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महापुरुषों के समाधि स्थल ट्रिक से याद करे

महापुरुषों के समाधि स्थल ट्रिक से याद करे

नमस्कार दोस्तो, प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर महापुरुषों के समाधि स्थल से प्रश्न आते रहते है कि ,  किस महापुरुष की समाधि स्थल का क्या नाम है. ! और हम अक्सर इसमें Confuse रहते है. ! तो आज हम आपको एक ऐसी ट्रिक बतााऐंगे जिससे कि आप आसानी से याद रख पाऐंगे कि किस महापुरुष के समाधि स्थल का क्या नाम है. ! यदि समान्य ज्ञान को ट्रिक के साथ याद किया जाये तो लम्बे समय तक याद रहती है और यदि भूल भी जाये तो एक बार देखने पर उसी टाइम याद हो जाती है और शोर्ट ट्रिक लगा के समान्य ज्ञान के बहुत से टॉपिक याद किये जा सकते है

इन्द्र की शक्ति       – ( शक्ति स्थल – इंदिरा गांधी )
जग मे समता        – ( समता स्थल – जग जीवन राम )
वीर है राजीव        – ( वीर भूमि – राजीव गाँधी )
लाल विजय          – ( विजय घाट – लाल बहादुर )
बापू करे राज       – ( राज घाट – महात्मा गाँधी )
चाचा रहे शांत      – ( शांति वन – जवाहर लाल नेहरू )
मेरी अभय           – ( अभय घाट – मोरारजी देसाई )
चौधरी किसान      – ( किसान घाट – चौधरी चरण सिंह )
“इन्द्र की शक्ति, जग मे समता !

वीर है राजीव, लाल विजय !
बापू करे राज, चाचा रहे शांत !
मेरी अभय, चौधरी किसान” !
आप इन महापुरुषों के समाधि स्थल को इस ट्रिक के माध्यम से याद कर सकते है जिससे आप को आसानी होगी
इसके अलावा कुछ अन्य प्रमुख लोगो के समाधि स्थल भी है जिनके बारे में जानना आपके लिए अच्छा रहेगा :-
1.  उदय भूमि             – के आर नारायण
2. महाप्रयाण घाट      – डां राजेन्द्र प्रसाद
3. नारायण घाट        – गुलजारी लाल नंदा
4. चैत्रा भूमि             – बी आर अंबेडकर
5. कर्म भूमि             – शंकर दयाल शर्मा

भारत के कुछ अहम् महापुरुषों के बारे में जानकारी :-

1. महात्मा गांधी– महात्मा गांधी के योगदान को कैसे भुलाया जा सकता है। राष्ट्रपिता के नाम से पहचाने जाने वाले इस महापुरुष को भारत सरकार ने रुपयों में स्थान देकर जन-जन तक लोकप्रिय बनाया है। एक मुकदमे के सिलसिले में गांधीजी दक्षिण अफ्रीका गए और वहां हो रहे भारतीयों का अपमान और उन पर हो रहे अत्याचारों को देखकर गांधीजी ने रंगभेद को जड़ से उखाड़ फेंकने का निश्चय किया। गांधीजी ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ रंगभेद की नीति को लेकर सत्याग्रह आन्दोलन को प्रारंभ किया। अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आन्दोलन और भारत छोड़ो आन्दोलन का श्रीगणेश किया। सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए हुए भारत को आजादी दिलाई। गांधीजी सत्य अहिंसा के समर्थक के रूप में युगों-युगों तक अविस्मरणीय रहेंगे।

2. भीमराव अम्बेडकर– डॉ. भीमराव अम्बेडकर भारतीय संविधान के निर्माता रहे। दलित जाति में जन्म लेने के कारण बचपन से ही उनके मन में सामाजिक अनुभव, शिक्षा और सेवाकाल की घटना के फलस्वरूप मन में विद्रोह की भावना पनपती रही। छुआछूत की भावना को लेकर उसके मन में संकल्पित भावना रही कि वे उसको हटाकर ही दम लेंगे। शोषकों के खिलाफ उनके मन में विशेष आक्रोश था। समाज के पिछड़े वर्ग के लोगों को समानता का अधिकार दिलाना चाहते थे। वे सच्चे अर्थों में एक महामानव, देशभक्त तथा मानवतावादी समाज सुधारक थे। उन्हीं के फलस्वरूप सभी को कानून के समक्ष समानता का अधिकार मिला।

