रेफ्रिजरेंट्स क्या होता है और इसके प्रकार 

रेफ्रिजरेंट्स क्या होता है और इसके प्रकार

Refrigerants in Hindi : रेफ्रिजरेट एक पदार्थ है जिसका प्रयोग रेफ्रिज़रेटिंग सिस्टम में हीट को ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है। लो टेम्प्रेचर और प्रेशर पर भाप बनाकर यह हीट को लेता है और Higher टेम्प्रेचर और प्रैशर पर कंडेंस होकर इस हीट को देता है.यह एक ऐसा पदार्थ है, जो एवैपोरेटर से ऊष्मा ग्रहण करके शीघ्र ही तरल से गैसीय अवस्था में परिवर्तित हो जाता है तथा कण्डेन्सर में ऊष्मा त्यागकर गैस से तरल अवस्था में आ जाता है.

रेफ्रिजरेन्ट के रूप में सर्वप्रथम बर्फ व नमक का मिश्रण प्रयोग किया जाता था। इसके पश्चात् पर्किन्स (Perkins) नामक वैज्ञानिक ने 1834 ई. में ईथर को रेफ्रिजरेन्ट के रूप में प्रयोग किया। इसके बाद 1875 ई. में एथिल क्लोराइड तथा अमोनिया, 1878 ई. में मेथिल क्लोराइड एवं 1881 ई. में कार्बन डाइऑक्साइड आदि का उपयोग किया जाने लगा। वर्तमान में रेफ्रिजरेशन एवं एयर कण्डीशनिंग प्रणाली में क्लोरोफ्लोरो कार्बन, डाइड्रो क्लोरोफ्लोरो कार्बन तथा अमोनिया आदि रेफ्रिजरेन्ट प्रयोग किए जा रहे हैं।

अच्छे रेफ्रिजरेन्ट्स के गुण

  1. रेफ्रिजरेंट शीघ्र भाप में बदलने वाला या भाप में बदलने योग्य अवश्य होना चाहिए।
  2. रेफ्रिजरेंट को जलना नहीं चाहिए, जलाने में सहायक या विस्फोट वाला नहीं होना चाहिए।
  3. क्रीटिकल टेम्प्रेचर, कंडेंसिंग टेम्प्रेचर से काफी अधिक होना चाहिए।
  4. रेफ्रिजरेंट का दाम उचित होना चाहिए और कमर्शियल यूज़ के लिए पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होना चाहिए।
  5. रेफ्रिजरेंट को स्टेबल होना चाहिए और आपरेटिंग कंडीशनों के अंतर्गत इसमें ब्रेकडाउन या डिकम्पोज की प्रवृति नहीं होनी चाहिए।
  6. रेफ्रिजरेंट का उचित इवेपोरेटिंग और कंडेंसिंग प्रैशर होना चाहिए।
  7. कम्प्रेसर द्वारा दी गई आयतन के लिए, रेफ्रिजरेंट को अधिक से अधिक रेफ्रिजरेशन उत्पन्न कराना चाहिए।
  8. रेफ्रिजरेंट को व्यक्तियों के लिए नुकसानदायक नहीं होना चाहिए तथा इसमें एक गंध होनी चाहिए जिससे इसकी उपस्थिति का पता लग जाए।
  9. कंडेंसिंग तापमान पर कम्प्रैशन के लिए, न्यूनतम पॉवर की आवश्यकता होनी चाहिए।
  10. कम्प्रेसर या अन्य कम्पोनेंट्स में प्रयोग होने वाले लुब्रिकेंट्स या धातुओं पर यह नुकसानदायक नहीं होना चाहिए।
  11. रेफ्रिजरेंट के वाष्पीकरण की लेटेंट हीट उच्च होनी चाहिए।
  12. सरल टेस्टों द्वारा इसकी लीकेज का पता लगाने योग्य होनी चाहिए।

रेफ्रिजरेन्ट्स का वर्गीकरण

रेफ्रिजरेन्ट को निम्न दो वर्गों में वर्गीकृत किया गया है|

1. प्राथमिक रेफ्रिजरेन्ट
2. द्वितीयक रेफ्रिजरेन्ट

1. प्राथमिक रेफ्रिजरेन्ट

ऐसे रेफ्रिजरेन्ट, जो सीधे ही पदार्थों की ऊष्मा को शोषित करके उन्हें ठण्डा करते हैं, प्राथमिक रेफ्रिजरेन्ट कहलाते हैं। ‘कूलिंग की प्रत्यक्ष प्रणाली में प्राथमिक रेफ्रिजरेन्ट का प्रयोग किया  जाता है; जैसे—अमोनिया, फ्रिऑन, सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड इत्यादि।

