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कौन-कौन व्यक्ति नेत्रदान कर सकते हैं ?

कौन-कौन व्यक्ति नेत्रदान कर सकते हैं ?

निम्नलिखित व्यक्तियों को नेत्रदान करना चाहिए

(i) किसी भी आयु वर्ग के व्यक्ति।
(ii) किसी भी लिंग के व्यक्ति।
(iii) चश्मा लगाने या चश्मा न लगाने वाले।
(iv) मोतियाबिंद का ऑपरेशन करा चुके व्यक्ति।
(v) उच्च रक्त चाप से पीड़ित
(vi) मधुमेह रोगी
(vii) दमे के रोगी
(viii) जिन्हें कोई संक्रामक रोग न हो।

आँखों से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

प्रश्न. मावं आँख (Human Eve) के दोषों (Defects of Eve) को रेखांकित चित्रों की सहायता से दूर. करने के उपाय समझाएँ।
उत्तर– आँख के दोष-एक सामान्य स्वस्थ आँख अपनी फोकस दूरी को इस प्रकार संयोजित करती है कि पास तथा दूर की सभी वस्तुओं का प्रतिबिंब दृष्टिपटल (Retina) पर बन जाए। परंतु कभी-कभी आँख की इस संयोजन शक्ति में कमी आ जाती है। इससे दृष्टिपटल पर ठीक से प्रतिबिंब नहीं बनता है। इससे दूर दृष्टि (Long Sightedness) तथा निकट दृष्टि (Short Sightedness) के दोष हो जाते हैं। इनके अतिरिक्त प्रेस्बायोपिया, रंगांधता और एस्टग्माटिज्म रोग भी बहुत सामान्य है।

1. दूर दृष्टि दोष/दीर्घ दृष्टि दोष (Long Sightedness) – इस दोष के व्यक्ति को दूर की वस्तुएं तो स्पष्ट दिखाई देती हैं परंतु समीप की वस्तुएं स्पष्ट दिखाई नहीं देती हैं। इसका कारण यह है कि समीप की वस्तुओं का प्रतिबिंब रेटिना के पीछे बनता है जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
दूर दृष्टि दोष के कारण
(i) नेत्र गोलक का छोटा होना।
(ii) आँख के क्रिस्टलीय लैंस का पतन होना या इनकी फोकंस दूरी का अधिक हो जाना। बच्चों में यह रोग प्रायः नेत्र गोलक के छोटा होने के कारण होता है।
दूर दृष्टि दोष को दूर करना-  इस दोष को दूर करने के लिए उत्तल लैंस (Convex Lens) का प्रयोग किया जा है। इस लैंस के प्रयोग से निकट बिंदु से आने वाली प्रकाश किरणें किसी दूर के बिंदु से आती हुई प्रतीत होती हैं तो समीप पड़ी वस्तुएं स्पष्ट दिखाई देने लगती हैं।

2. निकट दृष्टि दोष (Short Sightedness or Myopia)—इस दोष वाली आँख के पास की वस्तुएँ तो स्पष्ट दिखाई देती हैं परंतु दूर की वस्तुएँ ठीक दिखाई नहीं देतीं या धुंधली दिखाई देती हैं। इसका अभिप्राय यह है कि दर बिंदु अनंत की तुलना में कम दूरी पर आ जाता है।

निकट दृष्टि दोष के कारण- इस दोष के उत्पन्न होने के कारण
(i) क्रिस्टलीय लैंस का मोटा हो जाना या इसकी फोकस दूरी का कम हो जाना।
(ii) आँख के गोले का लंबा हो जाना अर्थात् रेटिना तथा लैंस के बीच की दूरी का अधिक हो जाना होता है। अनंत से आने वाली समानांतर किरणें रेटिना के सामने मिलती हैं तथा प्रतिबिंब रेटिना पर नहीं बनता है।
निकट दृष्टि दोष को दूर करना-  इस दोष को दूर करने के लिए अवतल लैंस (Concave Lens) का प्रयोग करना पड़ता है जिसकी फोकस दूरी आँख के दूर बिंदु जितनी होती है।

