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कंप्यूटर की आउटपुट डिवाइस कौन सी है

कंप्यूटर की आउटपुट डिवाइस कौन सी है

आउटपुट डिवाइस का इस्तेमाल कंप्यूटर द्वारा किए गए काम को देखने या प्राप्त करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है आउटपुट डिवाइस हार्ड कॉपी या सॉफ्ट कॉपी के रूप में आपको परिणाम देता है. जैसे कि अगर आप कोई भी वीडियो देख रहे हैं तो इसके लिए आपको मॉनिटर का इस्तेमाल करना पड़ता है तो मॉनिटर एक आउटपुट डिवाइस है जो कि उस वीडियो को दिखाता है.

इसी प्रकार अगर आप अगर कोई ऑडियो सुनना चाहते हैं तो इसके लिए आपको स्पीकर का इस्तेमाल करना पड़ता है ताकि कंप्यूटर द्वारा दी जाने वाली ऑडियो को आप सुन सके तो इसी प्रकार स्पीकर एक आउटपुट डिवाइस है. इसके अलावा कंप्यूटर के साथ में और भी कई आउटपुट डिवाइस जोड़ी जाती है जिससे कि आपको अलग-अलग प्रकार की आउटपुट मिलती है जिसके बारे में नीचे आपको विस्तार पूर्वक बताया गया है.

Monitor

यह सबसे अधिक प्रयोग में लाया जाने वाला साधन है, जो दिखने में एक साधारण टेलीविजन के समान होता है । इसके पर्दे (Screen) पर प्रोग्रामों के सारे परिणाम आदि दिखाई देते हैं । मॉनीटर एक रंग का और बहरंगी (Multi Colour) हो सकता है ।

मॉनीटर को Visual Display Device-VDU  भी कहते हैं। मॉनीटर सीपीयू से प्राप्त परिणाम को सॉफ्ट कॉपी के रूप में दिखाता है। मॉनीटर पर चित्र छोटे-छोटे बिन्दुओं (Dots) से मिलकर बनता है। इन बिन्दुओं को पिक्सल (Pixels) के नाम से भी जाना जाता है। किसी चित्र की स्पष्टता (Clarity) निम्न तथ्यों पर निर्भर करती है.

1. Resolution : Display device का महत्वपूर्ण गुण रेजोलूशन या स्कीन के चित्र की स्पष्टता होता है। मॉनीटर में चित्र का निर्माण छोटे छोटे बिन्दुओं से मिलकर होता है। जिसे पिक्सेल कहा जाता है जब वह बिन्दु चमकते है।

2. Refresh Rate :- मॉनीटर से रिफेश रेट को हर्टज में नापा जाता है।

3. Dot Pitch :- डॉट पिच एक प्रकार की मापन तकनीकी है। कलर मॉनीटर की डॉट पिच 0.15 MM से .30 MM तक होती है।

4. Interlacing or non Interlacing :- यह एक ऐसी डिस्प्ले तकनीकी है। जो की मॉनीटर से रेजोलूशन की गुणवत्ता में और अधिक वृद्धि करती है।

5. Bit Mapping :– जिसमें टैक्स और ग्राफिक्स दोनों को प्रदर्शित किया जा सकता है वह बिट मैंपिग कहलाती है। इससे ऑपरेटर किसी भी आकृति को स्क्रीन पर बनाया जा सकता है।

Projector

इस डिवाइस का प्रयोग कम्प्यूटर से प्राप्त सूचना या डेटा को एक बड़ी स्क्रीन पर देखने के लिए करते हैं। इसकी सहायता से एक समय में बहुत सारे लोग एक समूह में बैठकर कोई परिणाम देख सकते हैं। इसका प्रयोग क्लास रूम, ट्रेनिंग या एक बड़े कॉन्फ्रेन्स हॉल जिसमें ज्यादा संख्या में दर्शक हों, जैसी जगहों पर किया जाता है।

Printer

यह आउटपुट का एक महत्त्वपूर्ण साधन है । कम्प्यूटर द्वारा दिए गए परिणामों को कागज पर छपे हुए रूप में सँभालकर रखने के लिए प्रिंटर का उपयोग किया जाता है । कम्प्यूटर के परिणामों को छापने के लिए विशेष प्रकार के कागज का इस्तेमाल किया जाता है, जिसके पन्ने आपस में जुड़े हुए होते हैं, जिनके किनारों पर गोल छेद बने होते हैं । रोलर द्वारा घुमाने से ये पन्ने आगे चलते रहते हैं और एक-एक पन्ना छपकर बाहर आता रहता है ।

