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रिमूवेबल स्टोरेज डिवाइस क्या होती है

रिमूवेबल स्टोरेज डिवाइस क्या होती है

रिमूवेबल स्टोरेज डिवाइस वह स्टोरेज डिवाइस होती है जिसे हम ON कंप्यूटर से भी हटा सकते हैं. जैसे कि पेनड्राइव, एक्सटर्नल हार्ड डिस्क, सीडी डीवीडी और ब्लू रे डिस्क इत्यादि. रिमूवेबल स्टोरेज डिवाइस का इस्तेमाल एक कंप्यूटर से डाटा दूसरे कंप्यूटर में डालने के लिए किया जाता है या हमारे किसी भी डाटा को अतिरिक्त जगह सुरक्षित रखने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.

रिमूवेबल स्टोरेज डिवाइस कई प्रकार की होती हैं जिनके कुछ उदाहरण आपको ऊपर बताए गए हैं और नीचे आपको इनके बारे में ज्यादा विस्तार पूर्वक बताया जाएगा.

Hard Disk

हार्ड डिस्क एक ऐसी स्टोरेज डिवाइस है जो कि कंप्यूटर के अंदर भी लगाई जाती है और कंप्यूटर के बाहर भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. सबसे ज्यादा डाटा स्टोरेज डिवाइस में हार्ड इसका नाम आता है. कम्प्यूटर में हार्ड डिस्क ड्राइव का बहुत ही
महत्वपूर्ण स्थान है। इसे कम्प्यूटर की सेकेण्डरी मेमोरी भी कहा जाता है। इससे जहाँ एक ओर कम्प्यूटर बूट होता है वहीं दूसरी
ओर सभी सॉफ्टवेयर और डेटा भी इसी में रहता है. इसकी डेटा स्टोर करने की क्षमता मेगाबाइट से बढ़कर गेगाबाइट में पहुँच गयी है।आज मार्केट में आपको 500 gb से लेकर 8 TB तक की स्टोरेज वाली हार्ड डिस्क मिल जाएगी. इसीलिए इसका इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया जाता है.

SSD

सॉलि़ड स्टेट ड्राइव यह भी स्टोरेज डिवाइस  है लेकिन यह हार्ड डिक्स से कहीं ज्यादा एडवांस है इसकी स्पीड हार्ड डिस्क से कई गुना ज्यादा है और वजन हार्ड डिस्क से कई गुना कम है. हार्ड डिस्क में मैग्नेटिक पार्ट्स होते हैं जिनके कारण उसका भार ज्यादा हो जाता है और सॉलि़ड स्टेट ड्राइव में इंटीग्रेटेड सर्किट होता है जिसके कारण इसका वजन बहुत ही कम होता है लेकिन इसकी कीमत हार्ड इसके मुकाबले बहुत ज्यादा होती है. और अभी तक मार्केट में हार्ड डिस्क के मुकाबले ज्यादा डाटा स्टोर वाली SSD भी नहीं आई है.

मैग्नेटिक टेप

कुछ समय पहले तक जब बहुत बड़ी मात्रा में डेटा स्टोर करना होता था तो मैग्नेटिक टेप को प्रयोग किया जाता था, लेकिन अब इनका चलन कम हो गया है और गिनी चुनी संस्थायें ही इन्हें प्रयोग करती हैं। इसमें डेटा स्टोर करने की प्रक्रिया रैंडम न होकर सीक्वेंशियल होती है। इसमें प्रयोग होने वाला टेप प्लास्टिक से बना होता है और .5 इंच तक चौड़ा हो सकता है। इस पर आयरन ऑक्साइट की कोटिंग होती है जिसे चुम्बकीय गुण से युक्त किया जाता है।  एक टैप कैसेट में इसकी लंबाई 50 फुट से लेकर 2400 फुट तक हो सकती है। इसमें स्टोर डेटा को इरेज करके बार-बार प्रयोग किया जा सकता है।

पेन ड्राइव

यूएसबी ड्राइव इस समय पेन ड्राइव को एक प्रमुख सेकेंडरी स्टोरेज के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। इसे कम्प्यूटर की किसी भी USB पोर्ट से जोड़ सकते हैं। इसे प्रयोग करने के लिये जरूरी है कि आपके कम्प्यूटर में कम से कम विंडोज़ का XP संस्करण ऑपरेटिंग सिस्टम के रूप में प्रयोग किया जा रहा हो। इससे कम के वर्जन पर यह काम नहीं करती है। इसमें आप 64 GB तक डेटा स्टोर कर सकते हैं। .

