न्यूटन की गति के नियम याद रखें ट्रिक से

न्यूटन की गति के नियम याद रखें ट्रिक से

नमस्कार दोस्तो , आज की इस Post में हम आपको  न्यूटन की गति के नियम ( Newton’s Law Of Motion ) के बारें में एक GK Trick बताऐंगे , जिससे कि आप इन्हें आसानी से क्रमबद्ध तरीके से याद रख पाऐंगे किसी भी कम्पटीशन एग्जाम या टेस्ट के लिए शोर्ट ट्रिक्स को याद करना कितना जरूरी है यह हम सभी जानते है इसी लिए आज हम आपके लिए कुछ उसी प्रकार  कि ट्रिक्स लेके आये है जो आपको सभी तरह के एग्जाम और कम्पटीशन आदि कि तैयारी में सहायक सिद्ध होंगी जैसा कि हम जानते है कि किसी भी तरह के एग्जाम या टेस्ट को समय पर पूरा करने के लिए समय सीमा निर्धारित होती  है तो इस लिए आपको अगर इन शोर्ट ट्रिक्स के बारे में पता होगा तो आप अपना एग्जाम या टेस्ट के दोरान अपना कीमती समय बचा सकते है

आप जानते है कि शोर्ट ट्रिक कि सहायता से आप केवल अपना समय हि नही बचाते बल्कि आप उस प्रश्न  को हमेशा के लिए अपने दिमाग में याद रख लेते हो अगर किसी समय पर भूल जाने पर भी केवल एक बार देखने मात्र से वह दुबारा याद आ जाता है
ट्रिक से पहले हम आपको न्यूटन की गति के नियम के बारे बतायेंगे

न्यूटन की गति के नियम ( Newton’s Law Of Motion ) –

सर आइजेक न्यूटन ने सबसे पहले 1687 में अपनी पुस्तक प्रिंसीपिया ( Principia ) में गति के नियमो ( Law of Motion ) को प्रतिपादित किया इसलिए इस वैज्ञानिक के सम्मान में गति के नियमों को न्यूटन के नियम कहा जाता है !

1) गति का प्रथम नियम – ( जडत्व का नियम – Law of inertia )

यदि कोई बस्तु विरामावस्था में है तो वह तब तक विराम की अवस्था में ही रहेगी जब तक उसपर बाहरी बल लगाकर गतिशील नहीं किया जायेगा और यदि कोई वस्तु गतिशील है तो उस पर बाहरी बल लगाकर ही विरामावस्था में पहुँचाया जा सकता है। न्यूटन के प्रथम नियम को जड़त्व का नियम (Law Of Inertia) भी कहा जाता है !
उदाहरण –
1. रूकी हुई गाड़ी के अचानक चलने पर उसमें बैठे यात्री पीछे की ओर झुक जाते है !
2. चलती हुई गाड़ी के अचानक रूकने पर उसमें बैठे यात्री आगे की ओर झुक जाते है !
3. पेड़ को हिलाने से उसके फल टूटकर नीचे गिर जाते है !

2) गति का द्वितीय नियम – ( संवेग का नियम – Law of Momentum )

वस्तु के संवेग (Momentum) में परिवर्तन की दर उस पर लगाये गये बल के अनुक्रमानुपाती (Directly Prepotional) होती है तथा संवेग परिवर्तन आरोपित बल की दिशा में ही होता है !
उदाहरण –
1. क्रिकेट खिलाड़ी तेजी से आती हुई गेंद को केंच करते समय अपने हाथों को गेंद के वेग को कम करने के लिए पीछे की ओर खीच लेता है। ताकि उसकेा चोट न लगे !
2. गद्दा या मिट्टी के फर्श पर गिरने से सीमेंट के फर्श की तुलना कम चोंट आती है !

3) गति का तीसरा नियम – ( क्रिया – प्रतिक्रिया का नियम Rule of Action and Reaction)

इस नियम के अनुसार प्रत्येक क्रिया के बराबर तथा विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है ! इस नियम को क्रिया-प्रतिक्रिया का नियम भी कहा जाता है !
उदाहरण –
1. बन्दूक से गोली छोड़ते समय पीछे की ओर झटका लगना !
2. कुँए से पानी खीचते समय रस्सी टूट जाने पर व्यक्ति का पीछे गिर जाना !
3. राँकेट का आगे बढ़ना, उंचाई के कूंदने पर चोट लगना !

