तुल्यकालिक मोटर या सिन्क्रोनस मोटर क्या होती है
तुल्यकालिक मोटर या सिन्क्रोनस मोटर क्या होती है
यह एक ऐसी ए. सी. मशीन होती है जोकि सिंक्रोनस स्पीड़ पर चलती है जब यह सिंक्रोनस स्पीड पर ए. सी. विद्युत उर्जा को यांत्रिक उर्जा में परिवर्तित करती है तो सिंक्रोनस मोटर कहलाती है। जैसे डी. सी. जनरेटर को डी. सी. मोटर की तरह प्रयोग कर सकते है, उसी प्रकार से ए. सी. अल्टरनेटर को भी ए. सी. मोटर की तरह प्रयोग कर सकते हैं उस समय ऐसी मोटर को सिंक्रोनस मोटर कहते हैं।
यदि दो आल्टरनेटर्स को समानान्तर में चलाया जाए और उसमें से एक आल्टरनेटर के प्राइम मूवर को बन्द कर दिया जाए तो वह आल्टरनेटर, सिंक्रोनस मोटर बनकर कार्य करने लगता है तब उससे मैकेनीकल पावर ली जा सकती है और उस पर कोई भी मैकेनीकल लोड लगाया जा सकता है। आल्टरनेटर और सिंक्रोनस मोटर की बनावट समान रहती है परन्तु उनकी रेटिंग और स्पीड में कुछ अन्तर हो सकता है। इसमें हाई स्पीड वाली 2-पोल की सिंक्रोनस मोटर, सदैव सैलियेन्ट पोल (salient-pole) टाइप की होती है। जबकि आल्टरनेटर सलियेन्ट पोल टाइप अथवा बिना सेलियेन्ट पोल टाइप का हो सकता है।
सिंक्रोनस मोटर की बनावट
Construction of synchronous motor in Hindi : सिंक्रोनस मोटर की बनावट तथा अल्टरनेटर की बनावट में कोई अन्तर नही होता यदि अल्टरनेटर को सप्लाई देकर चलाया जाए तो वह सिंक्रोनस मोटर की तरह ही चलता है । जिस तरह से एक डी. सी. मोटर जनरेटर तथा मोटर दोनों का कार्य कर सकती हैं उसी तरह सिंक्रोनस मोटर भी अल्टरनेटर तथा मोटर दोनों का कार्य कर सकती है। सिंक्रोनस मोटर स्थिर स्पीड पर चलती है स्पीड पोल तथा फ्रीक्वेंसी पर निर्भर करती है।
सिंक्रोनस मोटर के मुख्य भाग (Main Parts of Synchronous Motor)
1. स्टेटर (Stator)
2.रोटर (Rotor)
3.एक्साइटर (Exciter)
4. डैपर वाइडिंग (Damper Winding)
5. प्राइम मूवर (Prime Mover)
सिंक्रोनस मोटर का कार्य सिद्धान्त
स्टेटर में सप्लाई देने पर रोटेटिंग मैगनेटिक फील्ड बनता है। इस फील्ड की स्पीड, सिंक्रोनस स्पीड होती है। रोटर के पोलों को डीसी देकर एक्साइट किया जाता है। स्टेटर और रोटर के पोलों की पोलारिटी समान रहने पर रोटर आगे बढ़ता है परन्तु उसी समय स्टेटर के पोल परिवर्तित हो जाते हैं और स्टेटर आगे बढ़े हुए रोटर को अपनी ओर खींच लेता है। जबकि रोटर के पोल स्थिर रहते हैं। इस प्रकार रोटर स्वयं नहीं घूमता है। यदि किसी साधन के द्वारा रोटर के S-पोल को स्टेटर के N-पोल के साथ लॉकइन कर दिया जाए और रोटर का N-पोल स्टेटर के S-पोल के साथ लॉकइन कर दिया जाए तो रोटर स्टेटर फील्ड के साथ सिंक्रोनस स्पीड से घूमने लगता है। इस प्रकार सिंक्रोनस मोटर कॉन्सटैन्ट फ्रीक्वेन्सी पर कॉन्सटैन्ट स्पीड पर चलती रहती है। यदि रोटर स्पीड और सिंक्रोनस स्पीड में थोड़ा-सा भी अन्तर रहता है तो औसत टॉर्क तुरन्त ही शून्य हो जाती है और मोटर रुक जाती है।
