडी ने की थी |
झन्डा मेला
झन्डा मेला देहरादून में प्रतिवर्ष होली के पांचवे दिन गुरु राम राय के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है|
थल मेला
थल मेला पिथोरागढ़ के थल में प्रतिवर्ष बैसाखी के अवसर पर लगता है , इसकी शुरुआत 13 अप्रैल 1940 को हुई|
कुछ अन्य मेले
- हिलजात्रा उत्सव – पिथोरागढ़
- पूर्णागिरी मेला – टनकपुर
- दनगल मेला – पौड़ी
- सेलकु मेला – उत्तरकाशी
- खरसाली मेला – उत्तरकाशी
- बसंत बुरांश मेला – चमोली
- ताडकेश्वर मेला – पौड़ी
- नुणाई मेला – जौनसार क्षेत्र
- वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली स्मृति मेला – पौड़ी गढ़वाल
- पिरान कलियर मेला – रुड़की
- लड़ी धुरा मेला – चम्पावत
- वीर गब्बर सिंह मेला – टिहरी गढ़वाल
- जाखौली मेला – चकराता
- सिद्ध बलि जयंती मेला – कोटद्वार
- अटरिया मेला – रुद्रपुर
- तिमुड़ा मेला – जोशीमठ
- गणनाथ मेला – ताकुला (अल्मोड़ा)
- कण्डक मेला – उत्तरकाशी
- चन्द्रबदनी मेला – टिहरी
- बग्वाल मेला – देवीधुरा (चम्पावत)
- खकोटी उत्सव – पौड़ी गढ़वाल
- शहीद भवानी दत्त जोशी मेला – थराली (चमोली)
- सुरकंडा मेला – टिहरी गढ़वाल
- नाग टिब्बा मेला – जौनपुर (टिहरी गढ़वाल)
- शहीद केशरी चन्द मेला – चकराता
- मानेश्वर मेला – मायावती आश्रम (चम्पावत )
- क्वानु मेला – चकराता
- टपकेश्वर मेला – देहरादून
- कुम्भ मेला – हरिद्वार
- रण भूत कौथिक – टिहरी गढ़वाल
उत्तराखंड के प्रमुख आभूषण व परिधान
उत्तराखण्ड की संस्कृति इस प्रदेश के मौसम और जलवायु के अनुरूप ही है। उत्तराखण्ड एक पहाड़ी प्रदेश है और इसलिए यहाँ ठण्ड बहुत होती है। इसी ठण्डी जलवायु के आसपास ही उत्तराखण्ड की संस्कृति के सभी पहलू जैसे रहन-सहन, वेशभूषा, लोक कलाएँ इत्यादि घूमते हैं। उत्तराखण्ड एक पहाड़ी प्रदेश है। यहाँ ठण्ड बहुत होती है इसलिए यहाँ लोगों के मकान पक्के होते हैं। दीवारें पत्थरों की होती है। पुराने घरों के ऊपर से पत्थर बिछाए जाते हैं। वर्तमान में लोग सीमेन्ट का उपयोग करने लग गए है। अधिकतर घरों में रात को रोटी तथा दिन में भात (चावल) खाने का प्रचलन है। लगभग हर महीने कोई न कोई त्योहार मनाया जाता है।
त्योहार के बहाने अधिकतर घरों में समय-समय पर पकवान बनते हैं। स्थानीय स्तर पर उगाई जाने वाली गहत, रैंस, भट्ट आदि दालों का प्रयोग होता है। प्राचीन समय में मण्डुवा व झुंगोरा स्थानीय मोटा अनाज होता था। अब इनका उत्पादन बहुत कम होता है। अब लोग बाजार से गेहूं व चावल खरीदते हैं। कृषि के साथ पशुपालन लगभग सभी घरों में होता है। घर में उत्पादित अनाज कुछ ही महीनों के लिए पर्याप्त होता है। कस्बों के समीप के लोग दूध का व्यवसाय भी करते हैं। पहाड़ के लोग बहुत परिश्रमी होते है। पहाड़ों को काट-काटकर सीढ़ीदार खेत बनाने का काम इनके परिश्रम को प्रदर्शित भी करता है। पहाड़ में अधिकतर श्रमिक भी पढ़े-लिखे है, चाहे कम ही पढ़े हों। इस कारण इस राज्य की साक्षरता दर भी राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है।
प्रमुख आभूषण
कान के प्रमुख आभूषण
- मुर्खली या मुर्खी (मुंदड़ा )
