दिष्ट धारा (D.C.) जेनरेटर के सिद्धांत, रचना और कार्य का वर्णन कीजिए
दिष्ट धारा (D.C.) जेनरेटर के सिद्धांत, रचना और कार्य का वर्णन कीजिए
सिद्धांत – यह फ्लेमिंग के दायें हाथ के नियम पर आधारित है। इसके अनुसार यदि आप अपने दाहिने हाथ में विद्युत धारावादी चालक को इस प्रकार पकडे हों कि आपका अंगठा विद्युत धारा की दिशा की ओर संकेत करता है तो आप की अंगुलियाँ चालक के चारों ओर चंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाओं की दिशा में लिपटी होंगी।
रचना – दिष्ट धारा जनित्र में निम्नलिखित प्रमुख भाग होते हैं
- आर्मचर (Amature) – इसमें एक कंडली ABCD होती है जिसमें मृदु लोहे पर तांबे की अवरोधी तार को बड़ी संख्या में लपेटे दिए जाते हैं। इसे आर्मेचर कहते हैं। इसे एक धुरी पर लगाया जाता है जो भाप, पानी या बहते। पानी के बल से अपने चारों ओर घूम सकता है।
- क्षेत्र चुबक (Field Magnet) – दो चुंबकों के शक्तिशाली ध्रुवों के बीच कुंडली को स्थापित किया जाता , जिसे चुंबकीय क्षेत्र कहते हैं। छोटे जनित्रों में स्थायी चुंबकों का प्रयोग किया जाता है पर बड़े जनित्रों में विद्युत् – चुंबक लगाए जाते हैं।
- स्पिलिट रिग्ज़ (Split Rings) – कुंडली के दोनों सिरों को तांबे के बने आधे रिंग्ज R, और R, के साथ जो जाता है। ये दोनों कंप्यूटरों का कार्य करते हैं।
- कार्बन ब्रश (Carbon Brush) कार्बन के दो ब्रश B, और B, दोनों आधे रिंग्ज़ R, और R, के साथ स्पर्श करते हैं। जब कुंडी घूमती है तो R, और R, बारी – बारी से B, और B, को छूते हैं। इनसे उत्पन्न विद्युत् धारा की प्राप्ति होती है।
- दोनों B, और B, से विद्युत् धारा को लोड के द्वारा प्राप्त कर लिया जाता है जो दोनों ब्रशों B, और B, पर लगाया जाता है। रेखांकन में इसके स्थान पर गैल्वनोमीटर को लगा हुआ दिखाया गया है।
कार्य विधि – कुंडली ABCD दो चुंबकों के ध्रुवों के बीच क्षैतिज स्थिति में है। इसे घड़ी की सूई की विपरीत (anti clockwise) दिशा में घुमाओ। AB को ऊपर और CD को नीचे की दिशा में घूमने दो। चुंबक के उत्तरी ध्रुव के निकट कुडली AB चुंबकीय रेखाओं को काटती है और दक्षिणी ध्रुव के निकट CD भी यही करती है। कुंडली के द्वारा काटे गए चुबकीय क्षेत्र में परिवर्तन के कारण AB और CD में विद्युत धारा उत्पन्न होती है। फ्लेमिंग के दाये हाथ के नियम से विद्युत् धारा की दिशा को B से A और D से c बदला जाता है। जिसका प्रभावी बहाव DCBA की ओर दिखाई देता है।
कुंडली के आधे चक्कर के बाद AB और DC अपनी स्थितियों को बदल लेते हैं। AB दायीं तथा DC बायीं तरफ आ जाती है। प्रत्येक आधे चक्कर के बाद प्रेरित विद्युत् धारा की दिशा बदल जाती है। जब भी कुंडली अपनी स्थिति बदलता है तब R1 और R> का ब्रश B, और B, से संपर्क बदलता है जिस कारण बाहरी परिपथ में विद्युत् धारा की दिशा वही बनी रहती है।
विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव से संबंधित प्रश्न
प्रश्न . किस वैज्ञानिक ने यह विचार प्रस्तुत किया था कि चुंबक को भी विद्युत् धारा वाही चालक पर परिमाण में समान परंतु दिशा के विपरीत बल आरोपित करना चाहिए ?
उत्तर- फ्रांसीसी वैज्ञानिक आंद्रे मैरी ऐंपियर ने
प्रश्न . विद्युत् धारा सदा कौन-सा क्षेत्र उत्पन्न करती है ? |
उत्तर- चुंबकीय क्षेत्र
प्रश्न . नर्म लोहे के क्रोड वाले विद्युत् चुंबक तथा स्टील क्रोड वाले विद्युत् चुंबक में से कौन-सा अधिक शक्तिशाली होता है ?
