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प्राथमिक चिकित्सा के बारे में जानकारी

प्राथमिक चिकित्सा के बारे में जानकारी

First Aid in Hindi : प्राथमिक चिकित्सा बीमारी या क्षति होने की स्थिति में प्रारंभिक देखभाल की व्यवस्था है। यह प्रायः ऐसा व्यक्ति करता है जो निपुण तो नहीं परन्तु स्थिर चिकित्सा मिलने तक बीमार या घायल व्यक्ति की देखभाल करने के लिए प्रशिक्षित होता है।

सबसे पहले यदि पीड़ित व्यक्ति के कपड़ों में से चिगारी निकल रही हो या आग लगी हो तो उसे सुरक्षापूर्वक बुझाने का प्रयत्न करना चाहिए ।। और यदि पीड़ित व्यक्ति ठीक से सांस नही ले रहा या बेहोश है तो | निम्नलिखित विधियों द्वारा उसे होश में लाया जा सकता है। |

पहली विधि

इस विधि के अनुसार पीड़ित व्यक्ति को नीचे की तरफ मुँह करके उल्टा लिटा दो एवम् उसके दोनो हाथ आगे की तरफ फैला दो । पीड़ित व्यक्ति के एक तरफ बैठकर अपने दोनों हाथों को उसकी पीठ के नीचले हिस्से पर इस तरह फैलाओ कि आपके हाथों के अगुंठे आपस में छूते हुए पीड़ित व्यक्ति की रीढ़ की हड्डी पर हल्का सा दबाव देते हुए ऊपर की ओर ले जाए इस क्रिया को धीरे धीरे कई बार दोहराएं। यदि पीड़ित व्यक्ति को हालत में सुधार नजर आए तो क्रिया को बार बार दोहराए ।

दूसरी विधि

इस विधि के अनुसार पीड़ित व्यक्ति  को पीठ के बल लेटा दो । यह विधि जब प्रयोग में लाई जाती है जब पीड़ित व्यक्ति का आगे का हिस्सा या छाती जल जाए । पीड़ित व्यक्ति की नाक मुँह को अच्छी तरह से साफ करो । व्यक्ति के शरीर को सीधा करते हुए उसके कॅधों के नीचे कोई तकिया या नर्म चादर लपेट कर रख दो । पीड़ित व्यक्ति के सिर की तरफ बैठकर उसकी बाजुओं (हाथो) को सीधा करो। फिर उसकी बाजुओं (हाथो) को धीरे से छाती तक ले जाओ । दो या चार सैकिण्ड रूककर बाजुओं को फिर सीधा करो इस  पूरी प्रक्रिया को बार बार दोहराते रहो कि जब तक पीड़ित व्यक्ति को होश न आ जाए । इस विधि को सिलवेस्टर विधि (Sylvester’s Method) भी कहते है ।

तीसरी विधि

इस विधि में बिना समय नष्ट किए मरीज को तुरन्त राहत पहुँचाई जा सकती है । क्योंकि ऐसी परिस्थिति में एक एक सैकेण्ड बहुत ही कीमती होता है । ऐसी स्थिति में मरीज को तुरन्त साफ स्थान पर ले जाकर, उसके मुँह व नाक को अच्छी तरह से साफ करो । यदि मरीज का मुँह व जीभ जकड़ गए है तो जीभ को बाहर निकालकर मुँह व जीभ तथा गले को नर्म करने की कोशिश करों। फिर एक साफ रूमाल मरीज के मुँह पर रखकर अपने मुँह से हवा को जोर से उसके मुँह में भर दो । जिससे मरीज के फेफड़ों को हवा। आक्सीजन मिलेगी । इस क्रिया को बार बार करो जब तक मरीज को सांस आना शुरू हो जाए । यदि मरीज या पीड़ित व्यक्ति के मुँह जला हो या चोट लगी हो तो मरीज के नाक से मुँह लगाकर। इस विधि में भी पहले मरीज के मुँह व नाक को अच्छी तरह से साफ करो। अपने अंदर गहरी साँस लेकर अपने मुँह को मरीज की नाक से लगाकर उसमें हवा दो जिससे यह हवा उसके फेफड़ों तक जाएगी । जिससे मरीज के साँस आने में मदद मिलेगी । इस प्रक्रिया को बार बार दोहराओ जब तक कि मरीज को स्वयं सॉस आना शुरू हो जाए।

