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आदर्शवाद का जन्मदाता किसे कहा जाता है

आदर्शवाद का जन्मदाता किसे कहा जाता है

आदर्शवाद के जन्मदाता प्लेटो है। उनका मानना था कि आदर्शवाद व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, नैतिक तथा सांवेगिक पहलुओं को विकसित करने का प्रयास करती है। इन उद्देश्यों की प्राप्ति के आधार पर जीवन के किसी अन्य क्षेत्र में श्रेष्ठता प्राप्त की जा सकती है।

आदर्शवाद की स्थापना किसने की

आदर्शवाद की एक श्रृंखला की नींव 18 वीं शताब्दी के जर्मन दार्शनिक इमैनुएल कांत द्वारा रखी गई थी, जिसका युगांतरकारी काम क्रिटिक डेर रीइनन वर्नुन्फ्ट (1781; दूसरा संस्करण।

आदर्शवादी विचारक कौन है?

आदर्शवादी दर्शन का प्रतिपादन सुकरात , प्लेटो , डेकॉर्टी , स्पनोसा , वर्कलकान्ट , फिटशे , रोलिंग , हीगल , ग्रीन जेन्टाइल आदि अनेक पाश्चात्य तथा वेदों व उपनिषदों के प्रणेता महर्षियों से लेकर अरविन्द घोष तक अनेक पूर्वी दार्शनिकों ने किया है।

आदर्शवाद का दूसरा नाम क्या है?

आदर्शवाद एक ऐसा दार्शनिक समुदाय है जिसका आरम्भ अतीत में हुआ था। इसे विचारवाद भी कहते हैं। आदर्शवाद वह दर्शन है जो मन और प्रकृति को वास्तविक मानता है दूसरी ओर प्लेटों ने मन एवं तर्क को प्रमुख माना है। अन्य शब्दों में आदर्शवाद वह विचारधारा है जो यह मानती है कि अन्तिम सत्ता आध्यात्मिक अथवा मानसिक है।

आदर्शवाद के योगदानकर्ता कौन हैं?

इस दर्शन के अग्रदूत प्लेटो, पेस्टलोज़ी, फ्रोबेल, कम्युनाइज़, डेसकार्टेस, बर्कले, फिचटे, हेगेल, कांट, शेलिंग शोपेनहावर, स्पिनोज़ा और जेंटिली हैं। आदर्शवाद ब्रह्मांड की व्याख्या आत्मा या मन के संदर्भ में करता है।

आदर्शवाद की परिभाषा क्या है?

विचारवाद या आदर्शवाद या प्रत्ययवाद उन विचारों और मान्यताओं की समेकित विचारधारा है जिनके अनुसार इस जगत की समस्त वस्तुएँ विचार या चेतना की अभिव्यक्ति है। सृष्टि का सारतत्त्व जड़ पदार्थ नहीं अपितु मूल चेतना है। आदर्शवाद जड़ता या भौतिकवाद का विपरीत सिद्धांत है।

आदर्शवाद कितने प्रकार के होते हैं?

इस प्रकार, आदर्शवाद के दो मूल रूप हैं , आध्यात्मिक आदर्शवाद, जो वास्तविकता की आदर्शता पर जोर देता है, और ज्ञान-मीमांसा आदर्शवाद , जो यह मानता है कि ज्ञान प्रक्रिया में मन केवल चैत्य को समझ सकता है या इसकी वस्तुएं उनकी बोधगम्यता से वातानुकूलित होती हैं।

यथार्थवादी और आदर्शवादी में क्या अंतर है?

आदर्शवाद में सत्य की अवहेलना या उस पर विजय प्राप्त कर के आदर्शवाद की स्थापना की जाती थी। जबकि यथार्थवाद में आदर्श का पालन नहीं किया जाता था, या उसका ध्यान नहीं रखा जाता था। आदर्शोन्मुख यथार्थवाद में यथार्थ का चित्रण करते हुए भी आदर्श की स्थापना पर बल दिया जाता था।

आदर्शवाद को हिंदी में क्या कहते हैं?

विचारवाद या आदर्शवाद या प्रत्ययवाद उन विचारों और मान्यताओं की समेकित विचारधारा है जिनके अनुसार इस जगत की समस्त वस्तुएँ विचार या चेतना की अभिव्यक्ति है। सृष्टि का सारतत्त्व जड़ पदार्थ नहीं अपितु मूल चेतना है। आदर्शवाद जड़ता या भौतिकवाद का विपरीत सिद्धांत है।

आदर्शवाद की मुख्य विशेषताएं क्या है?

संसार का उत्पादन कारण मन तथा आत्मा है कि वास्तविक स्वरूप मानसिक स्वरूप का है।” आदर्शवादी मन को वास्तविक मानते हैं। होने के बाद आत्मा परमात्मा में विलीन हो जाती है। आला कमी नष्ट नहीं होती है यह चिरंतन एवं अनश्वर है।

आदर्शवाद के उद्देश्य क्या है?

आदर्शवाद के अनुसार शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य आत्मा की अनुभूति है, पूर्णता की प्राप्ति है तथा सद्गुणों है का विकास एवं धारण करना है। इस प्रकार से इसी के अनुसार पाठ्यक्रम ऐसा हो जो शारीरिक, बौद्धिक, चारित्रिक, नैतिक एवं सांस्कृतिक पूर्णता प्रदान करे।

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