HTET Level 3 PGT Geography Solved Paper in Hindi
HTET Level 3 PGT Geography Solved Paper in Hindi
किसी भी परीक्षा की तैयारी करते समय आपको उस परीक्षा के सोल्ड प्रश्नपत्र को देखना चाहिए जिससे कि आपको यह पता चलेगा कि इस परीक्षा में किस प्रकार के प्रश्न पूछे गए थे. तो अगर आप HTET Level 3 PGT Geography की तैयारी कर रहे हैं तो इस पोस्ट में हम आपको HTET Level 3 PGT Geography का एक साल्व्ड प्रश्न पत्र दे रहे हैं जिसे आप खुद भी हल कर सकते हैं और अपनी तैयारी को बेहतर कर सकते हैं और साथ में ही इसके उत्तर दिए गए हैं जिससे आपको इसका सही उत्तर भी मिल जाएगा.
• मौलिकता
• विशुद्धता
• नवीनता
• व्यक्तिगत भिन्नताओं को विभिन्न कक्षा-कक्षों में पूरा करना।
• व्यक्तिगत भिन्नताओं को विशिष्ट विद्यालयों में पूरा करना।
• व्यक्तिगत भिन्नताओं को घर पर अनुदेशन देकर पूरा करना।
• गलती निकालना
• आलोचना करना
• नकारात्मक व्यवहार करना
• अभ्यास का नियम
• आत्मीकरण का नियम
• मनोवृत्ति का नियम
• शिक्षक की शिक्षण विधियों में परिवर्तन।
• पाठ्यवस्तु का परिमार्जन।
• पाठ्यवस्तु का पूर्ण होना।
• पाठ्यवस्तु को रोचक बनाने में सहायता मिलती है।
• पाठ्यवस्तु को सरल तरीके से समझाने में सहायता मिलती है।
• इससे समय की बचत होती है।
• विकास के सभी पक्षों का मूल्यांकन करना।
• केवल छात्र के ज्ञान का मूल्यांकन करना।
• केवल छात्र की समझ का मूल्यांकन करना।
• विकासात्मक व्यवहार
• गलत व्यवहार
• सभी विकल्प सही हैं।
• शैशवावस्था के दौरान
• किशोरावस्था के दौरान
• वयस्कावस्था के दौरान
• वस्तुनिष्ठता
• वैधता
• व्यक्तिनिष्ठता
• तादात्मीकरण
• प्रजातन्त्रीय अनुशासन
• अति-संरक्षण
• उचित व्याख्या, विश्लेषण, मूल्यांकन और निष्कर्ष निकालना।
• कुछ उत्पन्न करने और निर्माण करना।
• प्रतिक्रिया की विधियों का चिन्तन करना।
• प्रोक्सिमोडिस्टल (अन्दर से बाहर की ओर)
• सामान्य से विशिष्ट
• शिरोपादीय
• उपयुक्त सुविधा और सामग्री उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
• उन्हें चिह्नित (लेबल) कर देना चाहिए।
• व्यक्तिपरकता अनिवार्य करना चाहिए।
• सुरक्षात्मकता
• अस्वीकरण
• पश्चगमन
• अनुज्ञात्मक
• प्रजातान्त्रिक
• नियंत्रात्मक
• ज्ञान वस्तुनिष्ठ, सार्वभौमिक और पूर्ण है।
• अध्यापक आधिकारिक ज्ञान छात्रों को स्थानान्तरित करता है।
• छात्र ‘सही’ उत्तर को तलाशते हैं।
• मूर्त क्रियात्मक अवधि
• पूर्व-क्रियात्मक अवधि
• इन्द्रिय गति अवधि
• स्वयं उन पर आचरण करे।
• महान व्यक्तियों की कहानियाँ सुनाये।
• देवी-देवताओं की बातें करे।
• शैक्षिक लब्धि (A.Q.) होती है।
• सांवेगिक लब्धि (E.Q.) होती है।
• आध्यात्मिक लब्धि (S.Q.) होती है।
• अन्तरा वैयक्तिक अन्तर
• वैयक्तिक अन्तर
• मापन योग्य वैयक्तिक अन्तर
• यह अन्वेषण, अवलोकन महत्त्व पर बल देता है। और खोज के
• यह अध्यापक द्वारा अधिगमकर्ता को ज्ञान स्थानान्तरण पर बल देता है।
• यह अनुभवजन्य-अधिगम, समस्या-समाधान, सम्प्रत्यय-मानचित्र तथा सृजनशील-लेखन जैसी विधियों का प्रयोग करता है।
• बालक के सामाजिक विकास में
• बालक के शारीरिक विकास में
• बालक के सांस्कृतिक विकास में
• संवेग स्थायी होता है।
• प्रत्येक संवेग से एक भावना जुड़ी होती है।
• संवेग बाह्य उद्दीपनों से जाग्रत होता है।
• गलतियों के बिना लिखने से
• सही सूचना (संकेत) सुनने से
• गणितीय गणनाएँ करने से
• विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण होना
• मैत्री संबंधों में भारी कमी होना
• विशिष्ट रुचियों में विस्तार होना।
• अभिधारणा
• अभिवृत्ति
• अभिप्रेरणा