3. सुभाष चंद्र बोस- ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ और ‘जयहिन्द’ का नारा देने वाले इस महापुरुष का योगदान ओजस्वी विचारों के कारण भुलाया नहीं जा सकेगा। अपने ओजस्वी विचारों के कारण वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सिपाहियों को जोश से भर देते थे और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में जोशीले सिपाहियों को उत्पन्न करते थे। भारत में आजादी दिलाने में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा।

4. विवेकानंद- स्वामी विवेकानंद भारतीय संस्कृति और इतिहास को विश्व के अन्य पटल पर स्थापित करने में अग्रणी रहे हैं। भारत के बारे में विदेश के लोगों की धारणा को उन्होंने ही दूर किया कि भारत में शिक्षित और सभ्य लोग निवास नहीं करते हैं। भारत की पहचान संस्कृति सभ्यता और धार्मिकता के माध्यम से विश्व के जन-जन तक पहुंचाने में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

5. गुरु रवीन्द्रनाथ ठाकुर- गुरु रवीन्द्रनाथ ठाकुर को हम सभी लोग राष्ट्रगान के रचयिता के रूप में जानते हैं। भारत के इतिहास में उनका योगदान एक महान कवि उपन्यासकार, नाटककार, आलोचक, दार्शनिक, शिक्षाविद् अभिनेता के रूप में बहुमुखी प्रतिभा के धनी के रूप में जाना जाएगा। शांति निकेतन के संस्थापक के रूप में विश्व भर में मशहूर इस महान व्यक्तित्व को सभी लोग सामान्यत: सरल व्यक्तित्व के धनी के रूप में जानते हैं।

6. डॉ. सर्वपल्लीराधाकृष्णन– 05 सितम्बर को मनाया जाने वाला शिक्षक दिवस इन्हीं के याद में मनाया जाता है। एक शिक्षक से लेकर राष्ट्रपति बनने तक का सफर एक अद्भुत मिसाल है उनके लिए जो सादगी को पसंद नहीं करते। सरल और सादगी के धनी इस महान व्यक्ति के संबंध में अवधारणा विश्व के लोगों को बदलनी पड़ी।

7. श्रीमती इंदिरा गांधी– श्रीमती इंदिरा गांधी को कौन नहीं जानता? भारत के महिलाओं में एक नया आत्मविश्वास पैदा करने उन्हें मजबूत बनाने में इनका अविस्मरणीय योगदान है। भारत में महिला प्रधानमंत्री होने के कारण महिलाओं के दु:ख-दर्द को समझकर मानवीय मूल्य से संबंधित अनेक कल्याणकारी कार्यक्रम की शुरुआत की। इंदिरा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय शांति पुरस्कार इनके नाम से ही दिया जाता है।

8. सरदार वल्लभ भाई पटेल- सरदार वल्लभ भाई पटेल को लौह पुरुष के नाम से जाना जाता है। लौह पुरुष नाम देने का अर्थ यही हुआ कि अंग्रेज शासनकाल में अपनी निडरता और कठोरता से अंग्रेजों का सामना करने में उनका भूतपूर्व योगदान रहा है। अपनी निडरता के कारण ही वे अपने साथियों में जोश और उत्साह पैदा कर पाए।

9. मंगल पाण्डे- अंग्रेजों के खिलाफ बगावत का पहला शंखनाद करने वाले इस महापुरुष को भला कौन भूल सकता है। कहते हैं पहला कदम जंगल को रखने वाला वीर साहसी और निडर होता है। अत्याचार को सहने की बजाय उसका विरोध करने वाले इस प्रथम वीर जांबाज को भारतीय हमेशा याद करते रहेंगे और आने वाली पीढ़ी इनको सलाम करेगी।

10. राजीव गांधी– देश में साम्प्रदायिक ताकतों से लोहा लेने में इनका अमिट योगदान है और भारत को विश्व के धरातल में शांति और भाईचारा का संदेश देने में इनका कोई सानी नहीं है। राजीव गांधी सद्भावना पुरस्कार इन्हीं के नाम से आज भी दिया जाता है। भारत में

21वीं सदी के बारे में सोचने वाले इस महानायक को लोग हमेशा याद रखेंगे।

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