Basic Computer

CRT मॉनिटर क्या होता है

CRT मॉनिटर क्या होता है

What is CRT Monitor in Hindi : कम्प्यूटर के शुरुआती दिनों में CRT तकनीक पर आधारित मॉनीटर ही प्रयोग किए जाते थे। कांच की पिक्चर टूयूब से बने ये मॉनीटर भारी भरकम होते थे और बहुत ज्यादा मात्रा में बिजली का प्रयोग करते थे। इसमें वास्तव में एक कांच की वैक्यूम ट्यूब को लगाया जाता है और इस पर इलेक्ट्रॉन गन असेम्बली के द्वारा इलेक्ट्रॉन बीम्स को छोड़ते हैं। इस ट्यूब की जिस सतह से यह बीम टकराती हैं उस पर फास्फोरस का लेप होता है। गन से निकली हुई किरणें तीन रंगों की होती हैं- यह रंग हैं RGB

यहां पर R का अर्थ है रेड,G का अर्थ है ग्रीन और B का अर्थ है ब्लू। मॉनीटर पर हमें जितने भी रंग दिखाई देते हैं वह सभी लाल, हरे और नीले रंगों का संयोजन या मिश्रण होते हैं।CRT तकनीक में समय के साथ सुधार किया गया और पहले जहां कर्व पिक्चर ट्यूब प्रयोग की जा रही थीं वहीं अब फ्लैट पिक्चर ट्यूबों का प्रयोग होने लगा है। इनमें दृश्य कर्व की अपेक्षा ज्यादा स्पष्ट होता है।

कैथोड रे ट्यूब का आविष्कार

कैथोड रे ट्यूब का आविष्कार 1897 में Ferdinand Braun द्वारा किया गया था जिसका नाम “Braun tube, रखा गया यह पहली सीआरटी थी जिसमें code-cathode diode का इस्तेमाल किया गया था जिसमें फास्फोरस की कोटिंग की हुई स्क्रीन थी. John B. Johnson और Harry Weiner Weinhart ने पहली कैथोड रे ट्यूब बनाई जिसमें hot cathode का इस्तेमाल किया गया था और यह है . 1922 में commercial product के रूप में इस्तेमाल की जाने लगी. 1934 में पहला सीआरटी टेलीविजन जर्मनी की कंपनी Telefunken द्वारा बनाया गया. इस समय तक सीआरटी टेक्नोलॉजी में कॉफी सुधार हो गया था और इन्हें कंप्यूटर मॉनिटर में भी इस्तेमाल किए जाने लगा था.

कम्प्यूटर के शुरुआती दौर में डिस्प्ले के लिए एनालॉग सिगनल प्रयोग किया जाता था। लेकिन अब तकनीक में परिवर्तन होने से डिजिटल सिगनल को प्रयोग किया जाता है। इस तकनीक को डीवीआई इंटरफेस भी कहते हैं।कम्प्यूटर के शुरुआती दौर में डिप्ले के लिए एनालॉग सिगनल प्रयोग किया जाता था। लेकिन अब तकनीक में परिवर्तन होने से डिजिटल सिगनल को प्रयोग किया जाता है। इस तकनीक को डीवीआई इंटरफेस भी कहते हैं।

CRT डिजिटल एनालॉग मॉनीटर

यह एक पारंपरिक कलर डिस्प्ले स्क्रीन है, जो कई वर्षों से टेलीविजन में उपयोग की जा रही है। वास्तविक तौर पर सभी मॉनीटर जो CRT टेक्नोलॉजी पर आधारित होते हैं, एनालॉग होते हैं। कुछ मॉनीटर डिजिटल मॉनीटर कहलाते हैं क्योंकि वह वीडियो एडेप्टर से डिजिटल सिग्नल प्राप्त करते हैं। EGA मॉनीटर्स, उदाहरणतया, डिजिटल होने चाहिए, क्योंकि EGA स्टैंडर्ड डिजिटल सिग्नल को निर्दिष्ट करता है। फिर भी, डिजिटल मॉनीटर्स को इमेज प्रदर्शित करने से पहले, सिग्नल को एनालॉग फॉर्म में परिवर्तित करना जरुरी होता है।

