HTET PGT Commerce Previous Year Paper in Hindi
HTET PGT Commerce Previous Year Paper in Hindi
HTET PGT Commerce की भर्ती के लिए हर साल लाखों में द्वार तैयारी करते हैं और इसकी परीक्षा देते हैं लेकिन हर उम्मीदवार इस परीक्षा को पास नहीं कर पाता है क्योंकि वह सही समय पर सही तैयारी नहीं कर पाता है तो जो उम्मीदवार HTET PGT Commerce भर्ती की तैयारी कर रहा है. उसके लिए हमारी वेबसाइट पर काफी टेस्ट दिए गए हैं जिन्हें हल करके वह अपनी तैयारी कर सकता है आज की इस पोस्ट में भी आपको HTET PGT Commerce की परीक्षा में पूछे गए कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर 1 मॉक टेस्ट के रूप में दिए गए हैं जिसे हल करके आप अपनी तैयारी बेहतर बना सकते हैं.
• बाह्य प्रेरणा
• गणितीय प्रेरणा
• आन्तरिक तथा बाह्य प्रेरणा
• बालक के सामाजिक विकास में
• बालक के शारीरिक विकास में
• बालक के सांस्कृतिक विकास में
• पाठ्यवस्तु को रोचक बनाने में सहायता मिलती है।
• पाठ्यवस्तु को सरल तरीके से समझाने में सहायता मिलती है।
• इससे समय की बचत होती है।
• उचित व्याख्या, विश्लेषण, मूल्यांकन और निष्कर्ष निकालना।
• कुछ उत्पन्न करने और निर्माण करना।
• प्रतिक्रिया की विधियों का चिन्तन करना।
• सुरक्षात्मकता
• अस्वीकरण
• पश्चगमन
• यह अन्वेषण, अवलोकन महत्त्व पर बल देता है। और खोज के
• यह अध्यापक द्वारा अधिगमकर्ता को ज्ञान स्थानान्तरण पर बल देता है।
• यह अनुभवजन्य-अधिगम, समस्या-समाधान, सम्प्रत्यय-मानचित्र तथा सृजनशील-लेखन जैसी विधियों का प्रयोग करता है।
• विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण होना
• मैत्री संबंधों में भारी कमी होना
• विशिष्ट रुचियों में विस्तार होना।
• मूर्त क्रियात्मक अवधि
• पूर्व-क्रियात्मक अवधि
• इन्द्रिय गति अवधि
• गलती निकालना
• आलोचना करना
• नकारात्मक व्यवहार करना
• उपयुक्त सुविधा और सामग्री उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
• उन्हें चिह्नित (लेबल) कर देना चाहिए।
• व्यक्तिपरकता अनिवार्य करना चाहिए।
• शैशवावस्था के दौरान
• किशोरावस्था के दौरान
• वयस्कावस्था के दौरान
• मौलिकता
• विशुद्धता
• नवीनता
• शैक्षिक लब्धि (A.Q.) होती है।
• सांवेगिक लब्धि (E.Q.) होती है।
• आध्यात्मिक लब्धि (S.Q.) होती है।
• प्रोक्सिमोडिस्टल (अन्दर से बाहर की ओर)
• सामान्य से विशिष्ट
• शिरोपादीय
• माता-पिता का
• संगी-साथियों का
• चलचित्रों का
• विकासात्मक व्यवहार
• गलत व्यवहार
• सभी विकल्प सही हैं।
• ज्ञान वस्तुनिष्ठ, सार्वभौमिक और पूर्ण है।
• अध्यापक आधिकारिक ज्ञान छात्रों को स्थानान्तरित करता है।
• छात्र ‘सही’ उत्तर को तलाशते हैं।
• अन्तरा वैयक्तिक अन्तर
• वैयक्तिक अन्तर
• मापन योग्य वैयक्तिक अन्तर
• अभिधारणा
• अभिवृत्ति
• अभिप्रेरणा
• संवेग स्थायी होता है।
• प्रत्येक संवेग से एक भावना जुड़ी होती है।
• संवेग बाह्य उद्दीपनों से जाग्रत होता है।
• विकास के सभी पक्षों का मूल्यांकन करना।
• केवल छात्र के ज्ञान का मूल्यांकन करना।
• केवल छात्र की समझ का मूल्यांकन करना।
• वस्तुनिष्ठता
• वैधता
• व्यक्तिनिष्ठता
• तादात्मीकरण
• प्रजातन्त्रीय अनुशासन
• अति-संरक्षण
• शिक्षक की शिक्षण विधियों में परिवर्तन।
• पाठ्यवस्तु का परिमार्जन।
• पाठ्यवस्तु का पूर्ण होना।
• प्रजातांत्रिक उपागम
• संग्रहित उपागम
• आदर्श उपागम
• स्वयं उन पर आचरण करे।
• महान व्यक्तियों की कहानियाँ सुनाये।
• देवी-देवताओं की बातें करे।
• अभ्यास का नियम
• आत्मीकरण का नियम
• मनोवृत्ति का नियम