ट्रिकी वर्ड        क्रम              नियम

जड                          1st नियम               जडत्व का नियम
से                             2nd नियम              संवेग का नियम
क्रिया                        3rd नियम                क्रिया – प्रतिक्रिया का नियम
जड से क्रिया
तो दोस्तों इस प्रकार से आप इस लाइन के माध्यम से न्यूटन के गति के नियम को याद कर सकेंगे

(sir issac newton) सर इस्साक न्यूटन के बारे में जानकारी :-

सर आइज़ैक न्यूटन इंग्लैंड के एक वैज्ञानिक थे। जिन्होंने गुरुत्वाकर्षण का नियम और गति के सिद्धांत की खोज की। वे एक महान गणितज्ञ, भौतिक वैज्ञानिक, ज्योतिष एवं दार्शनिक थे। इनका शोध प्रपत्र “प्राकृतिक दर्शन के गणितीय सिद्धांतों “” सन् १६८७ में प्रकाशित हुआ, जिसमें सार्वत्रिक गुर्त्वाकर्षण एवं गति के नियमों की व्याख्या की गई थी और इस प्रकार चिरसम्मत भौतिकी (क्लासिकल भौतिकी) की नींव रखी। उनकी फिलोसोफी नेचुरेलिस प्रिन्सिपिया मेथेमेटिका, 1687 में प्रकाशित हुई, यह विज्ञान के इतिहास में अपने आप में सबसे प्रभावशाली पुस्तक है, जो अधिकांश साहित्यिक यांत्रिकी के लिए आधारभूत कार्य की भूमिका निभाती है।

इस कार्य में, न्यूटन ने सार्वत्रिक गुरुत्व और गति के तीन नियमों का वर्णन किया जिसने अगली तीन शताब्दियों के लिए भौतिक ब्रह्मांड के वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया। न्यूटन ने दर्शाया कि पृथ्वी पर वस्तुओं की गति और आकाशीय पिंडों की गति का नियंत्रण प्राकृतिक नियमों के समान समुच्चय के द्वारा होता है, इसे दर्शाने के लिए उन्होंने ग्रहीय गति के केपलर के नियमों तथा अपने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत के बीच निरंतरता स्थापित की, इस प्रकार से सूर्य केन्द्रीयता और वैज्ञानिक क्रांति के आधुनिकीकरण के बारे में पिछले संदेह को दूर किया।

यांत्रिकी में, न्यूटन ने संवेग तथा कोणीय संवेग दोनों के संरक्षण के सिद्धांतों को स्थापित किया। प्रकाशिकी में, उन्होंने पहला व्यवहारिक परावर्ती दूरदर्शी बनाया[5] और इस आधार पर रंग का सिद्धांत विकसित किया कि एक प्रिज्म श्वेत प्रकाश को कई रंगों में अपघटित कर देता है जो दृश्य स्पेक्ट्रम बनाते हैं। उन्होंने शीतलन का नियम दिया और ध्वनि की गति का अध्ययन किया। गणित में, अवकलन और समाकलन कलन के विकास का श्रेय गोटफ्राइड लीबनीज के साथ न्यूटन को जाता है। उन्होंने सामान्यीकृत द्विपद प्रमेय का भी प्रदर्शन किया और एक फलन के शून्यों के सन्निकटन के लिए तथाकथित “न्यूटन की विधि” का विकास किया और घात श्रृंखला के अध्ययन में योगदान दिया।

वैज्ञानिकों के बीच न्यूटन की स्थिति बहुत शीर्ष पद पर है, ऐसा ब्रिटेन की रोयल सोसाइटी में 2005 में हुए वैज्ञानिकों के एक सर्वेक्षण के द्वारा प्रदर्शित होता है, जिसमें पूछा गया कि विज्ञान के इतिहास पर किसका प्रभाव अधिक गहरा है, न्यूटन का या एल्बर्ट आइंस्टीन का। इस सर्वेक्षण में न्यूटन को अधिक प्रभावी पाया गया।[6]. न्यूटन अत्यधिक धार्मिक भी थे, हालाँकि वे एक अपरंपरागत ईसाई थे, उन्होंने प्राकृतिक विज्ञान, जिसके लिए उन्हें आज याद किया जाता है, की तुलना में बाइबिल हेर्मेनेयुटिक्स पर अधिक लिखा।

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