III. प्रेस्बायोपिया (Presbyopia)- यह रोग आयु से संबंधित है। लगभग सभी व्यक्तियों को यह रोग 40 वर्ष | की आयु के बाद हो जाता है। आँख के लैंस की लचक आयु के साथ कम हो जाती है। सिलियरी माँसपेशियाँ आँख के लैंस की फोकस दूरी को परिवर्तित नहीं कर पातीं जिस कारण निकट की वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देतीं । निकट दृष्टि और दूर दृष्टि के मिले-जुले इस रूप को दूर करने के लिए उत्तल और अवतल लैंस से युक्त दो चश्मों या बाइफोकल | चश्मे में दोनों लैंसों के साथ प्रयोग से इसे सुधारा जा सकता है।

IV. रंगांधता (Colour Blindness)— यह एक ऐसा रोग है जो जैविक कारणों से होता है। यह वंशानुगत होता । है। इस रोग में रोगी विशेष रंगों की पहचान नहीं कर पाता क्योंकि उसकी आँखों में रेटिना पर शंकु (cone) जैसी सरचनाए अपर्याप्त होती है। आँखों में लाल, नीले और हरे रंग को पहचानने वाली कोशिकाएं होती हैं। रंगांध व्यक्ति की आँख में कम शंक्वाकार रचनाओं के कारण वह विशेष रंगों को नहीं पहचान पाता। इस रोग का कोई उपचार है। है। ऐसा व्यक्ति हर वस्तु ठीक प्रकार से देख सकता है पर कुछ रंगों की पहचान नहीं कर पाता। परमाणु सिद्धांतों का जनक डाल्टन भी इस रोग से ग्रस्त था।

V. एस्टेग्मोटिज्म (Astigmatism) – एस्टेग्माटिज्म से ग्रस्त व्यक्ति एक साथ अपनी दोनों आँखों का फोकस नहीं कर पाता। कॉर्निया के पूर्ण रूप से गोलाकार न होने के कारण यह रोग होता है। विभिन्न दिशाओं में वक्रता भिन्न होती है। व्यक्ति लाकार दिशा में ठीक प्रकार से दृष्टि फोकस नहीं कर पाता। इस रोग को सिलेंडीकल चश्मे से सुधारा जा सकता है।

प्रश्न  . मोतिया बिंद का उपचार क्या है ?
उत्तर- मोतिया बिंद का उपचार शल्य चिकित्सा है।
प्रश्न . एक नेत्र का क्षैतिज दृष्टि क्षेत्र लगभग कितना होता है ?
उत्तर- लगभग 150°.
प्रश्न  . दोनों नेत्रों का एक साथ क्षैतिज दृष्टि क्षेत्र लगभग कितना होता है ?
उत्तर- लगभग 180°.
प्रश्न  . शिकार करने वाले जंतुओं के नेत्र विपरीत दिशाओं में स्थित क्यों होते हैं ?
उत्तर- अधिकतम विस्तृत दृष्टि क्षेत्र प्रदान कराने के लिए।
प्रश्न  . मानव में दोनों नेत्र सिर पर सामने की ओर स्थित होने का नुकसान है ? इसका लाभ क्या है ?
उत्तर- इससे दृष्टि क्षेत्र कम हो जाता है लेकिन इनसे हमें त्रिविय-चाक्षुकी का लाभ मिल जाता है।
प्रश्न  . आँखों की सुग्राहिता से क्या अर्थ है ?
उत्तर- आँखों की सुग्राहिता का संबंध रंगों से है। आँखें किसी रंग के लिए अधिक सुग्राही होती हैं और किसी के लिए कम।।
प्रश्न  . आँखें किस रंग के लिए अधिक सुग्राही होती हैं ?
उत्तर- आँखें हरे रंग के लिए अधिक सुग्राही होती हैं।

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