किसी प्रिंटर की गति कैरेक्टर प्रति सेकण्ड (Character Per Second-CPS) में, लाइन प्रति मिनट (Line Per Minute-LPM) में और पेजेस प्रति मिनट (Pages Per Minute-PPM) में मापी जाती है। किसी प्रिंटर की क्वालिटी डॉट्स प्रति इंच (Dots Per Inch-DPI) में मापी जाती है।

प्रिंटर को दो भागों में बाँटा गया है

1.इम्पैक्ट प्रिंटर : यह प्रिंटर टाइपराइटर की तरह कार्य करता है। इसमें अक्षर छापने के लिए छोटे-छोटे पिन या हैमर्स होते हैं। इन पिनों पर अक्षर बने होते हैं। ये पिन स्याही से लगे हुए रीबन (Ribbon) और उसके बाद पेपर पर प्रहार करते हैं, जिससे अक्षर पेपर पर छप जाते हैं। इम्पैक्ट प्रिण्टर एक बार में एक कैरेक्टर या एक लाइन प्रिण्ट कर सकता है। ये प्रिण्टर दूसरे प्रिण्टर्स की तुलना में सस्ते होते हैं और प्रिण्टिंग के दौरान आवाज अधिक करते हैं, इसलिए इनका प्रयोग कम होता है.

इम्पैक्ट प्रिंटर तीन प्रकार के होते हैं

1.डॉट मैट्रिक्स प्रिण्टर्स (Dot Matrix Printers)
2.लाइन प्रिण्टर्स (Line Printers)
3.ड्रम प्रिण्टर्स (Drum Printers)

2.नॉन-इम्पैक्ट प्रिंटर : ये प्रिंटर कागज पर प्रहार नहीं करते, बल्कि अक्षर या चित्र प्रिण्ट करने के लिए स्याही की फुहार कागज पर छोड़ते हैं। नॉन-इम्पैक्ट प्रिण्टर प्रिण्टिंग में इलेक्ट्रोस्टैटिक केमिकल और इंकजेट तकनीकी का प्रयोग करते हैं।

नॉन-इम्पैक्ट प्रिंटर निम्न प्रकार के होते हैं

1.इंकजेट प्रिंटर (Inkjet Printer)
2.थर्मल प्रिंटर (Thermal Printer)
3. लेजर प्रिंटर (Laser Printer)
4.इलेक्ट्रो मैग्नेटिक प्रिंटर (Electro Magnetic Printer)
5.इलेक्ट्रो स्टैटिक प्रिंटर (Electro Static Printer)

Plotter

प्लॉटर एक आउटपुट युक्ति है, जिसका प्रयोग बड़ी ड्राइंग या चित्र जैसे कि कन्स्ट्रक्शन प्लान्स (Construction Plans), मैकेनिकल वस्तुओं की ब्लू प्रिण्ट, AUTOCAD , CAD/CAM आदि के लिए करते हैं। इसमें ड्रॉइंग बनाने के लिए प्लॉटर पेन, पेन्सिल, मार्कर आदि राइटिंग टूल का प्रयोग होता है। प्लॉटर मुख्यतः दो प्रकार के होते है

1.फ्लैट बैड प्लॉटर (Flat Bed Plotter)
2.ड्रम प्लॉटर (Drum Plotter)

Head Phones

इस युक्ति को सिर पर बेल्ट की तरह पहना जा सकता है, जिससे दोनों स्पीकर मनुष्य के कान के ऊपर आ जाते हैं। इसलिए इसकी आवाज सिर्फ इसे पहनने वाला व्यक्ति ही सुन सकता है। किसी-किसी हेड फोन हैडफोन के साथ माइक भी लगा होता है, जिससे सुनने के साथ-साथ बात भी की जा सकती है। इस उपकरण का प्रयोग प्रायः टेलीफोन ऑपरेटरों, कॉल सेण्टर ऑपरेटरों, कमेण्टेटरों आदि द्वारा किया जाता है। इसे स्टीरियो फोन्स या हेड सेट के नाम से भी जाना जाता है।

Speaker

स्पीकर हेडफोंस की तरह होते हैं हेडफोंस आप कान के ऊपर लगा कर सुनते हैं वही स्पीकर को आपको दूर रखकर सुनना पड़ता है लेकिन हेडफोंस और स्पीकर का एक ही काम होता है कि है कंप्यूटर द्वारा आने वाले ऑडियो सिग्नल को आपको सुनाने में मदद करते हैं. इसी प्रकार स्पीकर एक ऑडियो आउटपुट डिवाइस है जिसकी मदद से आप किसी भी प्रकार की ऑडियो को सुन सकते हैं.

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