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प्रारूप समिति के सदस्य बारे शोर्ट ट्रिक

प्रारूप समिति के सदस्य बारे शोर्ट ट्रिक

हेल्लो दोस्तों आज हम आपके सामने प्रारूप समिति के सदस्य के बारे में कैसे याद रख सकते है उस के बारे में शोर्ट ट्रिक बतायेंगे जैसा कि आप जानते है कि शोर्ट ट्रिक का किसी भी तरह के एग्जाम या टेस्ट कि तैयारी में कितना अधिक महत्व होता है तो उस से संबंधित आज हम आपको कुछ शोर्ट ट्रिक बतायेंगे जो कि आपके लिए बहुत सहायक होंगी तो दोस्तो आज हम आपको जो GK Trick बताने जा रहे है , उससे आप प्रारूप समिति के सभी सातों सदस्यों के नाम आसानी से याद रख पाऐंगे

आप सभी जानते है कि हमारे संविधान का निर्माण प्रारूप समिति (Draft Committee) द्वारा किया गया था , जिसके अध्यक्ष डा. भीमराव अंबेडकर थे !  डा. भीमराव अंबेडकर के अलावा इस समिति में 6 सदस्य और थे , मतलब कि प्रारुप समिति के कुल सदस्यों की संख्या 7 थी

तो दोस्तो आज हम आपको जो GK Trick बताने जा रहे है , उससे आप प्रारूप समिति के सभी सातों सदस्यों के नाम आसानी से याद रख पाऐंगे
अंबेडकर         –  भीमराव अंबेडकर
आये               – N. G. आयंगर
मित्र                – B. L. मित्रा
मुंशी               – K. M. मुंशी
क्रष्णा              – क्रष्णा  स्वामी आयंगर
साथ                – सय्यद मोहम्मद सादुल्लाह
खेत                 – D. P. खेतान
अंबेडकर आये मित्र मुंशी क्रष्णा के साथ खेत पर

आप इन प्रारूप समिति के सदस्यों को याद रखने के लिए इस लाइन को याद रख सकते है
Note –  बाद में B. L. मित्रा के स्थान पर N. माधवराज व D. P. खेतान के स्थान पर T. T. क्रष्णामाचारी सदस्य बने

संविधान निर्माण में योगदान देने वाले कुछ अन्य लोग :-

पंडित जवाहर लाल नेहरू
हमारे पहले प्रधानमंत्री थे नेहरू। हम इन्हीं के जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में 14 नवंबर को मनाते हैं। ये संविधान सभा में राज्यों की समिति, संघीय शक्ति समिति और संघीय संविधान समिति के अध्यक्ष थे। इन्हें आधुनिक भारत का निर्माता कहा जाता है। आजादी की लड़ाई में कूदने से पहले यह इलाहाबाद हाई कोर्ट में वकालत करते थे।

सरदार वल्लभ भाई पटेल
लौहपुरुष के नाम से विख्यात सरदार पटेल मूलभूत अधिकारों, अल्पसंख्यक और कबाइली क्षेत्रों की सलाहकार समिति के अध्यक्ष थे। संविधान के निर्माण और भारत को आजादी के बाद एक झंडे के तले लाने में इनकी भूमिका सर्वोपरि है। आजादी के समय हमारा देश अलग-अलग रियासतों में बंटा था और सरदार पटेल ने इन्हें एकजुट किया। इन्होंने सत्याग्रह और आजादी की लड़ाई में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इनका जन्म 31 अक्टूबर 1875 को तत्कालीन बॉम्बे प्रेसीडेंसी में हुआ था। ये भी पेशे से वकील थे। ये भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री थे। इनका निधन 15 दिसंबर 1950 को हुआ।

आचार्य जे बी कृपलानी
इन्हें आचार्य कृपलानी के नाम से जाना जाता है। ये संविधान सभा में मूलभूत अधिकारों की उपसमिति के अध्यक्ष थे। इनका जन्म 11 नवंबर 1888 को हुआ था। ये मशहूर गांधीवादी, समाजवादी, पर्यावरणविद् और जमीन से जुडे़ स्वतंत्रता सेनानी थे। इन्होंने बिहार के मुजफ्फरपुर कॉलेज, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया था। इनका निधन 19 मार्च 1982 को हुआ। इनकी पत्नी सुचेता कृपलानी देश की पहली महिला
मुख्यमंत्री थीं।

सरोजिनी नायडू
भारत कोकिला के नाम से मशहूर सरोजिनी नायडू संविधान सभा की सदस्या थीं। वे संविधान सभा की पहली बैठक में मौजदू थीं। बंगाल विभाजन के दौरान ये कांग्रेस में शामिल हुईं और आजादी की लड़ाई में सक्रिय रहीं। इनका जन्म हैदराबाद में 13 फरवरी 1879 को हुआ और निधन 70 साल की उम्र में 2 मार्च 1949 को हुआ।

गोविंद वल्लभ पंत
गोविंद वल्लभ पंत का जन्म अल्मोड़ा के पास 10 सितंबर 1887 को हुआ था। ये पेशे से वकील थे। इन्हें स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने के कारण कई बार जेल जाना पड़ा। भारत छोड़ों आंदोलन के दौरान इन्हें अहमदनगर किले में तीन साल कैद में काटने पडे़ थे। इन्हें भारतरत्न से सम्मानित किया गया। इन्होंने भाषायी आधार पर राज्यों को एकीकृत करने का काम किया। ये वर्ष 1955 से 1961 तक केंद्रीय मंत्री भी रहे। इनका निधन 7 मार्च 1961 को हुआ था।

