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हरियाणा का इतिहास क्या है और इसका पुराना नाम

हरियाणा का इतिहास क्या है और इसका पुराना नाम

हरियाणा उत्तर भारत का एक राज्य है जिसकी राजधानी चण्डीगढ़ है। इसकी सीमायें उत्तर में पंजाब और हिमाचल प्रदेश, दक्षिण एवं पश्चिम में राजस्थान से जुड़ी हुई हैं। यमुना नदी इसके उत्तर प्रदेश राज्य के साथ पूर्वी सीमा को परिभाषित करती है।इसकी स्थापना 1 नवम्बर 1979 को हुई

कुछ विद्वानों के अनुसार यह ‘हरियाणा’ हरि अर्थात भगवान कृष्ण से सम्बन्ध जोड़ते हैं तो कई इसे ‘हर’ अर्थात शंकर से। इस क्षेत्र में लोगों द्वारा भगवान शिव की पूजा की जाती थी तथा आज भी की जाती है.हरियाणा नाम की उत्पत्ति के बारे में विभिन्न मत हैं। एक मत के अनुसार सम्भवतः यह शब्द हरि(हरा) से उद्धृत है, जो इस बात का प्रतीक है कि उस समय यह क्षेत्र धन-धान्य से भरपूर और उपजाऊ था। एक अन्य मत के अनुसार एक हराभरा बन (हरियल बन) होने के कारण इसका नाम हरियाणा पड़ा।

हरियाणा शब्द का उल्लेख दिल्ली संग्रहालय में सुरक्षित 1328 ई. वी. के एक शिलालेख में है, जिसमें यह वर्णित है कि यह भू-भाग पृथ्वी पर स्वर्ग के समान है और तोमरों द्वारा बसाई गई दिल्ली इस क्षेत्र का एक भाग है.हरियाणा को भारत की प्राचीन सभ्यता की जन्म स्थली कहा जाता है। महाभारत में हरियाणा को “बहु धान्यक” और “बहुधन” नामक संज्ञाओं से अभिहित किया गया है। महाभारत की लड़ाई से पूर्व भी कुरुक्षेत्र में दस राजाओं के बीच लड़ाई हुई थी, परन्तु धर्म एवं निष्ठा के उच्चतम मूल्यों की रक्षा के लिए लड़े गये, महाभारत के युद्ध के कारण ही इस प्रदेश को विश्वव्यापी ख्याती प्राप्त हुई थी.

हरियाणा का पुराना नाम क्या है

महाराज कृष्ण : हवम (लूटपाट)
राहुल सांकृत्यायन : हरिधानक्या
डॉ. बुद्ध प्रकाश : अभियारणा
डॉ. एच. आर. गुप्ता : आर्यना (आय का घर)
जी. सी. अवस्थी : ऋग्वेद से उत्पन्न
यदुनाथ सरकार : हरियाल
ऋग्वेद में उल्लेखित नाम : रज हरयाणे
बाणभट्ट द्वारा रचित ‘हर्ष चरित्र’ में : श्रीकण्ठ जनपत
पुष्पदन्त द्वारा रचित महापुराण में : हरियाणा

मध्यकालीन समय में पाए गए अवशेष और उनका स्थान

हड़प्पा सभ्यता से पहले की सभ्यता के आभूषण एवं अवशेष – करनाल (हिसार)
मौर्यकालीन स्तूप व अवशेष  – हिसार एवं फतेहाबाद
हडप्पाकालीन सोने एवं ताबें के सिक्के – भिवानी
शुंगकालीन फलक हर्षकालीन ताम्र मुद्राएँ – सोनीपत सुध
योधेय गणराज्य की मुहरें – नौरंगाबाद (भिवानी)
कुषाण शैली का द्वार स्तम्भ – रोहतक
जैन मूर्तियाँ – हाँसी व शनीला
यज्ञ की मूर्तियाँ – पलवल
रामायण श्लोकांकित – नचारखेड़ा (भिवानी)
मिट्टी की मोहरें – दौलतपुर
बलराम की मूर्ति – रोहतक
अग्रेय जनपद के सिक्के – अग्रोहा
मृण्मय फलक – थानेसर व पेहोवा

नगर तथा कस्बे

हरियाणा में कुल 156 नगर तथा कस्बे हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में 1 लाख से अधिक जनसंख्या वाले 14 नगर हैं: फरीदाबाद, गुरुग्राम, पानीपत, अम्बाला, यमुनानगर, रोहतक, हिसार, करनाल, सोनीपत, पंचकुला, भिवानी, सिरसा, बहादुरगढ़, जींद, थानेसर, कैथल, रेवाड़ी और पलवल।

