सांप्रदायिक राजनीति का क्या अर्थ है
सांप्रदायिक राजनीति का क्या अर्थ है
सांप्रदायिक राजनीति का अर्थ है राजनीति में धर्म का प्रयोग तथा इसमें कहा जाता है कि एक धर्म दूसरे धर्म से श्रेष्ठ है। इसमें एक धर्म दूसरे धार्मिक समूह से बिल्कुल ही विपरीत होता है तथा उनकी माँगें भी एक-दूसरे के विरुद्ध होती हैं। सांप्रदायिक राजनीति का एक ही आधार होता है कि धर्म के आधार पर समुदायों का निर्माण भी हो सकता है। यह कहता है कि एक धर्म के लोग एक ही समुदाय से संबंधित होते हैं तथा उनके विचार भी एक जैसे ही होते हैं। सांप्रदायिक राजनीति यह भी कहती है कि अलग-अलग धर्मों के अनुयायी एक समुदाय का निर्माण नहीं कर सकते। सांप्रदायिक राजनीति के अनुसार अलग-अलग धर्मों के लोग एकसमान नहीं होते तथा एक विशेष क्षेत्र में मिल-जुल कर नहीं रह सकते।
राजनीतिक दल के प्रश्न उत्तर
उत्तर- 1998 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन एनडीए के नेता के रूप में बीजेपी ने सत्ता संभाली।
उत्तर बहुजन समाज पार्टी का गठन कांशीराम ने 1984 में किया।
उत्तर- इस पार्टी का गठन 1964 ई० में समाजवाद, धर्मनिरपेक्ष तथा लोकतंत्र को बढ़ावा देने के लिए तथा साम्राज्यवादी और सांप्रदायिकता के विरोध में हुआ।
उत्तर- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का गठन कांग्रेस पार्टी में विभाजन के फलस्वरूप 1999 में हुआ।
उत्तर- चीन में शासन की अनुमति सिर्फ कम्युनिस्ट पार्टी को है।
उत्तर- यह देश है: (क) अमेरिका
(ख) ब्रिटेन।
उत्तर- अधिकतर लोग राजनीतिक दलों की आलोचना इसलिए करते हैं क्योंकि वह यह सोचते हैं कि जो कुछ ग़लत हमारे लोकतंत्र तथा राजनीतिक व्यवस्था में हो रहा है वह राजनीतिक दलों के कारण ही है। लोग सोचते हैं कि समाज के सामाजिक और राजनीतिक विभाजन के लिए यह दल ही उत्तरदायी हैं।
उत्तर- बहुदलीय व्यवस्था में जब कई राजनीतिक दल एक-दूसरे से हाथ मिला लेते हैं ताकि वह इकट्ठे मिलकर चुनाव लड़कर बहुमत प्राप्त कर सकें तथा सरकार बना सकें तो इसे गठबंधन कहते हैं।
उत्तर- भारत में बहुदलीय व्यवस्था इसलिए है क्योंकि भारत में सामाजिक तथा भौगोलिक विविधता है तथा इतने बड़े देश में दो या तीन दलों से कार्य चलाना मुमकिन नहीं है। यहाँ प्रत्येक समूह को अपना प्रतिनिधित्व चाहिए होता है। इसीलिए यहाँ पर बहुदलीय शासन व्यवस्था है।
उत्तर- राष्ट्रीय दल वह दल होते हैं जिनकी शाखाएँ देश के लगभग सभी राज्यों में होती हैं। परंतु महत्त्वपूर्ण बात यह है कि ये सभी शाखाएँ उन एक समान नीतियों, कार्यक्रम अथवा प्लान के पीछे चलते हैं, जो कि उनकी केंद्रीय सत्ता ने तय किए होते हैं।
उत्तर- भारत में चुनाव आयोग ने बड़े तथा स्थापित दलों को कुछ सुविधाएँ दी हुई हैं। उन्हें एक विशेष चिह्न दिया गया है तथा उनके उम्मीदवार चुनाव में वह चिह्न प्रयोग कर सकते हैं। वह दल जिन्हें इस प्रकार का विशेषाधिकार तथा सुविधाएँ चुनाव आयोग द्वारा : दी गई हैं, उन्हें चुनाव आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त है तथा उन्हें ही मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल कहा जाता है।
उत्तर- हमारे देश में कुछ ऐसे राजनीतिक दल हैं जो किसी विशेष क्षेत्र अथवा प्रांत तक ही सीमित होते हैं तथा उनका संपूर्ण राष्ट्र में बेस नहीं होता है। उन्हें केवल एक क्षेत्र के लोग ही जानते तथा पहचानते हैं। इन्हें ही क्षेत्रीय दल कहा जाता है। शिरोमणी अकाली दल, डीएमके, पीडीपी,नेशनल कांफ्रेंस इत्यादि इसके कुछ उदाहरण हैं।
उत्तर- राजनीतिक दल ऐसे नागरिकों का समूह है, जो सार्वजनिक मामलों पर एक से विचार रखते हों और संगठित होकर अपने मताधिकार द्वारा सरकार पर अपना नियन्त्रण स्थापित करना चाहते हों, ताकि अपने सिद्धांतों को लागू कर सकें।
उत्तर जब कोई एमएलए (MLA) अथवा एमपी (MP) अपने मूल दल को छोड़कर मंत्री पद अथवा नगद पैसे के लालच में दूसरे दल में शामिल हो जाता है तो उसे दल-बदल कहते हैं। आजकल दल-बदल करना मुमकिन नहीं है अन्यथा एमएलए अथवा एमपी को अपना पद छोड़ना पड़ सकता है।
उत्तर- भारत में निम्नलिखित सात राष्ट्रीय दल हैं:
(क) इंडियन नेशनल कांग्रेस (INC)
(ख) भारतीय जनता पार्टी (BJP)
(ग) बहुजन समाज पार्टी (BSP)
(घ) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी (CPI (M))
(ङ) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI)
(च) राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP)
(छ) तृणमूल कांग्रेस पार्टी (TMC)
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