अशोक के शिलालेखो के प्राप्ति स्थल याद करने की ट्रिक
अशोक के शिलालेखो के प्राप्ति स्थल याद करने कि ट्रिक
हेल्लो दोस्तों जैसा कि आप जानते है कि शोर्ट ट्रिक्स का एग्जाम के दोरान कितना अहम् योगदान रहता है उसके लिए हम शोर्ट ट्रिक्स का इस्तेमाल करते है आज कि हमारी इस पोस्ट में हम आपको अशोक के द्वारा तैयार करवाए गए शिलालेख के बारे में बतायेंगे सम्राट अशोक के 14 शिलालेखों की प्राप्ति निम्न 8 स्थानोंसे हुई है , इस ट्रिक के माध्यम से आप उन स्थानों को आसानी से याद रख पाऐंगे .
ट्रिकी वर्ड स्थल स्थान लिपि
शा शाहबाजगढी पाकिस्तान खरोष्ठी लिपि
म मान सेहरा पाकिस्तान खरोष्ठी लिपि
को कालसी उत्तराखंड (भारत) ब्राम्ही लिपि
जो जौगढ उडीसा (भारत) ब्राम्ही लिपि
सो सोपरा महाराष्ट्र (भारत) ब्राम्ही लिपि
ऐ एर्रगुडी आन्ध्र प्रदेश (भारत) ब्राम्ही लिपि
ग गिरनार राजस्थान (भारत) ब्राम्ही लिपि
धा धौली उडीसा (भारत) ब्राम्ही लिपि
शाम को जो सोऐ गधा
आप इस एक लाइन को याद रख कर अशोक के द्वारा बनवाये गए शिलालेखों को याद रख पाएंगे
अशोक से संबंधित कुछ अन्य जानकारी :-
मौर्य सम्राट अशोक के इतिहास की सम्पूर्ण जानकारी उसके अभिलेखों से मिलती है। यह माना जाता है कि, अशोक को अभिलेखों की प्रेरणा ईरान के शासक ‘डेरियस’ से मिली थी। अशोक के लगभग 40 अभिलेख प्राप्त हुए हैं। ये ब्राह्मी, खरोष्ठीऔर आर्मेइक-ग्रीक लिपियों में लिखे गये हैं। सम्राट अशोक के ब्राह्मी लिपि में लिखित सन्देश को सर्वप्रथम एलेग्जेंडर कनिंघम के सहकर्मी जेम्स प्रिंसेप ने पढ़ा था। अशोक के अभिलेखों को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है-
- शिलालेख
- स्तम्भलेख
- गुहालेख
- शिलालेखों और स्तम्भ लेखों को दो उपश्रेणियों में रखा जाता है। 14 शिलालेख सिलसिलेवार हैं, जिनको चतुर्दश शिलालेख कहा जाता है। ये शिलालेख शाहबाजगढ़ी, मानसेरा, कालसी, गिरनार, सोपारा, धौली और जौगढ़ में मिले हैं। कुछ फुटकर शिलालेख असम्बद्ध रूप में हैं और संक्षिप्त हैं। शायद इसीलिए उन्हें लघु शिलालेख कहा जाता है। इस प्रकार के शिलालेख रूपनाथ, सासाराम, बैराट, मास्की, सिद्धपुर, जतिंगरामेश्वर और ब्रह्मगिरि में पाये गये हैं।
- दूसरी श्रेणी के लघु शिलालेख बैराट, येरागुड़ी और कोपबाल में मिले हैं। दो अन्य लघु शिलालेख अभी हाल में ही अफ़गानिस्तान में – एक जलालाबाद में और दूसरा कंधार के निकट मिला है।
- इसके अलावा सात लेख स्तम्भों पर उत्कीर्ण हैं, जिसके कारण वह स्तम्भ लेख के नाम से प्रसिद्ध हैं। ये स्तम्भ लेख दिल्ली, इलाहाबाद, लौरिया – अरराज, लौरिया नंदनगढ़ और रामपुरवा में मिले हैं। कुछ स्तम्भों पर केवल एक एक लेख है, अत: उन्हें सात स्तम्भ लेखों के क्रम से अलग रखा गया है और वे लघुस्तम्भ लेख कहे जाते हैं। इस प्रकार के लघु स्तम्भलेखसारनाथ, साँही, रुम्मिनदेह और निग्लीव में मिले हैं।
- अंतिम तीन लेख बराबर पहाड़ियों की गुफाओं में मिले हैं और उनको गुफालेखों के नाम से पुकारा जाता है।
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