Rajasthan High Court Group D General Hindi Mock Test 2020
Rajasthan High Court Group D General Hindi Mock Test 2020
राजस्थान हाईकोर्ट में ग्रुप डी सामान्य हिंदी के प्रश्न उत्तर – जो भी उम्मीदवार राजस्थान हाई कोर्ट ग्रुप-डी की तैयारी कर रहे है ,उन्हें बतादे की राजस्थान ग्रुप डी की परीक्षा में सामान्य हिन्दी, सामान्य अंग्रेजी व राजस्थान GK से समन्धित प्रश्न पूछे जाएँगे .और जिसमे General Hindi से संबंधित 40 प्रश्न पूछे जाएँगे .इसलिए आज की इस पोस्ट में हमने General Hindi Questions for Rajasthan HC Group D ,general hindi mock test pdf ,हिंदी के प्रश्न उत्तर दिए गए है .यह प्रश्न पहले भी राजस्थान ग्रुप-डी की परीक्षाओं में पूछे जा चुके है . इसलिए आप इन्हें अच्छे से याद करे और अपनी परीक्षा की तैयारी अच्छे से करें .
(a) अन्न-अनाज
(b) अंगना-स्त्री
(c) अँगना-आँगन
(d) अन्य-मैं
2.
(a) अब-इस समय
(b) अणु-कण
(c) अनु-पीछे
(d) अब-फिर कभी
3.
(a) अन्त-समाप्ति
(b) अंश-भाग
(c) अंस-कन्धा
(d) अंत्य-उच्च
(b) मनुष्य
(c) मानवीकरण
(d) मानवीय
(b) असाधारण
(c) प्रत्यक्ष
(d) अप्रत्यक्ष
(b) दामाद को सुसराल में अधिक दिन नहीं रहना चाहिए
(c) अतिथि को कम समय में ही चले जाना चाहिए
(d) अतिथि ज्यादा दिन नहीं रहता
(b) उत्प्रेक्षा
(c) रूपक
(d) उपमा
(b) विद्वानों की सभा में मूर्ख का सम्मान होना
(c) अज्ञानियों में अल्पज्ञान वाले का सम्मान होना
(d) मूर्खा द्वारा विद्या की पूजा करना
(b) ब्रहमचारी होना
(c) व्यायाम करना
(d) दरिद्रता में आनन्द लेना
निर्देश (प्र.सं. 10-11) निम्न प्रश्नों में वाक्य के पहले और अन्तिम भागों को क्रमशः (1) और (6) की संख्या दी गई है। इनमें मध्य में आने वाले अंशों को चार भागों में विभाजित कर (य), (र), (ल) और (व) की संख्या दी गई है। ये चारों भाग उचित क्रम में नहीं हैं। इन्हें पढ़कर दिए गए विकल्पों में से उचित क्रम का चयन कीजिए।
10.
(1) नखधर मनुष्य अब एटम पर भरोसा करके आगे की ओर चल पड़ा है
(य) अब भी वह याद दिला देती है कि
(र) अब भी प्रकृति मनुष्य को उसके भीतर वाले अस्र से वंचित नहीं कर सकी।
(ल) पर उसके नाखून अब भी बढ़ रहे हैं।
(व) तुम्हारे नाखून को भुलाया नहीं जा सकता।
(6) तुम वही लाख वर्ष पहले के नख-दन्तावलम्बी जीव हो, पशु के साथ एक सतह पर विचरने वाले।
(a) य ल व र
(b) ल र व य
(c) र य व ल
(d) ल र य व
11.
(1) वैसे देखा जाए तो
(य) प्रकृति स्वयं उस शक्ति का निर्माण करती है, जो
(र) नाना प्रकार के दाहक और पाचक रसों के रुप में
(ल) उदर के भीतर कोई अग्नि की ज्वाला नहीं है, किन्तु
(व) नाना भाँति के खाद्य पदार्थों अर्थात् भोज्य को
(6) पचा सकती है।
(a) य र ल व
(b) ल र य व
(c) र य ल व
(d) ल य र व
(b) अपेक्षा
(c) निरपेक्ष
(d) असापेक्ष
(b) विस्तार
(c) विकीर्ण
(d) संक्षेप
प्रकारान्त्र से मेरे कथन का अभिप्रायः आपसे मिलता है |
(b) प्राकारान्त्र
(c) प्रकारान्तर
(d) प्राकारनतर
निर्देश (प्र. सं. 15-16) दिए गए खण्ड़ों में से वाक्य के अशुद्ध भाग का चयन कीजिए।
(b) /पृथ्वी तल और
(c) /आकाश में फैली हुई है।
(d) .