प्राथमिक रेफ्रिजरेन्ट प्राय: निम्नलिखित प्रकार के होते हैं

  1. हैलोकार्बन रेफ्रिजरेन्ट
  2. हाइड्रोकार्बन रेफ्रिजरेन्ट
  3. एजियोट्रॉप्स रेफ्रिजरेन्ट
  4. अकार्बनिक रेफ्रिजरेन्ट
  5. असन्तृप्त कार्बनिक रेफ्रिजरेन्ट
  6. हाइड्रो फ्लोरो कार्बन रेफ्रिजरेन्ट

2. द्वितीयक रेफ्रिजरेन्ट

वे रेफ्रिजरेन्ट, जिन्हें प्रयोग करने से पूर्व प्राथमिक रेफ्रिजरेन्ट की सहायता से ठण्डा किया जाता है, ‘द्वितीयक रेफ्रिजरेन्ट’ (secondary refrigerants) कहलाते हैं। इन रेफ्रिजरेन्ट्स का प्रयोग अप्रत्यक्ष रेफ्रिजरेशन प्रणाली में किया जाता है। अप्रत्यक्ष रेफ्रिजरेशन प्रणाली में ऊष्मा का स्थानान्तरण एक ही माध्यम से न होकर, अलग-अलग माध्यमों द्वारा होता है।

द्वितीयक रेफ्रिजरेन्ट निम्न प्रकार के होते हैं

  1. जल
  2. ब्राइन
  3. एण्टिफ्रीज़
  4. मिथाइलीन क्लोराइड एवं R-11

Refrigerants Used in Refrigeration and Air Conditioning

रेफ्रिजरेशन एवं एयर कण्डीशनिंग प्रणाली में सामान्य रूप से प्रयुक्त होने वाले रेफ्रिजरेन्ट्स निम्न प्रकार हैं.

मिथाइल क्लोराइड : यह घरेलू और व्यापारिक रेफ्रिजरेशन प्रणालियों में सीमित मात्रा में प्रयोग होता है। हल्का मिथाइल क्लोराइड नशीला नहीं होता है, परन्तु गाढ़ा (concentrate) मिथाइल क्लोराइड नशीला बन जाता है। यह वायु से मिलकर ज्वलनशील बन जाता है। यह धातु एल्युमीनियम, जिंक, मैग्नीशियम और इनके यौगिक धातुओं । के सम्पर्क में आने पर हानिकारक प्रभाव छोड़ देता है। इस कारण इन धातुओं | को इस रेफ्रिजरेन्ट वाले रेफ्रिजरेशन प्रणाली में प्रयोग नहीं किया जाता है।

अमोनिया : यह रेफ्रिजरेन्ट ऑयल में घुल जाता है उपकरण जो कण्डेन्सर और एवैपोरेटर क्वॉयल में जाने से पहले पृथक् हो जाता है। इसकी गुप्त ऊष्मा (313.53 kcal/kg) अधिक होने के कारण, रेफ्रिजरेशन प्रभाव बहुत अधिक होता है। यह आइस प्लांट (ice plant) बेकिंग प्लाण्ट, बड़े कोल्ड स्टोरेज आदि में प्रयोग होती है। अमोनिया के रिसाव परीक्षण के लिए गन्धक की छड़ (sulphur stick) प्रयोग की जाती है। जैसे ही गन्धक अमोनिया के सम्पर्क में आती है, तो सफेद धुआँ उत्पन्न होने लगता है.

कार्बन डाइऑक्साइड : यह रेफ्रिजरेन्ट आजकल यान्त्रिकीय रेफ्रिजरेशन में प्रयोग किया जाता है। यह रंगहीन और गन्धरहित होता है तथा यह विस्फोटक नहीं है और न ही ज्वलनशील है। यह नशीला भी नहीं है। यह तेल से हल्का होता है, इस कारण तेल में घुलनशील नहीं है। इसके रिसाव को साबुन के झाग से ज्ञात किया जाता है। यह अधिक रेफ्रिजरेशन प्रभाव और कम स्थान वाले एयर कण्डीशनिंग संयन्त्र में प्रयोग किया जाता है।

सल्फर डाइऑक्साइड   : इससे खाद्य पदार्थ सड़ने या गलने नहीं पाते। इसके रिसाव की जाँच के लिए। अमोनिया को इसके समीप ले जाने पर सफेद धुआँ निकलता है। रिसाव वाले भाग पर अमोनिया में डूबे हुए कपड़े को लेपट दिया जाए तो रिसाव नहीं होता है। अमोनिया न होने पर लीकेज को साबुन के भाग से भी ठीक किया जा सकता है.