कुछ मॉनीटर डिजिटल और एनालॉग दोनों ही सिग्नल्स को ग्रहण कर सकते हैं। कुछ एनालॉग मॉनीटर को डिजिटल भी कहा जाता है। क्योंकि ये डिस्प्ले को समायोजित करने के लिए डिजिटल कंट्रोल का सहारा लेते हैं। कई एनालॉग मॉनीटर मल्टीफ्रीक्वेंसी मॉनीटर होते हैं, इसका मतलब है कि ये मॉनीटर दो या दो से ज्यादा प्रीसेट फ्रीक्वेंसी लेवल के सिग्नल को ग्रहण कर सकते हैं।

मॉनिटर में डॉट पिच क्या होती है

CRT तकनीक से बने मॉनीटरों के संदर्भ में डॉट पिच नामक शब्द का प्रयोग किया जाता है। इससे मॉनीटर की डिस्प्ले क्वालिटी प्रभावित होती है। आइये इसे समझते हैं। सीआरटी मॉनीटर के अग्र भाग में एक विशेष प्लेट होती है जिस पर शैडो मास्क का निर्माण होता है। इस प्लेट के बाद फॉस्फोरस नामक रसायन की परत होती है। इस परत में कई हजार छिद्र होते हैं। इन्ही छिद्रों से इलेक्ट्रॉन गन की प्रत्येक किरण का फोकस ठीक होता है। डॉट पिच तकनीक इलेक्ट्रॉन गन के द्वारा फेंकी जा रही गलत डॉट्स को प्रदर्शित होने से रोक देती है।दो डॉट पिचों के बीच की दूरी मिलीमीटर में होती है।

इसकी वजह से इनके बीच का स्थान एक समान रहता है और यह अच्छी गुणवत्ता का डिस्प्ले उत्पन्न करता है।आईबीएम नामक कंपनी ने जब पहला कलर मॉनीटर बनाया था तो उसमें डॉट पिचों के बीच की दूरी .43 मिलीमीटर थी। जिसे बहुत ही घटिया दर्जे का कहा जाता है। वास्तव में डॉट पिच का मान जितना कम होगा इमेज हमें उतनी ही अच्छी दिखाई देगी। आजकल .25 मिलीमीटर की डॉट पिच का प्रयोग किया जाता है।इसके अलावा मॉनीटरों में ब्राइटनेस और कंट्रास्ट को निर्धारित करने के लिए स्विच उपलब्ध होते हैं जिनसे हम इमेज को काफी हद तक सही कर सकते हैं। 

CRT मॉनीटर का रेज़ोल्यूशन

मॉनीटर पर हमें जो भी दिखाई देता है वह पिक्सेल या डॉट्स से मिलकर बनता है। एक इंच में पिक्सेलों की संख्या जितनी ज्यादा होगी मॉनीटर का रेज़ोल्यूशन उतना ही ज्यादा होगा। पिक्सेल की यह संख्या वीडियो एडैप्टर कार्ड में लगी मेमोरी पर निर्भर होती है। यदि आप एक इंच में 1280 x 1024 या इससे ज्यादा पिक्सेल चाहते हैं तो आपको मॉनीटर भी 21 इंच का लेना पड़ेगा। इससे कम रेज़ोल्यूशन आप 15 इंच और 17 इंच के मॉनीटरों के लिए निर्धारित कर सकते हैं।