चण्डीगढ़, जो भारत का एक केन्द्र शासित प्रदेश है, हरियाणा की राजधानी है। 1 नवंबर, 1949 को जब पंजाब के हिन्दी-भाषी पूर्वी भाग को काटकर हरियाणा राज्य का गठन किया गया, तो चंडीगढ़ शहर के दोनों के बीच सीमा पर स्थित होने के कारण इसी दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी के रूप में घोषित किया गया और साथ ही संघ शासित क्षेत्र भी घोषित किया गया था।

हरियाणा के इतिहास से संबधित प्रश्न उत्तर

1. इस राज्य को ब्रह्मवर्त तथा ब्रह्मर्षि प्रदेश के अतिरिक्त ‘ब्रह्म की उत्तरवेदी’ के नाम से भी पुकारा गया
2. बरवाला व अग्रोहा से प्राप्त सिक्कों से पता चलता है कि प्राचीनकाल में हिसार क्षेत्र में ‘अग्र’ गणराज्य था।
3. कुरु के बाद सोलहवें शासक शान्तुनु ने धीवर कन्या से विवाह किया।
4. भरतवंशी सुदास ने इस प्रदेश से ही अपना विजय अभियान प्रारम्भ किया और आर्यों की शक्ति, को संगठित किया।
5. आधुनिक हरियाणा के भाग उस समय कुरू और पांचाल महाजनपदों के भाग थे।
6. खुदाई में प्राप्त चीज़े विशेषकर मिट्टी के बर्तन, मूर्तियाँ, आभूषण काँसे का सामान इस काल की उन्नत जीवन शैली पर प्रकाश डालते हैं।
7. हरियाणा के बनवाली सैन्धव स्थल से मुद्रा प्राप्त हुई है; जिस पर विचित्र पशु अंकित है, जिसका धड़ सिंह की तरह और सींग बैल की तरह है।
8. उत्तरवैदिक काल में इस क्षेत्र में कुरु वंश का शासन था। इस वंश का सम्बन्ध दुष्यन्त व शकुन्तला से बताया जाता है। इस वंश का प्रतापी शासक शान्तनु था जिसके उत्तराधिकारी कौरव व पाण्डव थे।
9. यह भी मान्यता है कि मानव जाति की उत्पत्ति जिन वैवस्तु मनु से हुई, वे इसी प्रदेश के राजा थे?
10. सिंधु सभ्यता का प्रमुख स्थल “बनवाली’ हरियाणा के फतेहाबाद जिले में स्थित है।
11. महाभारत काल से शताब्दियों पर्व आर्यवंशी कुरूओं ने यही पर कृषि-युग का प्रारम्भ किया।
12. सैन्धव स्थल भगवानपुर हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले में है।
13. हरियाणा से प्राप्त सबसे पुरानी मूर्तियाँ यक्ष-यक्षिणी है।
14. सिंधु सभ्यता का प्रमुख प्राचीन स्थल “मीताथल’ हरियाणा में भिवानी में है।
15. हिसार जिले के राखीगढ़ी में सिंधु घाटी की सभ्यता के अवशेष पाए गए थे।
16. रोहतक, अग्रोहा का बौद्ध ग्रन्थ दिव्यावदान में उल्लेख है।
17. पांडवों की रमणस्थली एवं महर्षि च्यवन की कर्मस्थली नारनौल में है।
18. महाभारत काल में शताब्दियों पूर्व हुए आर्यवंशी कुरुओं ने इस प्रदेश में कृषि युग का प्रारम्भ किया था।
19. हरियाणा के हिसार जिले में सीसवाल स्थान से नवपाषाणयुगीन कृषक बस्तियों के प्रमाण मिले हैं।
20. नगरों की बनावट, सुरक्षा तथा पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था इनकी प्रमुख विशेषताएँ थी।
21. जैमिनीय ब्राह्मण ग्रन्थ से पता चलता है कि भरत सिन्धु तीर के निवासी थे।
22. प्रसिद्ध पुरातत्वविद् रवींद्र सिंह विष्ट ने हिसार के बनावली में सिंधु घाटी सभ्यता पर काम किया।
23. सरस्वती और गंगा के बीच बहुत बड़े भू-भाग को ‘कुरू प्रदेश’ के नाम से जाना जाता रहा।
24. हरियाणा सरस्वती नदी के किनारे अवस्थित था।
25. हरियाणा से प्राप्त कुषाणकालीन मूर्तियों का मुख्य केन्द्र रोहतक है।
