लाइसोसोम क्या होता है?
लाइसोसोम क्या होता है? लाइसोसोम के कार्य लाइसोसोम किसे कहते हैं लाइसोसोम के कार्य क्या हैं लाइसोसोम को आत्मघाती थैली क्यों होती है? Lysosome in hindi लाइसोसोम क्या कहलाता है
खोज : लाइसोसोम की खोज डी डूवे नमक वैज्ञानिक ने की थी |
स्थिति : यह कोशिका में पुट्टीका (थैली) के रूप में उपस्थित होती है |
संरचना : यह इकाई झिल्ली से परिबद्ध कोशिकांग है , इसमें सभी प्रकार के जल अपघटनीय एंजाइम जैसे – हाइड्रोलेजेज , प्रोटोसेज , लाइपेसेज , कार्बोहाइड्रेजेज मिलते है जो अम्लीय माध्यम में सर्वाधिक सक्रीय होते है | ये कार्बोहाइड्रेट , प्रोटीन , लिपिड व न्यूक्लिक अम्ल के पाचन में सक्षम होते है , ये एंजाइम लाइसोसोम से बाहर आने पर कोशिका का ही पाचन कर सकते है इसलिए इसे कोशिका की आत्मघाती थैली भी कहते है |
कार्य :
- ये कोशिका के अन्दर किसी भी बाह्य पदार्थ जैसे – जीवाणु आदि को नष्ट कर देते है |
- ये पुरानी व मृत कोशिकाओ को नष्ट करने में सहायक होता है |
रसधानी : कोशिका द्रव्य में अर्द्धपारगम्य झिल्ली से घिरी संरचना को रसधानी कहते है , इसमें जल , उत्सर्जित पदार्थ , खनिज लवण , शर्करायें CO2 , कार्बनिक अम्ल तथा अन्य अपशिष्ट पदार्थ होते है , यह इकाई झिल्ली से परिबद्ध होती है जिसे टोनोप्लास्ट कहते है | पादप कोशिका में यह कोशिका का 90% भाग घेरती है , आयनों व खनिज लवणों की सांद्रता कोशिका द्रव्य की तुलना में रसधानी में अधिक होती है | कार्य
- इसका प्रमुख कार्य भोज्य पदार्थो का संग्रहण करना है |
- अमीबा में रसधानी उत्सर्जन का कार्य भी करती है |