उत्तर- नर्म लोहे के क्रोड वाला
प्रश्न . किन्हीं दो उन यंत्रों के नाम लिखो जिनमें विद्युत् चुंबक प्रयोग होता है ?
उत्तर- (i) विद्युत् (ii) टेलीग्राफ
प्रश्न . विद्युत् की शक्ति किन-किन बातों पर निर्भर करती है ?
उत्तर- (1) विद्युत् धारा की शक्ति पर (2) कुंडली में तारों की लपेटों की संख्या पर (3) चुंबक के रूप में
प्रश्न . यदि परिनालिका में विद्युत् प्रवाहित की जाए तो यह कैसा व्यवहार करेगी ?
उत्तर- चुंबक की तरह
प्रश्न . यदि विद्युत् चुंबक में विद्युत् धारा की दिशा बदल दी जाए तो क्या होगा ?
उत्तर- चुंबक के ध्रुव बदल जाएंगे
प्रश्न . हमारे शरीर की तंत्रिका कोशिकाओं के अनुदिश गमन करने वाली दुर्बल आयन धाराएं क्या उत्पन्न करती हैं ?
उत्तर- चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करती हैं
प्रश्न . हमारी तंत्रिकाओं में उत्पन्न अस्थायी चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की तुलना में उसके किस भाग के बराबर होता है ?
उत्तर- एक अरब वें भाग के बराबर
प्रश्न . मानव शरीर के किन दो भागों में चुंबकीय क्षेत्र का उत्पन्न होना महत्त्वपूर्ण होता है ?
उत्तर- हृदय और मस्तिष्क
प्रश्न . नाल चुंबक तथा दंड चुंबक में कौन-सी चुंबकीय पदार्थों को अधिक शक्ति से आकर्षित करती है और क्यों ?
उत्तर- नाले चुंबक अधिक शक्तिशाली होती है क्योंकि इसके दोनों ध्रुव पास-पास होते हैं
प्रश्न . खानों में विद्युत् चुंबक का उपयोग किस काम के लिए किया जाता है ?
उत्तर- लौह-अयस्क को चट्टान के टुकड़ों से अलग करने के लिए
प्रश्न . विद्युत् धारा का मान बढ़ाने पर विद्युत् चुंबकीय शक्ति पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर- विद्युत् चुंबकीय शक्ति अधिक हो जाती है
प्रश्न . विद्युत् घंटी विद्युत् के किस प्रभाव पर काम करती है ?
उत्तर- विद्युत् घंटी विद्युत् धारा के चुंबकीय प्रभाव पर काम करती है
प्रश्न . किसी चुंबकीय पदार्थ की सरलता से चुंबक किस प्रकार बनाया जा सकता है ?
उत्तर-चुंबक के साथ रगड़ कर
प्रश्न . विद्युत् चुंबक किसकी सहायता से बनाए जाते हैं ?
उत्तर- विद्युत् धारा की सहायता से
प्रश्न . कौन-सा चुंबक अस्थायी होता है ?
उत्तर- विद्युत् चुंबक
प्रश्न . क्या चुंबक का प्रभाव अचुंबकीय वस्तु से गुजर सकता है ?
उत्तर- गुजर सकता है
प्रश्न . कौन-सा चुंबक ध्रुव परस्पर आकर्षण करते हैं ?
उत्तर- असमान ध्रुव
प्रश्न . किस क्रोड से अधिक शक्तिशाली चुंबक बनता है ?
उत्तर- नर्म लोहे के क्रोड से
इस पोस्ट में आपको डायनेमो का सिद्धांत डायनेमो क्या है डायनेमो जनरेटर अल्टरनेटर क्या है डी सी मोटर दिष्ट धारा जनित्र डीसी जनरेटर प्रश्न विद्युत जनरेटर questions on magnetic effects of electric current class 12 magnetic effect of electric current class 10 questions and answers pdf विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव को सर्वप्रथम किसने अवलोकित किया था? D.C. जनरेटर की कार्य प्रणाली AC और DC Current में क्या अंतर है से संबंधित काफी महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर दिए गए है .अगर यह प्रश्न उत्तर पसंद आए तो दूसरों को शेयर करना ना भूलें अगर इसके बारे में आपका कोई भी सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट करके जरूर बताएं.