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अफीम के पौधे के किस भाग से हमें मॉर्फीन प्राप्त होता है

अफीम के पौधे के किस भाग से हमें मॉर्फीन प्राप्त होता है

मॉर्फीन (Morphine) एक क्षारीय (alkaloid) पदार्थ है जो अफीम और पॉपी के बीजों में बहुतायत मात्रा में पाया जाता है। इसे द्रव रूप में पॉपी (Poppy) के फ्रूट कैप्स्यूल से प्राप्त किया जाता है। फ्रंट कैप्स्यूल में चीरा (incision) लगाने पर रिसाव के रूप में लेटेक्स् (latex) नामक पदार्थ बाहर निकलता है, इसे संग्रहित कर, सुखाकर “कच्चे अफीम” के रूप में तैयार कर लिया जाता है (इसमें लगभग 8-14% मॉर्फीन पाया जाता है)।

अफीम से संबंधित प्रश्न उत्तर

अफीम के पौधे से क्या क्या प्राप्त होता है?

अफीम में 12% तक मार्फीन (morphine) पायी जाती है जिसको प्रसंस्कृत (प्रॉसेस) करके हैरोइन (heroin) नामक मादक द्रब्य (ड्रग) तैयार किया जाता है। अफीम का दूध निकालने के लिये उसके कच्चे, अपक्व ‘फल’ में एक चीरा लगाया जाता है; इसका दूध निकलने लगता है, जो निकल कर सूख जाता है। यही दूध सूख कर गाढ़ा होने पर अफ़ीम कहलाता है।

मॉर्फिन क्या है in Hindi?

मार्फ़िया (मॉरफीन, morphine) एक ऐल्केलॉइड है। सरटर्नर (Sertiirner) द्वारा सन्‌ 1806 में इस ऐल्केलाइड का पृथक्करण अफीम से हुआ था। इसका प्रयोग हाइड्रोक्लोराइड, सल्फेट, एसीटेट, टार्ट्रेट और अन्य संजातों के रूप में होता है। मॉरफीन से पीड़ा दूर होती और गाढ़ी नींद आती है।

मार्फिन का स्रोत क्या है?

अफीम के पौधे पैपेवर सोमनिफेरम के latex को सुखाकर इसे तैयार किया जाता है। अफीम में 12% तक मार्फीन (morphine) पायी जाती है जिसको प्रसंस्कृत करके हैरोइन (heroin) एक प्रकार का मादक पदार्थ या ड्रग तैयार किया जाता है। अफीम मॉर्फिन (morphine), कोडेन (codeine) और बैन (baine) जैसे अल्कालोइड (alkaloids) का स्रोत होता है।

अफीम के एक पौधे से कितनी अफीम निकलती है?

अनुमान है कि एक अफीम के पौधे में चीरा लगाने के बाद 5 से 10 ग्राम अफीम का दूध मिल जाता है, जिसे बाद में तस्कर पांच से दस गुना अफीम तैयार करते हैं।

अफीम के बीज का क्या नाम है?

अफीम के बीज का नाम खसखस है

अफीम का पौधा कितने दिन में उगता है?

अफीम की बुवाई के 100 से 115 दिनों के अंदर पौधे से फूल आने शुरू हो जाते हैं. इसके बाद फूलों से 15 से 20 दिनों में डोडा निकलना शुरू हो जाता है. इस डोडे पर चीरा लगाया जाता है.

अफीम में कौन सा पाउडर मिलाया जाता है?

अफीम में कुछ मात्रा में चूना मिलाकर गर्म किया जाता है। इसमें एसिटेट एनहाइड्राइड मिलाया जाता है। इससे अफीम फट जाती है। इसे उबलने पर गाढ़ा घोल तैयार होता है।

लोग अफीम क्यों खाते हैं?

अफीम से कब्ज होती है। इसलिए दस्त होने पर अफीम दी जाती है। सर्दी- जुकाम में अफीम गर्म करके दी जाती है।

अफीम की तासीर क्या है?

आयुर्वेद मतानुसार अफीम गरम प्रक्रति, स्वाद में तिक्त, प्रभाव में मादक, कफ-वात शामक, पित्त प्रकोपक, नीद लाने वाली, वेदना नाशक, पसीना लाने वाली, शारीरिक स्रावों को रोकने वाली होती है। यूनानी मतानुसार अफीम मस्तिष्क की शक्ति को उत्तेजित करती है, शरीर की शक्ति व गर्मी को बढ़ाने से आनन्द और संतोष की अनुभूति प्रदान करती है।

अफीम के क्या नुकसान है?

अफीमकी सप्लाई मुख्य रूप से चित्तौडग़ढ़ से होती है। जहां अफीम की खेती होने के कारण तस्कर यहां से अफीम लाकर क्षेत्र में सप्लाई कर रहे हैं। पिछले कुछ समय में युवाओं में बढ़े नशे को लेकर अब तस्कर भी अधिक सक्रिय हो चुके हैं। ऐसे में युवाओं को ना केवल आर्थिक नुकसान हो रहा है बल्कि शारीरिक मानसिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है।

एक एकड़ में कितना अफीम होता है?

एक एकड़ जमीन में करीब 40 किलो गीली अफीम निकलती है. एक किलो गीली अफीम का दाम स्थानीय बाजार में करीब 40 हजार होता है. इस प्रकार राज्य के 2450 एकड़ जमीन पर लगे पोस्ता के पौधे से करीब 98000 किलो अफीम का उत्पादन होगा. स्थानीय बाजार में इसका मूल्य करीब 3.92 अरब होते हैं.

अफीम के पौधे कहां उगाए जाते हैं?

यह शुष्क, गर्म जलवायु में फलता-फूलता है और अफीम पोपियों का विशाल बहुमत तुर्की से पाकिस्तान और बर्मा के माध्यम से मध्य एशिया में फैले पहाड़ों के एक संकीर्ण, 4,500 मील की दूरी पर उगाया जाता है। हाल ही में, लैटिन अमेरिका, विशेष रूप से कोलंबिया और मैक्सिको में अफीम उगाई गई है।

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