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इतिहास में हुई औद्योगिक क्रांति के प्रमुख कारण, प्रभाव, परिणाम एवं महत्‍वपूर्ण तथ्‍य

इतिहास में हुई औद्योगिक क्रांति के प्रमुख कारण, प्रभाव, परिणाम एवं महत्‍वपूर्ण तथ्‍य

 आज सभी कॉम्पीटिशन एग्जाम में समान्य ज्ञान के सेक्शन में औद्योगिक क्रांति से सबंधित बहुत से प्रश्न पूछे जाते है क्योकि औद्योगिक क्रांति से सबंधित  प्रश्न समान्य ज्ञान का एक इम्पोर्टेन्ट पार्ट है इसलिए यदि कोई उमीदवार किसी कॉम्पीटिशन एग्जाम की तैयारी  कर रहा है तो उसे औद्योगिक क्रांति से सबंधित समान्य ज्ञान होना चाहिए इसलिए आज हम इतिहास में हुई औद्योगिक क्रांति के प्रमुख कारण, प्रभाव, परिणाम  के प्रमुख युद्ध  के बारे  में बतायेंगे  यदि आप विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे: आईएएस, शिक्षक, यूपीएससी, पीसीएस, एसएससी, बैंक, एमबीए एवं अन्य सरकारी नौकरियों के लिए तैयारी कर रहे हैं, तो आपको इतिहास में हुई औद्योगिक क्रांति के प्रमुख कारण, प्रभाव, परिणाम  से सबंधित जानकारी होनी चाहिए इनमे से प्रश्न अक्सर एग्जाम में पूछे जाते है|

औद्योगिक क्रांति क्या है

अठारहवीं सदी के अंत और उन्नीसवीं शताब्दी की शुरुआत में,कुछ पश्चिमी देशों के तकनीकी, सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक स्थिति में काफी बड़ा बदलाव आया। इसे ही औद्योगिक क्रान्ति (Industrial Revolution) के नाम से जाना जाता है। यह सिलसिला ब्रिटेन से आरम्भ होकर पूरे विश्व में फैल गया। “औद्योगिक क्रांति” शब्द का इस संदर्भ में उपयोग सबसे पहले आरनोल्ड टायनबी ने अपनी पुस्तक “लेक्चर्स ऑन दि इंड्स्ट्रियल रिवोल्यूशन इन इंग्लैंड” में सन् 1844 में किया।

औद्योगिक क्रान्ति का सूत्रपात वस्त्र उद्योग के मशीनीकरण के साथ आरम्भ हुआ। इसके साथ ही लोहा बनाने की तकनीकें आयीं और शोधित कोयले का अधिकाधिक उपयोग होने लगा। कोयले को जलाकर बने वाष्प की शक्ति का उपयोग होने लगा। शक्ति-चालित मशीनों (विशेषकर वस्त्र उद्योग में) के आने से उत्पादन में जबरदस्त वृद्धि हुई। उन्नीसवी सदी के प्रथम् दो दशकों में पूरी तरह से धातु से बने औजारों का विकास हुआ। इसके परिणामस्वरूप दूसरे उद्योगों में काम आने वाली मशीनों के निर्माण को गति मिली। उन्नीसवी शताब्दी में यह पूरे पश्चिमी यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका में फैल गयी।

अलग-अलग इतिहासकार औद्योगिक क्रान्ति की समयावधि अलग-अलग मानते नजर आते हैं जबकि कुछ इतिहासकार इसे क्रान्ति मानने को ही तैयार नहीं हैं।  अनेक विचारकों का मत है कि गुलाम देशों के स्रोतों के शोषण और लूट के बिना औद्योगिक क्रान्ति सम्भव नही हुई होती, क्योंकि औद्योगिक विकास के लिये पूंजी अति आवश्यक चीज है और वह उस समय भारत आदि गुलाम देशों के संसाधनों के शोषण से प्राप्त की गयी थी।

औद्योगिक क्रांति के प्रमुख कारण:

  1. पुनर्जागरण काल और प्रबोधन
  2. कारखाना प्रणाली
  3. राष्ट्रवाद
  4. व्यापार प्रतिबंधों की समाप्ति
  5. उपनिवेशों का कच्चा माल तथा बाजार
  6. पूंजी तथा नयी प्रौद्योगिकी
  7. कृषि क्रांति
  8. जनसंख्या विस्फोट