- बाली (बल्ली )
- कुंडल
- कर्णफूल (कनफूल)
- तुग्यल / बुजनी
- गोरख
सिर के प्रमुख आभूषण
- शीशफूल
- मांगटीका
- बंदी (बांदी )
- सुहाग बिंदी
नाक के प्रमुख आभूषण
- नथ (नथुली)
- बुलाक
- फूली , (लौंग)
- गोरख
- बिड़
गले के प्रमुख आभूषण
- तिलहरी
- चन्द्रहार
- हंसूला (सूत)
- गुलबंद
- चरयो
- झुपिया
- पौंला
- पचमनी
- सुतुवा
हाथ के प्रमुख आभूषण
- धगुले
- पौंछि
- गुन्ठी (अंगूठी)
- धगुला
- ठ्वाक
- गोंखले
कमर के प्रमुख आभूषण
- तगड़ी
- कमर ज्यौड़ी
- अतरदान
पैरो के प्रमुख आभूषण
- झिंवरा
- पौंटा
- लच्छा
- पाजेब
- इमरती
- प्वल्या (बिछुवा)
- कण्डवा
- अमित्रीतार
- पुलिया
कंधे के प्रमुख आभूषण
- स्यूण-सांगल
प्रमुख परिधान
पुरुषो के परिधान
- धोती , कुर्ता, मिरजई , सफेद टोपी , बास्कट , पैजामा , सुराव , कोट , भोटू आदि
स्त्रियों के परिधान
- आंगड़ी , गाती , धोती , पिछोड़ा टांक आदि
बच्चो के परिधान
- झगुली , सन्तराथ , घागरा आदि
उत्तराखंड की प्रमुख जनजातियाँ
राज्य में प्रमुख अनुसूचित जनजातियों (Tribes) की शारीरिक संरचना (Body Composition), उत्पत्ति (Origin), निवास स्थल (Residence), व्यवसाय (Business) तथा सामाजिक व्यवस्था (Social System) आदि से संबंधित संक्षिप्त परिचय निम्नलिखित है :-
जौनसारी
- जौनसारी राज्य का सबसे बड़ा जनजातीय समुदाय होने के साथ-साथ गढ़वाल क्षेत्र का भी सबसे बड़ा जनजातीय समुदाय है। इसका मुख्य निवास स्थान लघु हिमालय (Small Himalayan) के उत्तर पश्चिमी (North-Westren) भाग का भाबर क्षेत्र (Bhabar Area) है। इस क्षेत्र के अंतर्गत देहरादून (Dehradun) का चकराता (Chakrata), कालसी (Kalsi), त्यूनी (Tyuni), लाखामंडल (Lakhamandal) आदि क्षेत्र, टिहरी (Tehri) का जौनपुर (Jaunpur) क्षेत्र तथा उत्तरकाशी (Uttarakashi) का परगना (Subdivision) क्षेत्र आता है। देहरादून (Dehradun) का कालसी (Kalsi), चकराता (Chakrata) व त्यूनी (Tyuni) तहसील को जौनसारी-बाबर (Jaunsai-Babar) क्षेत्र कहा जाता है। जौनसारी-बावर क्षेत्र में कुल 39 खाते (पट्टी) व 358 राजस्व गांव (Village) है।जौनसारी-बावर (Jaunsari-Babar) क्षेत्र की प्रमुख भाषा जौनसारी (Jaunsari Language) है। बाबर के कुछ क्षेत्र में बाबरी भाषा (Babari Language) देवघार (Devghar) में देवघारी व हिमाचली भाषा (Devghari and Himanchali Language) भी बोली जाती हैं, लेकिन पठन-पाठन (Reading) हेतु हिंदी (Hindi) का उपयोग किया जाता है।
थारु
- थारू जनजाती के लोगो में बदला विवाह प्रथा तथा तीन टिकठी विवाह प्रथा प्रचलित है , थारुओ में दोनों पक्षो से विवाह तय हो जाने को पक्की पोड़ी कहा जाता है
- थारुओ द्वारा बजहर नामक त्यौहार मनाया जाता है दीपावली को ये शोक पर्व के रूप में मनाते है , थारू जनजाति द्वारा होली के मौके पर खिचड़ी नृत्य किया जाता है
- लठभरवा भोज थारू जनजाती से सम्बंधित है
- थारू लोग मुख्यतः उधम सिंह नगर जिले में निवास करते है यह उत्तराखंड का सबसे बड़ा जनजातीय समूह है, थारुओ को किरात वंश का माना जाता है
भोटिया
- तुबेरा, बाज्यू, तिमली आदि भोटिया लोगो के प्रमुख लोकगीत है
