कुचालक किसे कहते है और इसका उपयोग कंहा किया जाता है

कुचालक किसे कहते है और इसका उपयोग कंहा किया जाता है

कुचालक (Insulators)-ऐसे पदार्थ जिनमें करन्ट का प्रवाह अथवा मुक्त इलैक्ट्रोन्स का मुक्त होना या उनका किसी दिशा में मार्ग परिवर्तन होना कठिन होता है, कुचालक कहलाते हैं। कुछ कुचालकों के परमाणुओं की अन्तिम कक्षा में 4 अथवा 8 इलैक्ट्रोन्स होते हैं। अन्तिम कक्षा में 8 इलैक्ट्रोन्स रखने वाले पदार्थ बहुत अच्छे कुचालक होते हैं। रसायन शास्त्र में ऐसे पदार्थ निष्क्रिय पदार्थ (Inert elements) कहलाते हैं और वे किसी अन्य तत्व के साथ संयोग नहीं करते।

इलैक्ट्रानिक थ्योरी (Electronic Theory) के अनुसार वे पदार्थ जिनके बाहरी पथों में स्वतन्त्र इलैक्ट्रोनस (Free Electrons) नहीं होते, वे विद्युत के अच्छे कुचालक होते हैं। ऐसे पदार्थों के अन्तिम कक्ष में चार से अधिक इलैक्ट्रोनस (Electrons) होते हैं जो न्यूक्लिस (Nucleu) से बहुत शक्तिशाली से बंधे होते हैं। जिस कारण से इलैक्ट्रोनस या विद्युत करंट इनमें से नहीं गुजर सकता। बिजली के कार्यो | में कुचालक पदार्थों का बहुत अधिक प्रयोग किया जाता है।

कुचालकों का वर्गीकरण

Classifications of Insulators In Hindi: कुचालकों को भिन्न-भिन्न कार्यो के लिए, उनके आकार के अनुसार प्रयोग किया जाता है। मुख्यतः इन्हें तीन वर्गों में विभाजित किया गया है।

1.ठोस कुचालक (Solid Insulator) – यह ठोस, कठोर तथा भारी होते हैं, जैसे मारबल, चीनी मिट्टिी, बैकलाइट स्लेट तथा काँच इत्यादि।
2. नरम कुचालक (Soft Insulator) – यह वजन में हल्के होते हैं जैसे, सूत, रबड़, माइका, पी.वी.सी. इत्यादि।
3. द्रव या तरले कुचालक (Liquid Insulator) –  यह तरल रूप में होते हैं जैसे, तेल, वार्निश इत्यादि।

कुचालकों के गुण

Properties of Insulators In Hindi : अच्छे कुचालक में निम्नलिखित गुण उपस्थित होने चाहिएँ :

1.स्थायी (Permanent)-कुचालक का स्वभाव स्थायी रहने का होना चाहिए और भौतिक अवस्थाएँ परिवर्तित होने पर गुण समाप्त नहीं होने चाहिएँ।
2.उच्च ब्रेक-डाउन वोल्टेज (High Break-down Voltage)-कुचालक के ब्रेक- डाउन वोल्टेज का मान उच्च होना चाहिए
3.यांत्रिक सुदृढ़ता (Mechanical Strength) कुचालक पदार्थ यांत्रिक दबाव तथा कम्पन सहने योग्य होना चाहिए।
4.तापमान सहनशीलता (Temperature Tolerance) कुचालक पदार्थ वातावरण के तापमान, आर्द्रता आदि में होने वाले परिवर्तनों के सहने योग्य होना चाहिए। इसके अतिरिक्त यह उच्च तापमान सहन करने योग्य होना चाहिए और उच्च तापमान से उसकी भौतिक अथवा रासायनिक
संरचना में परिवर्तन नहीं होना चाहिए।
5.न्यूनतम विद्युत शोषक (Least Electric Absorbent) किसी कुचालक पदार्थ की विद्युत शोषक योग्यता न्यूनतम  होनी चाहिए जिससे कि विद्युत का अनावश्यक व्यय न हो।
6.डाइलैक्ट्रिक कॉन्सटैन्ट (Dielectric Con-stant) कुचालक पदार्थ के डाइलैक्ट्रिक कॉन्सटैन्ट का मान उच्च होना चाहिए।

कुचालक का उपयोग

रबड़ (Rubber) : शुद्ध रूप में रबड़ नरम होती है। इसमें लगभग 5% गन्धक तथा अन्य खनिज पदार्थ 150°c पर गर्म करके अर्थात पका कर (Vulcanised) बनाया जाता है। इस पर पानी का कोई प्रभाव नहीं होता परन्तु तेल व ग्रीस का प्रभाव पड़ता है। इसे वेल्केनाइज्ड इंसुलेशन रबड़ (V.I.R.) भी कहते हैं। इसका प्रयोग तारों पर इसुलेशन चढ़ाने, रबड़ दस्ताने एवं बैट्री के कंटेनर बनाने में किया जाता

बैकलाइट (Bakelite): बैकलाइट एक बढ़िया इंसुलेटिंग पदार्थ होता है यह काले तथा भूरे रंग के पाऊडर के रूप में होता है जिसे साँचे में डालकर ताप के दबाब में आवश्यकता अनुसार रूप प्रदान किया जाता है! इस प्रकार यह कठोर पदार्थ बन जाता है। इसका प्रयोग स्विच, होल्डर, सॉकिट् शू, तथा सीलिंग रोज इत्यादि में किया जाता है।