26. छठी शताब्दी के आसपास कुरुक्षेत्र का उल्लेख बाणभट्ट कृत हर्ष चरित में श्रीकण्ठ जनपद के रूप में मिलता है।
27. वामन पुराण की कथा के अनुसार राजा कुरु ने द्वैतवन में हल चलाकर कुरुक्षेत्र को आबाद किया।
28. भिराना सबसे पुराना हड़प्पा घाटी स्थल है।
29. बौद्धकाल में कुरु और पांचाल महाजनपदों में आधुनिक हरियाणा के भाग शामिल थे।
30. सैन्धव सभ्यता के बाद की जानकारी में साहित्यिक स्त्रोतों की भूमिका काफी अधिक है। इसमें वैदिक साहित्य में काफी कुछ ऐसा है जो इस क्षेत्र की जानकारी देता है। वैदिक साहित्य में इस क्षेत्र के लिए ब्रह्मवर्त तथा बहुधान्यक शब्द का प्रयोग किया गया है।
31. सरस्वती (घग्घर) दृषद्वती (चितंग) तथा यमुना नदी के बीच का क्षेत्र ऐतिहासिक घटनाओं का केन्द्र बिन्दु रहा है। सीसवाल से खुदाई के उपरान्त प्राप्त सामग्री इस बात की जानकारी देती है। कि हड़प्पा सभ्यता का नाम दिया जाता है।
32. हरियाणा क्षेत्र में राखीगढ़ी, मित्ताथल, बनावली तथा भिरड़ाणा स्थलों की गणना भारत के सबसे बड़े स्थलों के रूप में होती है। इस नगरीय सभ्यता के लोगों का जीवन आरामपरस्त तथा सुख-सुविधापूर्ण था।
33. हरियाणा में सिंधु घाटी सभ्यता – भिवानी, हिसार, रोहतक, जींद, करनाल, अम्बला, कुरुक्षेत्र, गुड़गाँव, सोनीपत आदि जिलों में फैली हुई थी।
34. भद्रबाहुचरित एवं कथाकोश, दिव्यावदान एवं मज्झिमनिकाय, हर्ष चरित एवं राजतरंगिणी ग्रन्थ में हरियाणा के बारे में उल्लेख मिलता है।
35. चाक पर बने मिट्टी के लाल रंग के बर्तन, स्लेटी रंग के बर्तन, मनके, मिट्टी की चूड़ियाँ, ताँबे के हत्थे वाला गंडासा, खिलौने आदि सीसवाल में काफी मात्रा में मिले हैं। इसे सीसवाल सभ्यता भी कहा जाता है।
36. विजय गढ़ के लेख से पता चलता है कि महाराज ही महासेनापति होता था।
37. इनके मध्य महाभारत का युद्ध हुआ था जिसमें कौरवों की हार हुई थी। इस युद्ध का एक अन्य विशेष प्रकरण भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया महत्वपूर्ण उपदेश हैं। जनमानस इसे ‘गीता का उपदेश’ के नाम से जानता है।
38. हरियाणा के मीताथल स्थान से कुषाणकालीन सोने व चाँदी के सिक्के प्राप्त हुए हैं।
39. महाभारत ग्रन्थ में हरियाणा को ‘बहुधान्यक’ कहा गया है।
40. मीताथल स्थान से समुद्रगुप्त के सिक्के प्राप्त हुए हैं।
41. इस राज्य को आदि सृष्टि का जन्म-स्थान भी माना जाता हैं।
42. ष्अवन्ति सुन्दरी कथा में इन्हें स्थाण्वीश्वर निवासी कहा गया हैं। पुरातत्वेत्ताओं के अनुसार आद्यैतिहासिक कालीन-प्राग्हड़प्पा, हड़प्पा, परवर्ती हड़प्पा आदि अनेक संस्कृतियों के अनेक प्रमाण हरियाणा के वणावली, सीसवाल, कुणाल, मिर्जापुर, दौलतपुर और भगवानपुरा आदि स्थानों के उत्खननों से प्राप्त हुए है।
43. हड़प्पा सभ्यता या सैन्धव सभ्यता की जानकारी देने वाले सर्वाधिक स्थल हरियाणा क्षेत्र में हैं।
44. हरियाणा के महेन्द्रगढ़ क्षेत्र में अर्जुनायन गण विद्यमान था।
45. हरियाणा के हिसार जिले के अग्रोहा एवं बरवाला से प्राप्त सिक्कों से हरियाणा के अग्र गणराज्य के सम्बन्ध में जानकारी मिलती है।

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