औद्योगिक क्रांति के प्रभाव:

औद्योगिक क्रांति का मानव समाज पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा। मानव समाज के इतिहास में दो प्रसिद्ध क्रांतियां हुई जिन्होंने मानव इतिहास को सर्वाधिक प्रभावित किया। एक क्रांति उस समय हुई जब उत्तर पाषाण युग में मानव ने शिकार छोड़कर पशुपालन एवं कृषि का पेशा अपनाया तो दूसरी क्रांति वह है जब आधुनिक युग में कृषि छोड़कर व्यवसाय को प्रधानता दी गई। इस औद्योगिक क्रांति से उत्पादन पद्धति गहरे रूप से प्रभावित हुई। श्रम के क्षेत्र में मानव का स्थान मशीन ने ले लिया। उत्पादन में मात्रात्मक व गुणात्मक परिवर्तन आया। धन सम्पदा में भारी वृद्धि हुई। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार भी बढ़ा। औपनिवेशिक साम्राज्यवाद का विस्तार भी औद्योगिक क्रांति का परिणाम था एवं नए वर्गों का उदय हुआ।

औद्योगिक क्रांति के परिणाम

आर्थिक परिणाम:

  • उत्पादन में असाधारण वृद्धि: कारखानों में वस्तुओं का उत्पादन शीघ्र एवं अधिक कुशलता से भारी मात्रा में होने लगा। इन औद्योगिक उत्पादों को आंतरिक और विदेशी बाजारों में पहुंचाने के लिए व्यापारिक गतिविधियां तेज हुई जिससे औद्योगिक देश धनी बनने लगे। इंग्लैंड की अर्थव्यवस्था उद्योग प्रधान हो गई। वहां औद्योगिक पूंजीवाद का जन्म हुआ। औद्योगिक एवं व्यापारिक निगमों का विस्तार हुआ। इन निमगों ने अपना विस्तार करने के लिए अपनी पूंजी की प्रतिभूतियां (Securities) बेचना आरंभ किया। इस तरह उत्पादन की असाधारण वृद्धि ने एक नई आर्थिक पद्धति को जन्म दिया।
  • शहरीकरण: बदलते आर्थिक परिदृश्य के कारण गांवों के कुटीर उद्योगों का पतन हुआ। फलतः रोजगार का तलाश में लोग शहरों की ओर भागने लगे क्योंकि अब बड़े-बड़े उद्योग जहां स्थापित हुए थे, वहीं रोजगार की संभावनाएं थी। स्वाभाविक तौर पर शहरीकरण की प्रक्रिया तीव्र हो गई। नए शहर अधिकतर उन औद्योगिक केन्द्रों के आप-पास विकसित हुए जो लोहे कोयले और पानी की व्यापक उपलब्धता वाले स्थानों के निकट थे। नगरों का उदय व्यापारिक केन्द्र के रूप में, उत्पादन केन्द्र, बंदरगाह नगरों के रूप में हुआ। शहरीकरण की प्रक्रिया केवल इंग्लैंड तक सीमित नहीं रही बल्कि फ्रांस, जर्मनी, आस्ट्रिया, इटली आदि में भी विस्तारित हुई। इस तरह शहर अर्थव्यवस्था के आधार बनने लगे।
  • आर्थिक असंतुलन: औद्योगिक क्रांति से आर्थिक असंतुलन राष्ट्रीय समस्या के रूप में सामने आया। विकसित और पिछड़े देशों के मध्य आर्थिक असमानता की खाई गहरी होती चली गई। औद्योगीकृत राष्ट्र अविकसित राष्ट्रों का खुलकर शोषण करने लगे। आर्थिक साम्राज्यवाद का युग आरंभ हुआ। इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर औपनिवेशिक साम्राज्यवादी व्यवस्था मजबूत हुई। औद्योगिक क्रांति के बाद राष्ट्रों की आपसी निर्भरता बहुत अधिक बढ़ गई जिससे एक देश में घटने वाली घटना दूसरे देश को सीधे प्रभावित करने लगी। फलतः अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक तेजी एवं मंदी का युग आरंभ हुआ।
  • बैकिंग एवं मुद्रा प्रणाली का विकास: औद्योगिक क्रांति ने संपूर्ण आर्थिक परिदृश्य को बदल दिया। उद्योग एवं व्यापार में बैंक एवं मुद्रा की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई। बैंकों के माध्यम से लेन-देन सुगम हुआ, चेक और ड्राफ्ट का प्रयोग बढ़ गया। मुद्रा के क्षेत्र में भी विकास हुआ। धातु के स्थान पर कागजी मुद्रा का प्रचलन हुआ।
  • कुटीर उद्योगों का विनाश: औद्योगिक क्रांति का नकारात्मक परिणाम था कुटीर उद्योगों का विनाश। किन्तु यहाँ समझने की बात यह है कि यह नकरात्मक परिणाम औद्योगिक देशों पर नहीं बल्कि औपनिवेशिक देशों पर पड़ा। दरअसल औद्योगिक देशों में कुटरी उद्योगों के विनाश से बेरोजगार हुए लोगों को नवीन उद्योगों के रूप में एक विकल्प प्राप्त हो गया। जबकि उपनिवेशों में इस वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था नहीं हो पाई। भारत के संदर्भ में इसे समझा जा सकता है।
  • मुक्त व्यापार: औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप संरक्षणवाद के स्थान पर मुक्त व्यापार की नीति अपनाई गई। 1813 के चार्टर ऐक्ट के तहत इंग्लैंड ने EIC के व्यापारिक एकाधिकार को समाप्त कर मुक्त व्यापार की नीति को बढ़ावा दिया।