माइक्रो एसडी कार्ड

मेमोरी कार्ड का इस्तेमाल आप अपने फोन के साथ में करते होंगे या आपने कभी ना कभी जरूर किया होगा. मेमोरी कार्ड को भी Card Reader की मदद से आप कंप्यूटर के साथ में लगा सकते हैं. स्टोरेज के मामले में मेमोरी कार्ड 1 gb से लेकर 500 GB तक के मिलेंगे. आजकल पीसी और लैपटॉप में माइक्रो एसडी कार्ड सेकेंडरी मेमोरी के तौर पर प्रयोग किये जाते हैं और इनमें 64 GB तक डेटा स्टोर किया जा सकता है। टेबलेट और मोबाइल फोन्स में ये अतिरिक्त मेमोरी डिवाइस के रूप में इस्तेमाल किये जाते हैं। कम्प्यूटर और लैपटॉप में इनेके लिये विशेष स्लॉट बने होते हैं।

सीडी रोम डाइव

सीडी-रोम का अर्थ है कॉम्पैक्ट डिस्क रीड-ऑनली मेमोरी। एक बड़े पैमाने पर स्टोरेज माध्यम जो एक ऑप्टिकल लेजर का उपयोग कर एक पॉलीकार्बोनेट डिस्क की एल्युमिनाइज्ड (aluminized) परत पर सूक्ष्म गड्ढों को पढ़ता है। यही प्रारूप ऑडियो कॉम्पैक्ट डिस्क के लिए प्रयोग किया जाता है। इसकी उच्च स्टोरेज क्षमता, विश्वसनीयता, और कम लागत की वजह से, सीडी-रोम तेजी से लोकप्रिय स्टोरेज मीडिया बन गया है। एक सीडी-रोम डिस्क की स्टोरेज क्षमता लगभग 650 मेगाबाइट है, जो 500 से अधिक उच्च घनत्व 3.5 फ्लॉपी डिस्क या मोटे तौर पर 250,000 टाइप किये गए पृष्ठों के समान है। प्रथम पीढ़ी ड्राइव (एकल गति के रूप में जाना जाता है), प्रति सेकंड लगभग 150 किलोबाइट्स के हस्तांतरण की दर प्रदान करता था। हार्डवेयर निर्माताओं ने फिर डबल गति (300 KB/sec), ट्रैक्टर की गति (600 KB /sec) और उच्च गति पेश की। वर्तमान ड्राइव, 40 बार गति को संचालित करते हैं, हालांकि अधिकतम दर डिस्क की सतह के कुछ भागों पर ही प्राप्त हो सकती है।

डीवीडी

डिजिटल वर्सेटाइल डिस्क और ड्राइव सीडी के पश्चात डीवीडी का नंबर आता है। इसका पूरा नाम है डिजिटल वर्सेटाइल डिस्क । सन् 1995 के करीब डीवीडी का विकास हुआ और इसकी एक लेयर में 4.7 गेगाबाइट और दोनों लेयरों में मिलाकर 8.5 गेगाबाइट तक डेटा आ सकता है। इसकी क्षमता सीडी से 11 से 12 गुना अधिक हो सकती है। देखने में और आकार में सीडी तथा डीवीडी डिस्क में कोई अंतर नहीं होता है और इसी तरह से सीडी और डीवीडी ड्राइव में भी कोई भौतिक अंतर नहीं होता है।

ब्लू-रे डिस्क एंड ड्राइव

कम्प्यूटर की ऑप्टिकल डेटा स्टोरेज तकनीक वर्तमान समय में डीवीडी को पीछे छोड़कर ब्लू-रे पर पहुंच गयी है। जहां एक डीवीडी में केवल 9GB डेटा ही स्टोर किया जा सकता है वहीं एक ब्लू रे डिस्क में 50 GB डेटा को स्टोर किया जा सकता है। देखने में डीवीडी ड्राइव और डिस्क तथा ब्लू-रे ड्राइव और डिस्क एक जैसी ही होती हैं।इसका नाम ब्लू-रे इसलिये है कि इसमें blue-violet लेजर के द्वारा डेटा रीड और राइट किया जाता है। इसका कारण यह है कि यह लेजर बहुत ही न्यूनतम वेवलेन्थ (405 nm) को प्रयोग करता है।

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