CRT मॉनीटर का रिफ्रेश रेट

रिफ्रेश रेट को तकनीकी रूप में आप वर्टिकल स्कैन फ्रिक्वेंसी भी कह सकते हैं। इसकी वजह से हमें स्क्रीन पर एक इमेज गायब होने के बाद दूसरी इमेज दिखाई देती है।इसे हर्ट्ज में मापा जाता है। वर्तमान समय में 72 हर्ट्ज रिफ्रेश रेट वाले मॉनीटरों का चलन है। यह मॉनीटर हमें एक सेकेंड में एक के बाद एक 72 तस्वीरें स्क्रीन पर दर्शा सकता है। यदि मॉनीटर का रिफ्रैश रेट कम है तो आप काम करते समय बहुत असुविधा होगी। इसलिए मॉनीटर खरीदते समय इस बात विशेष ध्यान रखें कि रिफ्रेश रेट ज्यादा से ज्यादा हो।

CRT मॉनीटर का रेडिएशन

आपने मॉनीटर के बारे में यह जरूर सुना होगा कि यह लो रेडिएशन का मॉनीटर है। वास्तव में मॉनीटर के द्वारा इलेक्ट्रोमैगनेटिक फील्ड का उत्सर्जन होता है और यह हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इस उत्सर्जन को रोकने के लिए वैज्ञानिकों ने मॉनीटरों में VLF तकनीक का प्रयोग किया है। इसका मतलब होता है वेरी लो फ्रिक्वेंसी। इससे बहुत ही कम मात्रा में रेडिएशन पैदा होगा। आज कल ELF तकनीक वाले मॉनीटर भी चलन में आ गए हैं। यह बहुत ही कम मात्रा में इलेक्ट्रो-मैगनेटिक रेडिएशन पैदा करते हैं।

CRT मॉनीटर से सम्बन्धित सावधानियां

जब मॉनीटर का उपयोग काफी अधिक समय तक न करना हो तब अपने कम्प्यूटर को DPMS पर सेट करें। यदि स्क्रीन सेवर का उपयोग कर रहे हैं तो कम्प्यूटर को एक्टिव स्क्रीन मोड पर सेट रखें। कभी भी खराब हो चुके या ढीले प्लग का उपयोग न करें।
इससे विद्युत का झटका या आग लगने की संभावना बनी रहती हैं। कभी भी प्लग को उसका वायर से पकड़ कर न खींचें और न ही प्लग को गीले हाथों से छुएं। इससे विद्युत का झटका या आग लगने की संभावना बनी रहती हैं। हमेशा ठीक तरह से ग्राऊण्ड किए गए प्लग एंव अन्य पात्र का ही उपयोग करें। अनुचित अपर्याप्त ग्राऊण्ड से विद्युत का झटका लगने की संभावना बनी रहती है अथवा इससे उपकरण को नुक्सान पहुंचने की भी संभावना बनी रहती हैं। पॉवर प्लग को आऊटलेट में अच्छे से कस कर इस तरह से लगाएं कि वहां पर कोई ढीलापन न रहे।

गलत ढंग से कनेक्शन के कारण आग लगने की संभावना बनी रहती है। प्लग एंव वायर को बहुत अधिक न तो मोड़े और न ही इनके ऊपर कोई भारी सामान रखें। इससे ये खराब हो सकते हैं।इसके कारण विद्युत का झटका या आग लगने की संभावना बनी रहती हैं। गंदे कनेक्टर के कारण विद्युत का झटका या आग लगने की संभावना बनी रहती हैं। मॉनीटर सी सफाई करने के पहले मॉनीटर की मेन्स वायर (पॉवर कोर्ड) को प्लग से निकाले दें।

इस पोस्ट में आपको मॉनिटर क्या है in english मॉनिटर क्या कार्य करता है मॉनिटर क्या है हिंदी सीआरटी मॉनिटर मॉनिटर के कार्य मॉनिटर की परिभाषा हिंदी में मॉनिटर की फुल फॉर्म क्या है मॉनिटर का आविष्कार किसने किया था डॉट-पिच किसे कहते है मॉनिटर के कार्य कंप्यूटर मॉनिटर के रिजर्वेशन का मापन होता है से संबंधित पूरी जानकारी दी गई है अगर इसके बारे में अभी भी आपका कोई भी सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट करके जरूर पूछें.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button