चौथी विधि

यह बहुत ही आसान एवम् सुरक्षित विधि है। यदि आपके पास कृत्रिम साँस यंत्र (Artificial Respirator) उपलब्ध है। आजकल इस विधि का बहुत प्रचलन है Artificial Respirator में हवा रबड़ वाल्व के माध्यम से एक कर्टेनर में इक्टठी हो जाती है। कटेन में दो वाल्व लगे होते है जो हवा
को अंदर व बाहर निकालते है . कृत्रिम सांस देने को विधि बहुत ही आसान व सुरक्षित (कीटाणु रहित) होती है । रबड़ के वाल्व को बार  बार दबाना छोडना चाहिए जब तक मरीज को सांस न आ जाए। डाक्टर के आने से पहले यदि उपरोक्त विधियों का प्रयोग किया जाए तो पीड़ित व्यक्ति को मरने से बचाया जा सकता है.

प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स की आवश्यक सामग्री

1. एक बॉक्स जिसमें घावों को साफ और कंवर करने के लिए, अलग-अलग लिपटी हुई बारह 100 x 100 मि.मी. ऊसर पट्टियाँ हों।
2. घावों इत्यादि पर ऊसर पट्टियां करने के लिए 50 मि.मी चौड़ी गेज पट्टी का रोल
3. 75 मि.मी. x 5 मीटर वाली कम से कम तीन रोलर पट्ट्यिां  टैंगुलर पट्टियां या स्लिंग बनाने के लिए 1 मीटर x 1 मीटर के तीन स्क्वायर टैगुलर पट्टियों को किसी स्थान पर पकड़े रखने के लिए 40 मि.मी. लम्बी सेफ्टी पिने
4. दो लकड़ी की खपच्चिया
5. मिली-जुली पट्टियों (बैंड-एड, कुराड या ऐसे ही उत्पादन) का बॉक्स
6. 25 मि.मी. और 50 मि.मी. चौड़े एडहेसिव टेपों के दो रोल
7. सोखने वाले कॉटन का रो
8. पेट्रोलियम जैली की ट्यूब
9. एंटीबायोटिक मलहम की ट्यूब
10. धूप की जलन, कीड़े-मकोड़े के काटने, चकतों आदि के लिए केलामाइन लोशन की बोतल
11. उल्टियां कराने के लिए इपेकेक सीरप की एक बोतल
12. बेकिंग सोडा (बाईकार्बोनेट ऑफ सोडा) का बॉक्स
13. कैंची
14. छोटी चिमटी
15. सुइयों का पैकेट
16. तेज धार वाला चाकू
17. मेडिसिन (आई) ड्रोपर
18. मापने वाला कप
19. : मुखवर्ती थर्मामीटर
20. मलाशयी थर्मामीटर
21. गर्म पानी की बोतल
22. बर्फ का बैग
23. लकड़ी की सुरक्षा माचिसों का बॉक्स
24. नयी बैटरियों के साथ फ्लैशलाइट

सुरक्षा संबंधी सावधानियाँ

सावधनी ही सुरक्षा का मूल मंत्र है अर्थात ‘‘सावधानी हटी ‘ दुर्घटना घटी ।कहने का तात्पर्य यह है कि जब जब सावधानी में चूक हुई है तब तब दुर्घटना घटी है । जब भी हम बिजली से संबंधित या अन्य कोई भी कार्य करते हैं तो स्वयं की सुरक्षा को ध्यान सबसे पहले रखना चाहिए क्योंकि किसी ने टीम ही कहा है कि ‘‘जान है – तो जहान है । बिजली का कार्य करने वाले व्यक्ति/इलैक्ट्रीशियन को निम्नलिखित सावधानियां अवश्य ही अपनानी चाहिए।