फ्रिॉन-11 : यह अज्वलनशील, अविषैला और जंग न लगने वाला रेफ्रिजरेन्ट होता है। इसका क्वथनांक 23.8°C है। यह बड़े-बड़े एयर कण्डीशनिंग संयन्त्र में प्रयोग किया जाता है। इसके लिए सेन्ट्रीफ्यूगल कम्प्रेसर का प्रयोग किया जाता है, क्योंकि इस रेफ्रिजरेन्ट का ऑपरेटिंग प्रैशर कम होता है। इसका अणुभार 137.38 और कम्प्रेसन अनुपात 6.24 तथा वाष्प का आपेक्षित घनत्व -15°C पर 0.8m/kg है। इसका प्रयोग 50% क्षमता वाली मशीनों में किया जाता है।

फ्रिऑन-12 : आजकल इसका प्रयोग औद्योगिक, व्यापारिक और घरेलू तौर पर अधिक किया जाता है। इसके अतिरिक्त आइसक्रीम केबिनेट, फूड प्रोडक्ट, फूड लॉकर संक्न्त्र, वाटर कूलर आदि में भी इसका प्रयोग किया जाता है। यह विषैला नहीं होता है और न शरीर के किसी भाग पर हानिकारक प्रभाव डालता है। यह गन्धहीन होता है तथा सामान्य दाब पर ही वाष्प से द्रव में परिवर्तित हो जाता है.

फ्रिऑन-13 : इसका पूरा नाम मोनो-क्लोरो ट्राई फ्लोरो मीथेन है। यह रेफ्रिजरेन्ट कम तापमान वाले रेफ्रिजरेशन एवं एयर कण्डीशनिंग उपकरणों में प्रयोग होता है। यह  रेफ्रिजरेन्ट रेसिप्रोकेटिंग कम्प्रेसरों के लिए उपयुक्त रहता है। इसका क्वथनांक -45°C, हिमांक -145°C तथा क्रान्तिक तापमान 29°C होता है।

फ्रिऑन-14:  इसका पूरा नाम टेट्रा-फ्लोरो मीथेन है। यह औद्योगिक रेफ्रिजरेशन संयन्त्रों में प्रयोग होता है। इसमें भी रेसिप्रोकेटिंग कम्प्रेसर प्रयोग किया जाता है। इसका क्वथनांक 92°C, हिमांक -155°C तथा क्रान्तिक तापमान 10°C होता है।

फ्रिऑन-21 :  इसका पूरा नाम डाइ-क्लोरो मोनो-फ्लोरो मीथेन है। यह कम हॉर्सपावर वाले घरेलू रेफ्रिजरेशन संयन्त्र में प्रयोग किया जाता है। यह सिंगल स्टेज या मल्टीस्टेज के कम्प्रेसर के साथ औद्योगिक एयर कण्डीशनरों में प्रयोग होता है। इसकी रेफ्रिजरेशन क्षमता 100 टन होती है।

फ्रिऑन-22 : इस रेफ्रिजरेन्ट का पूरा नाम मोनो-क्लोरो डाइ-फ्लोरो मीथेन है। यह आवश्यक रेफ्रिजरेशन प्रभाव उत्पन्न करने के लिए पॉजिटिव प्रैशर (positive pressure) पर कार्य करता है। यह नमी को शीघ्रता से शोषित कर लेता है। इसकी रेफ्रिजरेशन क्षमता F-12 से 60% अधिक होती है। इसके लिए कम व्यास के पाइप प्रयोग किए जाते हैं। यह घरेलू और व्यापारिक रेफ्रिजरेशन एवं एयर कण्डीशनिंग संयन्त्रों में प्रयोग किया जाता है।

फ्रिऑन-113 : इसका पूरा नाम ट्राई-क्लोरो, ट्राइ-फ्लोरो ईथेन है। यह चार या इससे अधिक स्टेज के सेन्ट्रीफ्यूगल कम्प्रेसरों में प्रयोग किया जाता है.

फ्रिऑन-114 : इसका पूरा नाम डाइ-क्लोरो टेट्रा-फ्लोरो ईथेन है। यह घरेलू रेफ्रिजरेशन प्रणालियों और पानी के कूलरों में प्रयोग होता है। इसके लिए सील्ड रोटरी टाइप कम्प्रेसर का प्रयोग होता है। यह व्यापारिक एयर कण्डीशनरों में भी प्रयुक्त होता है।

रेफ्रिजरेन्ट R-134 a : कुछ समय पहले वैज्ञानिकों ने यह पाया कि सभी क्लोरोफ्लोरो कार्बन्स (CFCs) जिनमें फ्रिऑन भी शामिल है, ने वायुमण्डल से ऊपर ओजोन परत (ozone layer) को प्रभावित किया है, जिससे इस परत में छिद्र हो गए हैं। इन छिद्रों से सूर्य की पराबैंगनी किरणें पृथ्वी पर आ रही हैं। ये किरणें मानवीय जीवन के लिए बहुत ही घातक होती हैं। एक अमेरिकी रेफ्रिजरेशन कम्पनी टैकुमैश (Tecumesh) के वैज्ञानिकों ने फ्रिऑन के स्थान पर एक नया रेफ्रिजरेन्ट R.134a का आविष्कार किया। इस रेफ्रिजरेन्ट का नाम हाइड्रोफ्लोरो कार्बन (HFC) रखा गया। इसका ओजोन परत पर कोई घातक प्रभाव नहीं पड़ता है।

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