फाइबर (Fiber) : इसको भिन्न-भिन्न आकार व मोटाई में बनाया जा सकता है। इस पर आग का बहुत कम प्रभाव पड़ता है। इसे आसानी से काटा जा सकता है तथा आसानी से छेद (hole) किया जा सकता है। इसका उपयोग बिजली की वायरिंग में, पैनल बोर्ड बनाने में तथा मोटर आदि के टर्मीनल प्लेंटो में किया जाता है।

कागज (Paper) : सुखा कागज एक अच्छा कुचालक होता है। तेल या मोम में डुबोकर इसे नमी न सोखने वाला बनाया जा सकता है इसमें अन्य रासायनिक पदार्थ मिलाकर इसे लैदराइज्ड कागज बनाया जाता है जिसे वाइन्डिग में इन्सुलेटर के रूप में प्रयोग किया जा सकता है इसमें काफी लचक होती है तथा यह सस्ता होता है। इसका प्रयोग कसर बनाने में टेलिफोन के तारों आदि में किया जाता है।

लकड़ी (Wood) : सुखी लकड़ी भी विद्युत की अच्छी कुचालक होती है। यह नमी तथा आग के प्रभाव में जल्दी आ जाती है, फिर भी तेल या वार्निश में डुबोकर इसे लो वोल्टेज (Low Voltage) के लिए काम में लाया जाता है। इसका उपयोग बिजली की सामग्री जैसे, राऊण्ड ब्लाक, वाइडिंग के बोर्ड, पैनेल बोर्ड, लाइनो के खम्बे तथा लैड़ ऐसिड बैट्री के सैपरेटर में प्रयोग किया जाता है।

काँच (Glass) : यह एक अच्छा पारदर्शी कुचालक होता है। इस पर नमी, तेल ग्रीस तथा रासायनिक क्रियाओं का प्रभाव नहीं होता। इसके बारिक रेशे बनाकर तार को इन्सुलेट किया जाता है जिसका प्रयोग जहाजों में किया जाता है। परन्तु इसकी यांत्रिक शक्ति कम होती है अर्थात यह एक टूटने वाला पदार्थ होता है इसका उपयोग बिजली के बल्ब, मर्करी लैम्प, टयूब, औवरहैड लाइन के कुचालक (इंसुलेटर) आदि बनाने में किया जाता है।

एबोनाइट या वल्केनाइट (Ebonite or Vulcanite) : यह लकड़ी जैसा, काले रंग का पदार्थ होता है इसे गन्धक के साथ मिलाकर 150°c पर गर्म करके तैयार किया जाता है। गन्ध क की मात्रा 30% से 50% तक हो सकती है। इसे आवश्यकता अनुसार आकृति दे सकते हैं। इस पर पानी का प्रभाव नहीं होता! अधिक तापमान वाले स्थान पर इसे प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि 70°c पर यह नरम हो जाता है। इसका उपयोग बैट्री के कटेनर तथा मीटरों की बाड़ी आदि बनाने में किया जाता

चीनी मिट्टी (Porcelain) : इसे आवश्यकता अनुसार आकार में ढाला जा सकता है। यह अग्निरोधी (fire proof) होती है इसके उपर चमकीली पालिश करने पर पानी का प्रभाव नहीं होता। इसका प्रयोग ज्यादातर किट- कैट – फ्यूज, पाइप एवं एन्सुलेटर आदि बनाने में किया जाता है।

अभ्रक (Mica) : यह बिजली के कार्यों में प्रयोग किए जाने वाला विद्युत का अच्छा कुचालक है। यह अग्निरोधी (Fire proof) तथा जलरोधी (water proof) है। इसका प्रयोग कम्युटेटर के सैगमेंटों में, इलैक्ट्रिक प्रैस में, वाणर बनाने में तथा हीटिंग ऐलीमैंट आदि में अधिक प्रयोग किया जाता है।

पी. वी. सी. (P.V.C.) : इसका पूरा नाम पोलीविनायल क्लोराइड़ (Polyvinyl Chloride) है। यह सिन्थेटिक होती है। जिसे भिन्न-भिन्न रेजिन (Resin) के मिश्रण से बनाया जाता है। इसका उपयोग फलैक्सीबल (flexible) तारों में इंसुलेशन चढ़ाने के लिए केबल्स में, तथा पी. वी. सी. पाइप में अधिक प्रयोग किया जाता है

एसबेस्टास (Asbestos) : यह सफेद रंग का हल्का इंसुलेटिंग पदार्थ होता है। यह अग्निरोधी (Fire proof) तथा उष्मा | (Heat) को रोकता है। इस पर रसायनिक क्रिया, तेजाब (Acid) आदि का प्रभाव नहीं होता। नमी को सोख लेता है। इसका उपयोग प्रैस, ओवन, बिजली के केतली तथा सर्किट ब्रेकर आदि में किया जाता है।

बिट्यूमन (Bitumen) : यह काले रंग का तारकोल जैसा पदार्थ होता है यह रबड़ से सस्ता होता है। गर्म होने पर नरम हो जाता है। यह निश्चित अवस्था तक जलरोधी (Water Proof) होता है। इसका उपयोग केबलों को इंसुलेट करने के लिए, वार्निश बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है।

खनिज तेल (Mineral oil) : इसे इंसुलेटिड़ तेल (Insulated oil) भी कहते हैं। खनिज तेल में यदि नमी न हो तो यह एक अच्छा कुचालक होता है इसमें चिंगारी व आग को सोखने की क्षमता होती है। इसका उपयोग स्टार्टर, ट्राँसफार्मर, अधिक करंट की क्षमता वाले स्विच गियर, आयल सर्किट बेकर में प्रयोग किया जाता है। यह गर्मी को कम तथा स्पार्क (चिंगारी) को खत्म कर देता है।

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