1.जैसा कि हम पहले पढ़ चुके हैं कि बिजली को हम खुली/ नंगी आँखों से नहीं देख सकते, इसलिए बिजली का कार्य करते समय
हमेशा सावधान/संचेत रहना चाहिए ।
2.यदि किसी उपकरण या मशीन के बारे में जानकारी (Knowledge) नहीं है या फिर अधूरा ज्ञान/जानकारी (Knowledge) है उससे बिल्कुल भी छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए ।
3.बिजली का कार्य करते समय सदैव बिजली के नियमों का पालन करना चाहिए ।
4.बिजली का कार्य करते समय उचित क्वालिटी के औजार और अच्छी तरह से इंसुलेटेड  औजारों का ही प्रयोग करना चाहिए।
5.वर्कशाप में या बिजली का काम करते समय ढीले-वस्त्र कुर्ता पायजामा इत्यादि एवम् हाथों में लोहे आदि के कड़े (Hand Ring) पहनकर नहीं जाना चाहिए । दुर्घटना की सम्भावना अधिक होती है।
6.विद्युत का कार्य करते समय इलैक्ट्रीशियन/वायरमैन को शाँत स्वभाव और बिना किसी दबाव के कार्य करना चाहिए।
7.बिजली का कार्य करते समय किसी भी प्रकार का धुम्रपान या नशा नहीं करना चाहिए ।
8.पोल या टावर पर कार्य करते समय सदैव सुरक्षा पेटी (Safety Belt) का प्रयोग करना चाहिए ।
9. सीढ़ी पर बिजली का कार्य करते समय एक सहायक, सीढ़ी पकड़ने एवं समान पकड़ाने के लिए अवश्य होना चाहिए।
10.तेज – धार वाले या नुकीले औजारों का प्रयोग सावधानी से करना चाहिए उन्हें जेब में नहीं डालना चाहिए।
11.तारों को मुँह से नही छीलना चाहिए ।
12.बिजली का काम करते समय हाथों में अच्छे इन्सुलेशन के दस्ताने व पैरों में बढ़िया इन्सुलेशन के जूते पहनकर ही कार्य
करना चाहिए ।
13.प्लास (Pliers) को हथौड़े की तरह प्रयोग नहीं करना चाहिए एवं प्लास (Pliers) का इन्सुलेशन भी अच्छी क्वालिटी (Quality) का होना चाहिए ।
14.फेज वायर या पोजिटिव वायर को सदैव स्विच (Switch) से ही कंट्रोल करना चाहिए ।
15.किसी भी सर्किट में सप्लाई तब तक नहीं देनी चाहिए जब तक यह सुनिचित न हो जाए की सर्किट पूर्ण रूप से ठीक है।
16.स्विच (Switch) को बंद करने के बाद ही फ्यूज वायर बदलनी चाहिए ।
17.बिजली पर कार्य करने से पहले मुख्य सप्लाई को अवश्य बंद करो
18. टू – पिन और थ्री पिन शू टोप को तार से खीचकर सांकेट से अलग नहीं करना चाहिए ।
19.थ्री – पिन शू – टोप में, (तीसरी मोटी पिन) अर्थ (Earth) वायर अवश्य लगानी चाहिए ।
20. बिजली की तारो में आग लग जाने पर उस पर कभी भी पानी नही डालना चाहिए । सबसे पहले मेन स्विच (Main Switch) को बंद (OFF) करो । उसके तुरन्त बाद रेत (sand) या फिर आग बुझाने वाले उपकरण सी टी सी का प्रयोग करना चाहिए।

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