जान हथेली पर रखना मुहावरे का क्या अर्थ है
जान हथेली पर रखना मुहावरे का क्या अर्थ है
जान हथेली पर रखना मुहावरे का अर्थ है प्राणोँ की परवाह न करना। मुहावरे भाषा को सुदृढ़, गतिशील और रुचिकर बनाते हैं,उनके प्रयोग से भाषा में चित्रमयता आती है। बहुत अधिक प्रचलित और लोगों के मुँहचढ़े वाक्य लोकोक्ति के तौर पर जाने जाते हैं। इन वाक्यों में जनता के अनुभव का निचोड़ या सार होता है।
1. जमीन आसमान का फर्क– बहुत भारी अंतर।
2. ढिँढोरा पीटना– अति प्रचारित करना/सबको बताना।
3. ढोल मेँ पोल होना– थोथा या सारहीन।
4. झाडू फिराना– सब कुछ बर्बाद कर देना।
5. दूध के दाँत न टूटना– ज्ञान और अनुभव का न होना।
6. जहर उगलना– कड़वी बातेँ करना।
7. डोरी ढीली छोड़ना– नियन्त्रण मेँ ढील देना।
8. नाक रगड़ना– दीनता दिखाना।
9. दामन पकड़ना– सहारा लेना।
10. डकार जाना– किसी की चीज को लेकर न देना/माल पचा जाना।
11. दाना–पानी उठना– जगह छोड़ना।
12. दाँतोँ तले उँगली दबाना– आश्चर्य करना/हैरान होना।
13. तितर–बितर होना– बिखर कर भाग जाना।
14. ढपोरशंख होना– झूठा या गप्पी आदमी।
15. जमीन आसमान एक करना– सब उपाय कर डालना।
16. ठोकर खाना– हानि उठाना।
17. ढाई दिन की बादशाहत– थोड़े दिन की मौज–बहार।
18. जी चुराना– काम करने से कतराना।
19. ठिकाने आना– ठीक स्थान पर आना।
20. दिन दूनी रात चौगुनी होना– बहुत जल्दी–जल्दी होना।
21. जी चुराना– किसी काम से दूर भागना।
22. टाँग अड़ाना– हस्तक्षेप करना।
23. दूध का धुला/धोया होना– निर्दोष या निष्कलंक होना।
24. जान पर खेलना– मुसीबत मेँ रहकर काम करना।
25. दाँत पीसना– क्रोध करना।
26. डोरे डालना– प्रेम मेँ फँसाना।
27. नाक चोटी काटकर हाथ मेँ देना– दुर्दशा करना।
28. दाने–दाने को तरसना– अत्यंत गरीब होना।
29. नमक मिर्च लगाना– बात बढ़ा–चढ़ाकर कहना।
30. जलती आग मेँ तेल डालना– और भड़काना।
31. धूप मेँ बाल सफेद करना– अनुभवहीन होना।
32. तारे गिनना– रात को नीँद न आना/व्यग्रता से प्रतीक्षा करना।
33. तेल की कचौड़ियोँ पर गवाही देना– सस्ते मेँ काम करना।
34. टका–सा जवाब देना– दो टूक/रूखा उत्तर देना या मना करना।
35. दूध का दूध और पानी का पानी– उचित न्याय करना।
36. नाक काटना– अपमानित करना।
37. जूतियाँ चटकाना/तोड़ना– मारे–मारे फिरना।
38. धूल मेँ मिल जाना– नष्ट हो जाना।
39. दाँत खट्टे करना– परास्त करना/नीचा दिखाना।
40. दो दिन का मेहमान– जल्दी मरने वाला।
41. ठन–ठन गोपाल– निर्धन व्यक्ति/खोखला।
42. जूतियोँ मेँ दाल बाँटना– लड़ाई झगड़ा हो जाना।
43. थाली का बैँगन– लाभ–हानि देखकर पक्ष बदलने वाला व्यक्ति/सिद्धान्तहीन व्यक्ति।
44. ठीकरा फोड़ना– दोष लगाना।
45. तीन का तेरह होना– अलग–अलग होना।
46. दाई से पेट छिपाना– परिचित से रहस्य को छिपाये रखना।
