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चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए लोकोक्तियाँ का क्या अर्थ है

चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए लोकोक्तियाँ का क्या अर्थ है
चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए लोकोक्तियाँ का अर्थ है : बहुत कंजूस होना
जैसे : राजपाल अपने बेटे को स्कुल जाने के लिए पुस्तक भी नहीं दिलाता . उसका तो यही सिद्धान्त है कि चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए .
लोकोक्ति का अर्थ है- लोक + उक्ति (लोक में प्रचलित उक्ति) वर्षो के अनुभव की कसौटी पर कसे गए कथन को लोकोक्ति या कहावत कहा जाता है .

लोकोक्तियाँ क्या होती है

लोकोक्तियाँ – ऐसी प्रचलित उक्तियाँ जो अपने विशेष अर्थों में किसी सच्चाई को प्रकट करती है उन्हें लोकोक्तियाँ कहते है लोकोतियाँ शब्द दो शब्दों के योग से बना है – लोक + उक्ति , लोक का अर्थ है – संसार के लोग तथा उक्ति का अर्थ है – कथन |
अंधेर नगरी चौपट राजा टके सेर भाजी टके सेर खाजा – ( अयोग्य प्रशासन में धाधली रहती है ) – मिल मालिक विलास में मस्त रहते है , श्रमिक मौज मारते है इसी को कहते है – अंधेर नगरी चौपट राजा टके सेर भाजी टके सेर खाजा
अपनी –अपनी डफली अपना – अपना राग – ( जब सब लोग अलग – अलग व्यवहार करें तब ऐसा कहा जाता है ) – वहाँ तो सबकी अपनी – अपनी डफली अपना – अपना राग था , इकट्ठे मिलकर किसी ने भी समस्या पर विचार नही किया
अंधा क्या चाहे दो आँखे – ( मनचाही वस्तु प्राप्त होने पर क्या चाहिए ) – जब मेने उसे चलचित्र देखने के लिए चलने को कहा तो वह प्रसन्नता से झूम उठा और कहने लगा – अँधा क्या चाहे दो आँखे
आँख का अँधा गाँठ का पूरा – ( मुर्ख किंतु धनी ) – रमेश के पास अक्ल कुछ भी नहीं है लेकिन उसकी दुकान में आमदनी बहुत है यह तो यही बात हुई है कि आँख का अँधा गाँठ का पूरा
आम के आम गुठलियों के दाम – ( दोहरा लाभ ) – आजकल तो अख़बार की रद्दी भी अच्छे भाव पर बिक जाती है यह तो आम के आम गुठलियों के दाम वाली बात है
आसमान से गिरा खुजर में अटका – ( एक विपत्ति से छुटकर दूसरी में फंस जाना ) – वह पुलिस के पंजे से छुटा ही था कि कर – विभाग के चुंगल में फंस गया , उसके लिए तो यह आकाश से गिरा और खजूर में अटका वाली बात हो गई
अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता – ( एक व्यक्ति कोई बड़ा कार्य नहीं कर सकता ) – तुम अकेले उस संस्था का कार्य नहीं सभाल सकते , क्या तुम नही जानते कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता
एक अनार सौ बीमार – ( वस्तु कम चाहने वाले अधिक ) – यदि किसी कार्यालय में एक स्थान की रिक्ति होती है तो उसकी पूर्ति के लिए सैकड़ो प्रार्थना पत्र आते है , इसी को कहते है एक अनार सौ बीमार
एक हाथ से ताली नहीं बजती – ( झगड़ा दोनों तरफ के ही कारण होता है ) – रमेश से जरुर तुमने पहले कुछ कहा होगा , इसलिए उसने तुम्हें चाटा मारा क्योंकि एक हाथ से ताली नहीं बजती
एक पंथ दो काज – ( एक उपाय से दो कार्य होना ) – भैया हरिद्वार में नौकरी करते है वहाँ जाकर भैया से भी मिल लेंगे और गंगा स्नान भी कर लेंगे इसे कहते है एक पंथ दो काज