सामाजिक परिणाम:

  • जनसंख्या में वृद्धि: औद्योगिक क्रांति ने जनसंख्या वृद्धि को संभव बनाया। वस्तुतः कृषि क्षेत्र में तकनीकी प्रयोग ने खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाकर भोजन आवश्यकता की पूर्ति की। दूसरी तरफ यातायात के उन्नत साधनों के माध्यम से मांग के क्षेत्रों में खाद्यान्न उत्पादन बढ़कार भोजन आवश्यकता की पूर्ति की। दूसरी तरफ यातायात के उन्नत साधनों के माध्यम से मांग के क्षेत्रों में खाद्यान्न की पूर्ति करना संभव हुआ। बेहतर पोषण एवं विकसित स्वास्थ्य एवं औषधि विज्ञान के कारण नवजात शिशु एवं जीवन की औसत आयु में वृद्धि हुई। फलतः मृत्यु दर में कमी आई।
  • नए सामाजिक वर्गों का उदय: औद्योकिग क्रांति ने मुख्य रूप से तीन नए वर्गों का जन्म दिया। प्रथम पूंजीवादी वर्ग, जिसमें व्यापारी और पूंजीपति सम्मिलित थे। द्वितीय मध्यम वर्ग, कारखानों के निरीक्षक, दलाल, ठेकेदार, इंजीनियर, वैज्ञानिक आदि शामिल थे। तीसरा श्रमिक वर्ग जो अपने श्रम और कौशल से उत्पादन करते थे।
  • मानवीय संबंधों में गिरावट: परम्परागत, भावानात्मक मानवीय संबंधों का स्थान आर्थिक संबंधों ने ले लिया। जिन श्रमिकों के बल पर उद्योगपति समृद्ध हो रहे थे उनसे मालिन न तो परिचित था और न ही परिचित होना चाहता था। उद्योगों में प्रयुक्त होने वाली मशीन और तकनीकी ने मानव को भी मशीन का एक हिस्सा बना दिया।
  • नैतिक मूल्यों में गिरावट: नए औद्योगिक समाज में नैतिक मूल्यों में गिरावट आई। भौतिक प्रगति से शराब और जुए का प्रचार बढ़ा। अधिक समय तक काम करने के बाद थकावट मिटाने के लिए श्रमिकों में नशे का चलन बढ़ा। इतना ही नहीं औद्योगिक केन्द्रों पर वेश्यावृति फैलने लगी। उपभोक्तावादी प्रवृत्ति बढ़ने से भ्रष्टाचार एवं अपराधों को बढ़ावा मिला।
  • शहरी जीवन में गिरावट: शहरों में जनसंख्या के अत्यधिक वृद्धि के कारण निचले तबके को आवास, भोजन, पेयजल आदि का अभाव भुगतान पड़ता था। अत्यधिक जनसंख्या के कारण औद्योगिक केन्द्रों के आस-पास कच्ची बस्तियों का विस्तार होने लगा जहां गंदगी रहती थी।
  • सांस्कृतिक परिवर्तन: औद्योगिक क्रांति से पुराने रहन-सहन के तरीकों, वेश-भूषा, रीति-रिवाज, कला-साहित्य, मनोरंजन के साधनों में परिवर्तन हुआ। परम्परागत शिक्षा पद्धति के स्थान पर रोजगारपरक तकनीकी एवं प्रबन्धकीय शिक्षा का विकास हुआ।
  • बाल-श्रम: औद्योगिक क्रांति ने बाल-श्रम को बढ़ावा दिया और बच्चों से उनका “बचपन” छीन लिया। इस समस्या से आज सारा विश्व जूझ रहा है।
  • महिला आंदोलनों का जन्म: औद्योगिक क्रांति ने कामगारों की आवश्यकता को जन्म दिया जो केवल पुरूषों से पूरा नहीं हो पा रहा था। अतः स्त्री की भागीदारी कामगार वर्ग में हुई। अब स्त्रियों की ओर से भी अधिकारों की मांगे उठने लगी, उनमें चेतना जागृत हुई।