- भोटिया महा हिमालय की सर्वाधिक जनसँख्या वाली जनजाती है
- भोटिया लोगो द्वारा विवाह के अवसर पर पौणा नृत्य किया जाता है
- उत्तराखंड में भोटिया जनजाती के लोग मुख्यतः पिथोरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी तथा अल्मोड़ा जिलो में निवास करते है मारछा, तोल्छा , जोहारी, शौका , दमरिया, चौन्दासी, व्यासी , जाड ,जेठरा, व छापड़ा इनकी प्रमुख उप जातियां हैं
बोक्सा
- बोक्सा जनजाति उत्तराखंड में उधम सिंह नगर के बाजपुर, गदरपुर तथा काशीपुर , नैनीताल के रामनगर आदि स्थानों पर निवास कराती है
- चैती, नौबी, होली, दीपावली इनके प्रमुख त्यौहार है|
राजी
- राजी उत्तराखंड की सबसे कम जनसँख्या वाली जनजाती है
- राजी जनजाति पिथोरागढ़ के धारचूला ,डीडीहाट विकासखंडो में निवास करती है
- राजी जनजाति के लोगो को बनरौत ,बनरावत , जंगल के राजा आदि नामो से भी जाना जाता है
उत्तराखंड में स्थित प्रमुख गुफाएं व शिलाएं
- पाताल भुवनेश्वर गुफा – गंगोलीहाट (पिथोरागढ़)
- भरत गुफा – गिरसा
- मुचकुन्द गुफा – बद्रीनाथ
- मातंग गुफा – मालती (उत्तरकाशी )
- ब्रह्म गुफा – केदारनाथ
- भीम गुफा – केदारनाथ
- गणेश गुफा – बद्रीनाथ
- गरुड़ गुफा – बद्रीनाथ
- स्कन्द गुफा – बद्रीनाथ
- व्यास गुफा – बद्रीनाथ
- श्रंगी गुफा – उत्तरकाशी
- हनुमान गुफा – गिरसा
- गोरखनाथ गुफा – श्रीनगर
- शंकर गुफा – देवप्रयाग
- राम गुफा – बद्रीनाथ
- वशिष्ठ गुफा – टिहरी गढ़वाल
- स्वधम गुफा – गंगोलीहाट (पिथोरागढ़)
- लाखामंडल गुफा – देहरादून
- त्रियम्बक गुफा (पांडूखोली )- द्वाराहाट (अल्मोड़ा)
- सुमेरु गुफा – गंगोलीहाट (पिथोरागढ़)
- गुच्चूपानी – देहरादून
- कोटेश्वर गुफा – रुद्रप्रयाग
प्रमुख शिलाएं
- चन्द्र शिला – तुंगनाथ
- काल शिला – कालीमठ
- चरण पादुका – बद्रीनाथ
- नरसिंह शिला – बद्रीनाथ
- बारह शिला – बद्रीनाथ
- गरुड़ शिला – बद्रीनाथ
- भीम शिला – माणा (चमोली)
- भागीरथी शिला – गंगोत्री
- नारद शिला – बद्रीनाथ
- भृगु शिला – केदारनाथ
हमने इस पोस्ट में जनजाति का इतिहास जौनसारी जनजाति राजी जनजाति के लोग किस जनपद में निवास करते है बुक्सा जनजाति भूटिया जनजाति भोटिया जनजाति के बारे में थारू समुदाय उत्तराखंड की गुफाएं उत्तराखंड के प्रमुख खिलाड़ी ग्वारख्या गुफा शंकर गुफा कहाँ स्थित है रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय रामधारी सिंह दिनकर का साहित्यिक परिचय , गुफा उत्तराखंड के प्रमुख खिलाड़ी उत्तराखंड के प्रमुख मेले उत्तराखंड की प्रमुख योजनाएं उत्तराखंड के मेले इन हिंदी गढ़वाल के मेले उत्तराखंड के मेले pdf उत्तराखंड के प्रमुख त्यौहार उत्तराखंड के प्रमुख मंदिर से संबंधित जानकारी दी हैऔर आगे आने वाली परीक्षाओं में भी इनमें से काफी प्रश्न पूछे जा सकते हैं. तो इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़ें. अगर इनके बारे में आपका कोई भी सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट करके पूछो और अगर आपको यह जानकारी फायदेमंद लगे तो अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें.