सतत पोषणीय विकास से क्या तात्पर्य है
सतत पोषणीय विकास से क्या तात्पर्य है
सतत् पोषणीय विकास से अभिप्राय संसाधनों का उपयोग इस प्रकार करने से है कि जिससे हमारी आवश्यकताओं के साथ-साथ आने : वाली पीढ़ियों को भी लाभ पहुँचे। विकास के सिद्धांत-सतत् पोषणीय विकास के मुख्य सिद्धांत निम्नलिखित हैं:
(क) जीवन के सभी रूपों की उचित देख-भाल करना।
(ख) मानव-जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि करना।
(ग) प्राकृतिक संसाधनों के ह्रास को कम-से-कम करना।
(घ) विभिन्न समुदायों को अपने पर्यावरण की देख-भाल करने योग्य बनाना।
(ङ) पृथ्वी पर जीवन की विविधता को बनाए रखना।
संसाधन एवं विकास के प्रश्न उत्तर
उत्तर – विकसित संसाधन वे संसाधन हैं जिनका सर्वेक्षण हो चुका है और उपयोग के लिए इनकी मात्रा भी भली-भांति निर्धारित कर ली गई है।
उत्तर – स्टॉक से अभिप्राय उन संसाधनों से है जो मानव की ज़रूरतें तो पूरी कर सकते हैं परंतु मनुष्य के पास इनके विकास के लिए उचित तकनीक का अभाव है।
उत्तर – सतत पोषणीय आर्थिक विकास से अभिप्राय ऐसे विकास से है जिससे पर्यावरण को क्षति न पहुँचे। इसके अतिरिक्त संसाधनों का उपयोग इस प्रकार हो कि हमारी आवश्यकताओं के साथ-साथ आने वाली पीढ़ियों को भी उनसे लाभ पहुँचे।
उत्तर – संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करने की प्रक्रिया को संसाधन नियोजन (योजना) कहते हैं।
उत्तर – संसाधनों को उपयोगी बनाने की प्रक्रिया को संसाधनों का विकास कहा जाता है।
उत्तर – संसाधनों के अविवेकपूर्ण तथा अत्यधिक उपयोग से उत्पन्न समस्याओं से निपटने के लिए।
उत्तर – भूमि संसाधन मानव-जीवन, प्राकृतिक वनस्पति, वन्य-जीवन, आर्थिक गतिविधियों तथा परिवहन एवं संचार प्रणाली को आश्रय देते हैं।
उत्तर – परती भूमि वह भूमि है जिसे फ़सल लेने के बाद इसे कुछ समय के लिए खाली छोड़ दिया जाता है, ताकि यह फिर से अपनी उर्वरा शक्ति प्राप्त कर ले।
उत्तर – मनुष्य को प्रकृति से मिलने वाले उपहार ‘प्राकृतिक संसाधन’ कहलाते हैं। इनमें भूमि, जल, वनस्पति और खनिज आदि शामिल हैं।
उत्तर संसाधन दो प्रकार के हैं-प्राकृतिक संसाधन तथा मानव निर्मित संसाधन।
उत्तर – मानव निर्मित संसाधन हैं-इमारतें, सड़कें, रेलवे, गाँव इत्यादि।
अथवा
भूमि का उपयोग किन कारकों पर निर्भर करता है?
उत्तर – भूमि का उपयोग निम्नलिखित दो प्रकार के कारकों पर निर्भर करता है-भौतिक कारक तथा मानवीय कारक।
(क) भौतिक कारक-इन कारकों में उच्चावच, जलवायु तथा मृदा के प्रकार शामिल हैं।
(ख) मानवीय कारक-इन कारकों में जनसंख्या घनत्व, तकनीकी कौशल तथा सांस्कृतिक परंपराएँ आदि शामिल हैं।
उत्तर – (क) कुछ भूमियाँ कम उपजाऊ होती हैं। (ख) इन भूमियों पर कृषि की लागत बहुत अधिक है।
उत्तर – सौर ऊर्जा तथा पवन ऊर्जा । नवीकरणीय संसाधनों के प्रकार हैं।
उत्तर – जलवायु के प्रभाव से शैलें सिकुड़ती-फैलती रहती हैं। धीरे-धीरे ये कमजोर हो जाती हैं और बारीक कणों में बदल जाती हैं।
उत्तर – मृदा के निर्माण में शैलें बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, क्योंकि मृदा मूल रूप से शैलों के टूटने से ही बनती है।
उत्तर – (क) वनों का विस्तार किया जाए।
(ख) पहाड़ी ढालों पर सीढ़ीदार खेत बना कर खेती की जाए।
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