डॉं. बी आर अंबेडकर
ये संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति के अध्यक्ष थे। इन्हें बाबा साहेब के नाम से भी जाना जाता है। इनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को हुआ था। इन्हें संविधान का निर्माता माना जाता है। संविधान तैयार करने में इनका सबसे अधिक योगदान रहा है। इन्होंने जीवन भर अस्पृश्यता के खिलाफ संघर्ष किया। जीवन के अंतिम क्षणों में इन्होंने बौद्ध धर्म स्वीकार किया।

शरत चंद्र बोस
संविधान सभा के सदस्य थे। इनका जन्म 6 सितंबर 1889 को हुआ था। ये एक वकील और स्वतंत्रता सेनानी थे। ये नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बड़े भाई थे। इनका निधन 20 फरवरी 1950 को हुआ। इन्होंने भारत छोड़ों आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था।

सी राजगोपालाचारी
इन्हें राजाजी के नाम से जाना जाता है। ये संविधान सभा की पहली बैठक में उपस्थित थे। इनका जन्म 10 दिसंबर 1878 को हुआ। ये स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय गवर्नर जनरल थे। ये प्रसिद्ध वकील, स्वतंत्रता सेनानी, लेखक, दार्शनिक और राजनीतिज्ञ थे। इन्होंने अपनी पुत्री लक्ष्मी का विवाह गांधी जी के पुत्र देवदास गांधी से कराया था। ये मद्रास के मुख्यमंत्री, भारत के गृहमंत्री और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे। इनका निधन 25 दिसंबर 1972 को हुआ।

इनका योगदान भी कम नहीं…
डॉं. सच्चिदानंद सिन्हा
– संविधान सभा के अस्थायी अध्यक्ष थे। 20 साल की उम्र में इन्होंने बिहार को अलग राज्य बनाने के लिये आंदोलन छेड़ा था। 1936-1944 तक पटना विश्वविद्यालय के उपकुलपति रहे।

ए कृष्णास्वामी अय्यर– संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति के 6 सदस्यों में से एक थे। ये मद्रास के एडवोकेट जनरल थे।
बी पट्टाभि सीतारमैया- संविधान सभा में हाउस कमेटी के अध्यक्ष थे। 1952 -1957 तक मध्यप्रदेश के राज्यपाल रहे।
के एम मुंशी- भारतीय विद्या भवन की स्थापना की। ये साहित्यकार थे। संविधान सभा में ऑर्डर ऑफ बिजनेस कमेटी के अध्यक्ष थे।
जी वी मावलंकर- संविधान सभा की कार्रवाई समिति के अध्यक्ष थे। ये लोकसभा के पहले अध्यक्ष थे।
एच सी मुखर्जी- संविधान सभा में अल्पसंख्यकों की उपसमिति के अध्यक्ष थे। पश्चिम बंगाल के पहले राज्यपाल बने।
गोपीनाथ बारदोलोई– संविधान सभा में नार्थ-ईस्ट फ्रंटियर ट्राइबल एरिया एंड असम की उपसमिति के अध्यक्ष थे।
ए वी ठक्कर– संविधान सभा में असम को छोड़कर अन्य क्षेत्रों की उपसमिति के अध्यक्ष थे। हरिजनों के उत्थान में योगदान दिया।
बी एल मित्तर– ये संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति के 6 सदस्यों में से एक थे। ये एडवोकेट जनरल थे।
सैयद मोहम्मद सादुल्लाह– संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति के 6 सदस्यों में से एक थे। प्रसिद्ध वकील थे।

डी पी खैतान- प्रसिद्ध वकील थे। ये संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति के 6 सदस्यों में से एक थे।
बी एन राव- संविधान सभा के सलाहकार थे। संयुक्त राष्ट्र में भारत के पहले स्थायी प्रतिनिधि रहे।
माधव राव- बी एल मित्तर के इस्तीफे के बाद इन्हें संविधान की मसौदा निर्माण समिति का सदस्य नियुक्त किया गया था।
टी टी कृष्णमाचारी- डी पी खैतान के निधन के बाद इन्हें ही संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति में जगह दी गयी थी।
एन गोपालस्वामी अयंगर- संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति के 6 सदस्यों में से एक थे। आजादी के पहले कश्मीर के प्रधानमंत्री  थे।
श्री हरे कृष्ण महताब- यह संविधान सभा के सदस्य थे और 1946 से 1950 तक उड़ीसा के मुख्यमंत्री रहे। इन्होंने दांडी मार्च में हिस्सा लिया और अस्पृश्यता के खिलाफ आंदोलन किया।
एम आसफ अली- यह संविधान सभा के सदस्य थे। ये प्रसिद्ध वकील और स्वतंत्रता सेनानी थे। इन्हें कई बार जेल जाना पड़ा था। ये अमेरिका में भारत के पहले राजदूत थे।
भारत की जनता- संविधान के निर्माण में, उसके अनुपालन में और उसके प्रति आस्था की अभिव्यक्ति में भारतीय जनता का स्थान सर्वोपरि है, क्योंकि यह पूरा संविधान हम भारत के लोगों के द्वारा ही अंगीकृत और आत्मार्पित है।

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