47. दाहिना हाथ होना– अत्यन्त विश्वासपात्र बनना/बहुत बड़ा सहायक।
48. दमड़ी के लिए चमड़ी उधेड़ना– मामूली सी बात के लिए भारी दण्ड देना।
49. थूककर चाटना– बात कहकर बदल जाना।
50. टूट पड़ना– सहसा आक्रमण कर देना।
51. नानी याद आना– कठिनाई मेँ पड़ना/घबरा जाना।
52. तिल का ताड़ करना– बढ़ा चढ़ाकर बातेँ करना।
53. तेली का बैल होना– हर समय काम मेँ लगे रहना।
54. टोपी उछालना– अपमान करना।
55. झोली भरना– अपेक्षा से अधिक देना।
56. टट्टी की ओट मेँ शिकार खेलना– छिपकर षड्यन्त्र रचना।
57. जी का जंजाल– व्यर्थ का झंझट।
58. जी भर जाना– हृदय द्रवित होना।
59. टेढ़ी उँगली से घी निकालना– शक्ति से कार्य सिद्ध करना।
60. दृष्टि फेरना– अप्रसन्न होना।
61. नाकोँ चने चबाना– बहुत तंग करना।
62. दाल मेँ काला होना– सन्देहपूर्ण होना/गड़बड़ होना।
63. जीती मक्खी निगलना– जानबूझकर बेईमानी करना।
64. नाक रखना– मान रखना।
65. दिन–रात एक करना– खूब परिश्रम करना।
66. दिमाग आसमान पर चढ़ना– बहुत घमण्ड होना।
67. दाँत पीसकर रहना– क्रोध पीकर चुप रहना।
68. दबे पाँव चलना– ऐसे चलना जिससे चलने की कोई आहट न हो।
69. तार–तार होना– पूरी तरह फट जाना।
70. दाल न गलना– वश नहीँ चलना/सफल न होना।
71. नाक पर मक्खी न बैठने देना– बहुत साफ रहना/अपने पर आँच न आने देना।
72. तलवे चाटना– खुशामद करना।
73. धज्जियाँ उड़ाना– नष्ट–भ्रष्ट करना।
74. डंका बजाना– ख्याति होना/प्रभाव जमाना/घोषणा करना।
75. जबान मेँ लगाम न होना– बेमतलब बोलते जाना।
76. जान के लाले पड़ना– गम्भीर संकट मेँ पड़ना।
77. दिन फिरना– भाग्य पलटना।
78. तूती बोलना– खूब प्रभाव होना।
79. नाक भौँ चढ़ाना– घृणा या असन्तोष प्रकट करना।
80. दो टूक जवाब देना– साफ–साफ उत्तर देना।
81. जान हथेली पर रखना– प्राणोँ की परवाह न करना।
82. जी पर आ बनना– मुसीबत मेँ आ फँसना।
83. दौड़–धूप करना– कठोर श्रम करना।
84. दो नावोँ पर पैर रखना– दोनोँ तरफ रहना/एक साथ दो लक्ष्योँ को पाने की चेष्टा करना।
85. नकेल हाथ मेँ होना– वश मेँ होना।
86. टका–सा मुँह लेकर रह जाना– लज्जित हो जाना।
87. धरती पर पाँव न पड़ना– अभिमान मेँ रहना।
88. नाक में दम करना– बहुत तंग करना।
89. ठंडा पड़ना– क्रोध शान्त होना।
90. जोड़–तोड़ करना– उपाय करना।
91. थाह लेना– पता लगाना।
92. दाँत काटी रोटी होना– घनिष्ठ मित्रता।
93. झक मारना– व्यर्थ परिश्रम करना।
94. डंके की चोट कहना– स्पष्ट कहना।
95. निन्यानवेँ के फेर मेँ पड़ना– पैसा जोड़ने के चक्कर मेँ पड़ना।
96. टाँय–टाँय फिस हो जाना– काम बिगड़ जाना।
97. जूतियाँ/जूते चाटना– चापलूसी करना।
98. दाँत उखाड़ना– कड़ा दण्ड देना।
99. धूल फाँकना– व्यर्थ मेँ भटकना।
100. दिन मेँ तारे दिखाई देना– घबरा जाना/अजीब हालत होना।
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