अंधी पिसे कुत्ता खाए – ( मुर्ख की कमाई दुसरे खाते है ) – सुनील कमाई तो बहुत कर रहा है लेकिन इधर – उधर के झगड़ो में सारी कमाई वकीलों पर खर्च कर रहा है , सत्य ही कहा गया है कि अँधा पिसे कुत्ता खाए
देखें ऊंट किस करवट बैठता है – ( देखें क्या परिणाम निकलता है ) – परीक्षा के पेपर तो अच्छे हो गए है , देखें ऊंट किस करवट बैठता है
नया नौ दिन पुरना सौ दिन – ( नए की अपेक्षा पुराना स्थिर है ) – तुम अपने विश्वास – पात्र मित्रों को छोड़कर नए के पीछे मत भागो , क्या तुम्हे मालूम नहीं नया नौ दिन पुराना सौ दिन
नाम बड़े दर्शन छोटे – ( प्रसिद्धि अधिक किंतु तत्व कुछ भी नहीं ) – उस विद्यालय की प्रसिद्धि तो बहुत सुन रखी थी पर पढ़ाई कुछ भी नहीं , इसी को कहते है नाम बड़े दर्शन छोटे
नाच न जाने आंगन टेढ़ा – ( गुण न होने पर बहाने बनाना ) – अरे तुम्हे सिलाई करनी तो आती नहीं और दोष निकाल रही हो कपड़े में , इसी को कहते है नाच न जाने आंगन टेढ़ा
नौ नकद न तेरह उधार – ( उधार के अधिक की अपेक्षा नकद का थोड़ा अच्छा रहता है ) – जो व्यापारी नौ नकद न तेरह उधार वाली नीति पर चलते है , वे कभी आर्थिक संकट का सामना नहीं करते
बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद – ( मुर्ख व्यक्ति वस्तु के गुणों को नहीं पहचानता ) – तुम उस मुर्ख को इत्र दिखा रहे हो , भला वह इत्र का मूल्य क्या जाने | क्या तुम नहीं जानते कि बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद
बिल्ली के भागों छींका टुटा – ( अचानक कोई लाभ होना ) – वर्षा में वह दिवार जिसे आप गिरना चाहते थे , अपने आप गिर पड़ी , यही है बिल्ली के भागो छींका टूटा
लातों के भुत बातों से नहीं मानते – ( बुरे व्यक्ति मार खाए बिना सीधे नही होते ) – रामचंद्र ने रावण से सीता को छोड़ने के लिए कई संदेश भेजे लेकिन वह नहीं माना और अंत में रामचन्द्रजी को युद्ध करना पड़ा | ठीक ही कहा है – लातों के भुत बातों से नहीं मानते
सहज पके सो मीठा होय – ( धीरे – धीरे किया जाने वाला काम फलदायक होता है ) – अरे महेश पेपर की शुरू से तैयारी करोगें तब ही प्रथम स्थान प्राप्त कर सकोगें , क्योंकि सहज पके सो मीठा होय
हंसा थे सो उड़ गए कागा भए दीवान – ( योग्य व्यक्ति के स्थान पर अयोग्य व्यक्तियों का आ जाना ) – पहले के नेता वास्तव में बड़े नैतिक थे , परन्तु अब तो मामला उल्टा है , हंसा थे सो उड़ गए कागा भए दीवान .
हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और – ( कहना कुछ और करना कुछ और ) – आजकल के समाज सुधारक , दहेज – प्रथा के विरुद्ध बहुत – से भाषण देते है , लेकिन खुद दहेज के लालची है | कहा भी है – हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और
हथेली पर सरसों नहीं जमती – ( जल्दी में कोई काम नहीं बनता ) – काम करने में कुछ समय लगता है , अधिक जल्दी में हो तो कोई दूसरी दुकान देख लो , हथेली पर सरसों नहीं जमती
हाथ कंगन को आरसी क्या – ( दूसरो की प्रमाण की आवश्यकता नहीं ) – आप मेरी बात का विश्वास नहीं करते , लीजिए समाचार पत्र पढ़कर मनोगें , हाथ कंगन को आरसी क्या .

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