(b) /किन्तु तुम घर
(c) /पर नहीं मिले।
(d)
(b) दूसरा पद प्रधान होता है
(c) दोनों पद प्रधान होते हैं
(d) प्रथम एंव तृतीय पद प्रधान होते हैं
(b) कर्मधारय
(c) बहुव्रीहि
A (d) तत्पुरुष
निर्देश (प्र.सं. 19-21) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।
(b) सम्पूर्ण
(c) यथार्थ
(d) सच्चा
(b) समाधान
(c) सम्मान
(d) समर्थन
(b) आता गया
(c) फैलता गया
(d) निकलता गया
(b) अल्पप्राण
(c) प्राण
(d) निष्प्राण
निर्देश (प्र.सं. 23-24) निम्नलिखित प्रश्नों में अनेक शब्दों के स्थान पर दिए हुए विकल्पों में से एक सही शब्द चुनिए।
(b) विवेक
(c) विद्वता
(d) ज्ञान
(b) दुर्व्यवहार
(c) दुर्दिन
(d) दुर्दशा
(b) आठ वर्गों के समूह को
(c) नौ वर्णों के समूह को
(d) ल और ग वर्गों के समूह को
अटपटी उलझी लताएँ, डालियों को खींच लाएँ, पैर को पकड़े अचानक, प्राण को कस लें, कँपाएँ, साँप-सी काली लताएँ।
(b) करुण
(c) रौद्र
(d) अद्भुत
निर्देश (प्र.सं. 27-31) निम्न गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उस पर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर का चयन कीजिए।
प्रेम और श्रद्धा में अन्तर यह है कि प्रेम स्वाधीन कार्यों पर उतना निर्भर नहीं, कभी-कभी किसी का रूप मात्र, जिसमें उसका कुछ भी हाथ नहीं, उसके प्रति प्रेम उत्पन्न होने का कारण होता है पर श्रद्धा ऐसी नहीं है। किसी की सुन्दर आँख या नाक देखकर उसके प्रति श्रद्धा नहीं उत्पन्न होगी, प्रीति उत्पन्न हो सकती है। प्रेम के लिए इतना ही बस यह है कि कोई मनुष्य हमें अच्छा लगे, पर श्रद्धा के लिए आवश्यक यह है कि कोई मनुष्य किसी बात में बढ़ा हुआ होने के कारण हमारे सम्मान का पात्र हो। श्रद्धा का व्यापार-स्थल विस्तृत है, प्रेम का एकान्त। प्रेम में घनत्व अधिक है और श्रद्धा में विस्तार। किसी मनुष्य से प्रेम रखने वाले दो या एक मिलेंगे, पर उस पर श्रद्धा रखने वाले सैकड़ों-हजारों, लाखों क्या करोड़ों मिल सकते हैं। सच पूछिए तो इसी श्रद्धा के आश्रय से उन कर्मों के महत्व का भाव दृढ़ । होता रहता है जिसे धर्म कहते हैं और जिनमें मनुष्य समाज की स्थिति है। कर्ता से बढ़कर कर्म का स्मारक दूसरा नहीं। कर्म की क्षमता प्राप्त करने के लिए बार-बार कर्ता ही की ओर आँख उठती है। कर्मों से कर्ता की स्थिति को जो मनोहरता प्राप्त हो जाती है उस पर मुग्ध होकर बहुत से प्राणी उन कर्मों की ओर प्रेरित होते हैं। कर्ता अपने सत्कर्म द्वारा एक विस्तृत क्षेत्र में मनुष्य की सद्वृत्तियों के आकर्षण का एक शक्ति केन्द्र हो जाता है। जिस समाज में किसी ज्योतिष्मान शक्ति केन्द्र का उदय होता है, उस समाज में भिन्न-भिन्न हृदयो से शुभ भावनाएँ मेघ-खण्डों के समान उठकर तथा एक ओर एक साथ अग्रसर होने के कारण परस्पर मिलकर इतनी घनी हो जाती हैं कि उनकी घटा-सी उमड़ पड़ती है और मंगल की ऐसी वर्षा होती है कि सारे दुःख और क्लेश बह जाते हैं।
(b) श्रद्धा और भक्ति
(c) प्रेम और भक्ति
(d) इनमें से कोई नहीं
(b) जिन्हें धर्म कहा जाता है
(c) जिन्हें सत्पुरुष कहते हैं. .
(d) जिन्हें दुर्जन करते हैं
(b) धर्म को
(c) कर्ता को
(d) इन सबको
(b) प्रेममार्गी
(c) कृष्णमार्गी
(d) राममार्गी
(b) भक्त
(c) श्रद्धालु
(d) प्रेमी
(b) महात्मा गाँधी
(c) चक्रवर्ती राजगोपालाचारी
(d) पट्टाभि सीतारामय्या
(b) प्राकृतिक
(c) चमत्कृत
(d) सत्कृत
(b) ब्रह्मा
(c) कृष्ण
(d) राम
(b) प्रलाप
(c) बैंक
(d) मुँह
(b) प्राकृत
(c) संस्कृत
(d) शौरसेनी
(b) विद्यालय
(c) पुस्तक
(d) लेखक
(b) मनह + योग
(c) मनोः + योग
(d) मनः + अयोग
(b) गे + यक
(c) गै + यक
(d) गै + अक
(b) द्विविधा में पड़ना
(c) घमण्ड होना
(d) बुद्धिमान होना
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