औद्योगिक क्रांति के दौरान हुए प्रमुख आविष्कार एवं महत्‍वपूर्ण तथ्‍य:-

  • औद्योगिक क्रांति की शुरुआत इंग्‍लैंड में हुई।
  • इंग्‍लैंड में औद्योगिक क्रांति की शुरुआत सूती कपड़ा उद्योग से हुआ।
  • मैनचेस्‍टर से वर्सले तक ब्रिंटले नामक इंजीनियर ने (1761 ई. में) नहर बनाई।
  • रेल के जरिए खानों से बंदरगाहों तक कोयला ले जाने के लिए भाप इंजन का इस्‍तेमाल जार्ज स्‍टीफेंसन ने किया।
  • औद्योगिक क्रांति की दौर में इंग्‍लैंड का प्रतिद्वंदी जर्मनी था।
  • लौह अयस्क से इस्पात बनाने की प्रक्रिया का दूसरा चरण इस्पात निर्माण है, इस्पात निर्माण का उदय का औद्योगिक क्रांति के दौरान हुआ है।
  • विद्युत आवेशों के मौजूदगी और बहाव से जुड़े भौतिक परिघटनाओं के समुच्चय को विद्युत कहा जाता है। विद्युत निर्माण का उदय का भी औद्योगिक क्रांति के दौरान हुआ है। विद्युत से अनेक जानी-मानी घटनाएं जुड़ी है जैसे कि तडित, स्थैतिक विद्युत, विद्युतचुम्बकीय प्रेरण, तथा विद्युत धारा।
  • तेज चलने वाले शटर का आविष्‍कार जॉन (1733 ई. में) किया।
  • स्पिनिंग म्‍यूल का आविष्‍कार क्राम्‍पटन (1776 ई.) ने किया।
  • घोड़ा द्वारा चलाए जाने वाला करघा का आविष्‍कार कार्ट राइट ने किया।
  • सेफ्टी लैंप का आविष्‍कार हम्‍फ्री डेवी ने (1815 ई.) में किया।

हमने इस पोस्ट में औद्योगिक क्रांति के प्रमुख आविष्कार इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति के कारण औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम इंग्लैंड में ही क्यों हुई पहली औद्योगिक क्रांति किस देश में हुई थी इंग्लैंड की क्रांति के कारण इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति कब हुई थी औद्योगिक क्रांति की शुरुआत कब हुई औद्योगिक क्रांति इंग्लैंड में है क्यों हुई  industrial revolution in hindi what caused the industrial revolution fourth industrial revolution in hindi audyogik kranti in india audyogik kranti 4  से संबंधित  जानकारी दी है, तो इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़ें. अगर इनके बारे में आपका कोई भी सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट करके पूछो और अगर आपको यह  जानकारी  फायदेमंद लगे तो अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें.

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