सिंक्रोनस मोटर के लाभ तथा हानियाँ
Advantages and Disadvantages of Synchronous Motors in Hindi
लाभः
1.पॉवर फैक्टर को आवश्यकतानुसार परिवर्तित कर सकते हैं।
2.यह मोटरें सामान्यत: उच्च दक्षता पर परिचालित होती हैं, विशेषकर कम गति युनिटी पॉवर फेक्टर सीमा में।
3.यह ‘नो लोड’ से ‘फुल लोड’ तक नियमित गति (constant speed) देती हैं।
4.यह मोटरें इन्डक्शन मोटरों की अपेक्षा अधिक चौड़े एअर गैप के साथ निर्मित की जाती हैं जिससे यांत्रिक रूप से उत्तम होती हैं।
5.विद्युत-चुम्बकीय शक्ति (electro-magnetic power) वोल्टेज के साथ रैखकीय रूप से बदलती है।
हानियाँः
1.इसे डी. सी. उद्दीपन की आवश्यकता पड़ती है जो कि बाहरी स्रोत से आपूर्ति करना अनिवार्य होता है।
2. इसे ‘अन्डर लोड’ स्टार्ट नहीं किया जा सकता। इसका स्टार्टिंग टॉर्क शून्य होता है।
3. इसे परिवर्तनशील कार्यों के लिये प्रयोग में नहीं लाया जा सकता क्योंकि इसमें स्पीड समायोजन की कोई सम्भावना नहीं होती।
4.इसमें ‘हन्ट’ करने की प्रवृत्ति होती है।
5.इसकी प्रति किलोवाट आउटपुट लागत सामान्यतः किसी इन्डक्शन मोटर की अपेक्षा अधिक होती है।
6.कलेक्टर रिंग्स और ब्रशेस की आवश्यकता होती है।
7. यह समकालिकता (सिंक्रोनिज्म) के कारण ठप्प हो सकती है और ओवरलोड होने पर रूक जाती है।
8. छोटी वर्कशॉपों में जहां स्टार्टिंग के लिये अलग से कोई पॉवर स्रोत उपलब्ध न हो, वहां शाफ्टों को चलाने के लिये सिंक्रोनस मोटरें वांछनीय नहीं होतीं। और वहां भी जहां अक्सर स्टार्टिंग टॉर्क आवश्यक हो।
9. सिंक्रोनस मोटरें स्वाभाविक रूप से सेल्फ स्टार्टिग मोटरें नहीं होतीं और इनको स्टार्ट करने और सिंक्रोनाइजिंग के लिये कुछ व्यवस्था करने की आवश्यकता पड़ती है।
सिंक्रोनस मोटर के उपयोग
Uses of Synchronous motor In Hindi
1. सिंक्रोनस मोटरों का प्रयोग पावर फैक्टर व वोल्टेज रैगुलेशन बढ़ाने के लिए ट्रांसमिशन लाइनों पर किया जाता है।
2.सिंक्रोनस मोटर का प्रयोग स्थिर स्पीड़ (Constant speed) के लिए किया जाता है ।
3.इनका प्रयोग कम्प्रेशर, लाइन शाफ्ट, पम्प तथा ड्राइविंग फैन को चलाने के लिए किया जाता है।
4.सब स्टेशनों पर मोटर को बस – बार के सामान्तर चलाकर पावर फैक्टर को बढ़ाया जाता है ।
5. इन मोटरों का प्रयोग फैक्ट्रियों में भी पावर फैक्टर बढाने के लिए किया जाता है।
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